कवर्धा रेललाइन का सपना अधूरा: 800 करोड़ खर्च, फिर भी इंतजार जारी

कवर्धा : कवर्धा रेललाइन का सपना अधूरा: 800 करोड़ खर्च, फिर भी इंतजार जारी, छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में रेलवे लाइन का सपना फिलहाल अधूरा ही दिख रहा है। डोंगरगढ़-कवर्धा-मुंगेली-कटघोरा रेललाइन परियोजना, जिसका शिलान्यास सात साल पहले किया गया था, अभी भी जमीन पर नहीं उतर पाई है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा 800 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन निर्माण कार्य शुरू होने का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
सात साल का इंतजार और बढ़ी हुई लागत
यह परियोजना न केवल कवर्धा, बल्कि डोंगरगढ़, मुंगेली और कटघोरा क्षेत्रों के लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है। सात साल पहले इसका भूमिपूजन हुआ था और सभी प्रारंभिक तैयारियां भी पूरी कर ली गई थीं। हालांकि, राज्य में सत्ता परिवर्तन के कारण यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई। अब जबकि राज्य और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है, लोगों को उम्मीद थी कि इस पर तेजी से काम होगा, लेकिन अभी भी केवल कागजी कार्रवाई ही चल रही है। इस देरी के कारण परियोजना की लागत भी काफी बढ़ चुकी है, और यदि जल्द ही काम शुरू नहीं हुआ तो यह लागत और भी बढ़ती जाएगी।कवर्धा रेललाइन का सपना अधूरा
केंद्र और राज्य से जारी हुई राशि, फिर भी गतिरोध
परियोजना के लिए केंद्र सरकार 500 करोड़ रुपये और राज्य सरकार अपने हिस्से के 300 करोड़ रुपये (फरवरी 2025 में ही) जारी कर चुकी है। इससे भूमि अधिग्रहण में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए थी। सर्वे का कार्य भी पहले ही पूरा हो चुका था और किसानों की जमीन का मुआवजा भी तय किया जा चुका था। यहां तक कि रेललाइन के दायरे में आने वाली जमीन की खरीद-बिक्री पर भी रोक लगा दी गई थी, ताकि जमीन दलाल किसानों का शोषण न कर सकें।कवर्धा रेललाइन का सपना अधूरा
सांसद का आश्वासन, ठोस कार्रवाई की कमी
राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के सांसद संतोष पांडेय लगातार इस परियोजना के फायदे गिना रहे हैं और केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात कर शीघ्र निर्माण कार्य शुरू कराने का आग्रह कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में संसद के मानसून सत्र के दौरान भी इस मुद्दे पर चर्चा की। हालांकि, उनके प्रयासों के बावजूद, जमीन पर कोई ठोस काम होता नहीं दिख रहा है। लोग अब केवल आश्वासनों से ऊब चुके हैं और वास्तविक प्रगति देखना चाहते हैं।कवर्धा रेललाइन का सपना अधूरा
राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी?
यह परियोजना राजनीतिक उदासीनता का शिकार होती दिख रही है। सत्ता परिवर्तन के बाद अक्सर विकास परियोजनाओं की गति धीमी पड़ जाती है या वे पूरी तरह से रोक दी जाती हैं, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है। इस मामले में भी, ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षी दलों के साथ-साथ सत्ताधारी दल भी इस परियोजना को लेकर ठोस राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखा पा रहे हैं।कवर्धा रेललाइन का सपना अधूरा
डोंगरगढ़-कवर्धा-मुंगेली-कटघोरा रेललाइन परियोजना छत्तीसगढ़ के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। 800 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होने के बावजूद इसका अधर में लटकना चिंताजनक है। केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर इस पर तत्काल ध्यान देना चाहिए और युद्धस्तर पर काम शुरू कराना चाहिए ताकि क्षेत्र के लोगों का रेलवे लाइन का सपना जल्द से जल्द साकार हो सके।कवर्धा रेललाइन का सपना अधूरा









