बिलासपुर l छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक पति-पत्नी के विवाद में सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा की गई गलत कार्रवाई पर सख्त रुख अपनाया है। मामला बिलासपुर के ईडब्ल्यूएस फेस-2 एमपी नगर, थाना सिविल लाइन रामपुर निवासी लक्ष्मण साकेत से जुड़ा है, जिन्हें सिटी मजिस्ट्रेट गौतम सिंह (एडिशनल कलेक्टर) ने अवैध रूप से हिरासत में भेजा था।छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एडिशनल कलेक्टर और एसपी पर लगाया जुर्माना
विवाद की पृष्ठभूमि और पुलिस की कार्रवाई
लक्ष्मण साकेत और उनकी पत्नी के बीच विवाद को लेकर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 107 और 116 के तहत मामला दर्ज किया था। इस पर कार्रवाई करते हुए, सिटी मजिस्ट्रेट ने लक्ष्मण को जमानत दी, लेकिन शाम 5 बजे के बाद सॉल्वेंट श्योरिटी की शर्त लगाकर उन्हें जेल भेज दिया, क्योंकि उनके वकील उस समय श्योरिटी पेश नहीं कर सके थे। यह कदम अवैध करार दिया गया और लक्ष्मण साकेत के अधिवक्ता आशुतोष शुक्ला ने इसके खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट में रिट पिटिशन (क्रिमिनल) दायर की।छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एडिशनल कलेक्टर और एसपी पर लगाया जुर्माना
उच्च न्यायालय का सख्त रुख: जुर्माना और आदेश
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभू दत्त गुरु की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए इसे नागरिक के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का गंभीर उल्लंघन करार दिया। न्यायालय ने सिटी मजिस्ट्रेट, एसपी, एडिशनल कलेक्टर, और राज्य शासन को दोषी मानते हुए उन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे 30 दिनों के भीतर जमा करना अनिवार्य है।छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एडिशनल कलेक्टर और एसपी पर लगाया जुर्माना
गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन जरूरी
उच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल संदेह के आधार पर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया जाना अनिवार्य है। इस फैसले से स्पष्ट संदेश मिलता है कि किसी भी नागरिक के अधिकारों का उल्लंघन करने पर प्रशासनिक अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एडिशनल कलेक्टर और एसपी पर लगाया जुर्माना