कोरबा/कटघोरा: छत्तीसगढ़ के कटघोरा वनमंडल में वन अपराध से जुड़े गंभीर सवाल उठ रहे हैं। दो साल पहले जब्त किए गए अवैध लकड़ी और रेत परिवहन में शामिल वाहन राजसात होने के बजाय छोड़ दिए गए। इस फैसले से वनमंडलाधिकारी कुमार निशांत की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कटघोरा वनमंडलाधिकारी के कार्यशैली पर सवाल: जब्त वाहन दो साल बाद छूटे, राजसात क्यों नहीं हुआ?
वन अपराध में जब्त वाहन क्यों छोड़े गए?
2021 के अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर महीनों में वन विभाग ने चार वाहनों को अवैध लकड़ी कटाई और रेत परिवहन के आरोप में जब्त किया था। तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक राजेश चंदेले ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि ये वाहन किसी भी कीमत पर नहीं छोड़े जाएं और राजसात की प्रक्रिया पूरी की जाए।
हालांकि, वनमंडलाधिकारी शमा फारुखी और एसडीओ प्रेमलता यादव के स्थानांतरण के बाद नए पदस्थापित डीएफओ कुमार निशांत ने इन वाहनों को छोड़ दिया। इस निर्णय ने वन विभाग की पारदर्शिता और नियमों के पालन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कटघोरा वनमंडलाधिकारी के कार्यशैली पर सवाल: जब्त वाहन दो साल बाद छूटे, राजसात क्यों नहीं हुआ?
जब्त किए गए वाहनों का विवरण
✅ सुरेश कुमार अमरजीत पाले (कोरबा) – रेत (2.5 घन मीटर)
✅ दूधनाथ जायसवाल (कोरबा) – सेमल लकड़ी (3.582 घन मीटर)
✅ राम खिलावन पटेल (जीपीएम) – जामुन लकड़ी (3.719 घन मीटर)
✅ भंवर सिंह पावले (गौरेला पेंड्रा मरवाही) – सेमल गोईजा (3.421 घन मीटर)
सवाल जो खड़े हो रहे हैं
🔸 जब्त वाहनों को छोड़ने का वैध कारण क्या था?
🔸 क्या इस फैसले के बारे में मुख्य वन संरक्षक और जिला सत्र न्यायाधीश को सूचना दी गई?
🔸 क्या इस प्रक्रिया को रोककर वन माफियाओं को फायदा पहुंचाया गया?
🔸 शासन इस मामले में कोई कार्रवाई करेगा या मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
जनता की नजरें शासन के फैसले पर
इस पूरे घटनाक्रम के बाद वन विभाग की कार्यशैली पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। पर्यावरण प्रेमी और स्थानीय लोग इस मामले की निष्पक्ष जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार क्या कदम उठाती है। कटघोरा वनमंडलाधिकारी के कार्यशैली पर सवाल: जब्त वाहन दो साल बाद छूटे, राजसात क्यों नहीं हुआ?