बिलासपुर l छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अनुकम्पा नियुक्ति को लेकर दायर की गई तीन अलग-अलग याचिकाओं को रद्द कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल परिवार के मुखिया की मृत्यु के बाद आर्थिक संकट या गरीबी अनुकम्पा नियुक्ति के लिए बुनियादी मापदंड हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुकम्पा नियुक्ति के लिए अधिकार के तौर पर दावा नहीं किया जा सकता है। अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन करने वालों को झटका
याचिकाओं की पृष्ठभूमि
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रामाधार तिवारी की पत्नी की याचिका
रतनपुर के रामाधार तिवारी की पत्नी ने पति की मृत्यु के बाद अपने छोटे बेटे दीनानाथ तिवारी को अनुकम्पा नियुक्ति देने की मांग की थी। रामाधार तिवारी पुलिस विभाग में सहायक उप निरीक्षक के पद पर कार्यरत थे और 20 अगस्त 2007 को उनकी मृत्यु हो गई थी। पत्नी ने बिलासपुर एसपी को अक्टूबर और दिसंबर 2007 में आवेदन दिया, जिसे अगस्त 2012 में खारिज कर दिया गया। खारिज करने का आधार था कि दीनानाथ के बड़े भाई केदारनाथ पहले से ही शिक्षाकर्मी वर्ग-3 के पद पर कार्यरत हैं। इस फैसले को चुनौती देते हुए 2014 में याचिका लगाई गई, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन करने वालों को झटका
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यश मिश्रा की याचिका
बैकुंठपुर के यश मिश्रा ने अपने पिता की मृत्यु के बाद अनुकम्पा नियुक्ति की मांग की थी। उनकी मां सुनीता मिश्रा एक व्याख्याता थीं। वर्ष 2018 में, जब मां की सरकारी नौकरी जारी थी, विभाग ने उन्हें सेवामुक्त कर दिया। यश ने बताया कि पिता की मृत्यु के समय वह भिलाई में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था और पिता की ब्रेन कैंसर की चिकित्सा में पूरी राशि खर्च हो गई थी। पिता की मृत्यु के बाद पढ़ाई छोड़कर अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी। अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन करने वालों को झटका
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सुमन की याचिका
कांकेर की सुमन ने अपनी याचिका में कहा कि उनके पिता राममूर्ति शर्मा ग्रामीण स्वास्थ्य संगठक के पद पर कार्यरत थे और जून 2019 में उनकी मृत्यु हो गई। सुमन ने जुलाई 2019 में राजनांदगाव के सीएमएचओ दफ्तर में अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया। उनके भाई रमन शर्मा कांकेर के सरकारी स्कूल में शिक्षाकर्मी वर्ग-1 के पद पर कार्यरत हैं, जिसके आधार पर आवेदन खारिज कर दिया गया। सुमन ने इस निर्णय को चुनौती दी, लेकिन उनकी याचिका भी हाई कोर्ट ने खारिज कर दी। अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन करने वालों को झटका
इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि अनुकम्पा नियुक्ति के लिए कानूनी मानदंडों का पालन अनिवार्य है और सिर्फ आर्थिक संकट या गरीबी के आधार पर नियुक्ति का दावा नहीं किया जा सकता। अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन करने वालों को झटका