रायपुर में जमीन का खेल: सरकारी रेट से 20% महंगी बिक रही जमीन, दलालों और बिल्डरों की हो रही चांदी!

रायपुर में जमीन का खेल: सरकारी रेट से 20% महंगी बिक रही जमीन, दलालों और बिल्डरों की हो रही चांदी!
रायपुर: सरकारी रेट से 20% महंगी बिक रही जमीन,, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जमीन की खरीद-फरोख्त में बड़ा खेल चल रहा है। यहां जमीनों के सौदे सरकारी गाइडलाइन रेट से 20 फीसदी या उससे भी अधिक कीमत पर हो रहे हैं। इस पूरे गोरखधंधे का सीधा फायदा प्रॉपर्टी डीलरों और बिल्डरों को मिल रहा है, जबकि सरकारी खजाने को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
गाइडलाइन रेट पर रजिस्ट्री, बाकी पैसा कैश में
जमीन कारोबारी ‘विकसित प्लॉट’ के नाम पर मनमाने दाम वसूल रहे हैं। खरीद-बिक्री तो ऊंचे बाजार भाव पर होती है, लेकिन सरकारी दफ्तरों में रजिस्ट्री पुरानी गाइडलाइन दर पर ही कराई जाती है। सौदे की बाकी बची मोटी रकम का लेन-देन कैश यानी ‘कच्चे’ में किया जाता है। इस तरीके से क्रेता और विक्रेता दोनों ही स्टांप ड्यूटी और टैक्स की चोरी कर रहे हैं।सरकारी रेट से 20% महंगी बिक रही जमीन,
चार साल से नहीं बढ़ी गाइडलाइन दर
इस पूरे खेल की सबसे बड़ी वजह पिछले चार सालों से जमीनों की गाइडलाइन दरों का न बढ़ना है। जिले में आखिरी बार साल 2019-20 में गाइडलाइन दरें तय की गई थीं। तब से लेकर आज तक राजस्व विभाग ने नई दरें लागू नहीं की हैं, जिसके कारण सरकारी रेट और बाजार भाव में एक बड़ा अंतर आ गया है। इसी अंतर का फायदा उठाकर दलाल और बिल्डर मोटा मुनाफा कमा रहे हैंसरकारी रेट से 20% महंगी बिक रही जमीन,
शहर में अवैध प्लाटिंग की बाढ़
एक तरफ जहां वैध कॉलोनियों में जमीनें महंगी हैं, वहीं दूसरी ओर शहर के चारों तरफ अवैध प्लाटिंग का कारोबार भी जोर-शोर से चल रहा है। ये अवैध प्लॉट बिल्डरों के विकसित प्लॉट की तुलना में काफी सस्ते होते हैं, जिससे आम लोग इनके झांसे में आसानी से आ जाते हैं। इन कॉलोनियों में न तो बुनियादी सुविधाएं होती हैं और न ही कोई कानूनी मान्यता, जिससे भविष्य में खरीदारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता हैसरकारी रेट से 20% महंगी बिक रही जमीन,
प्रशासन की तरफ से नई गाइडलाइन दरें लागू न होने से यह पूरा तंत्र फल-फूल रहा है, जिससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है और काले धन का लेन-देन भी बढ़ रहा है।सरकारी रेट से 20% महंगी बिक रही जमीन,









