शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास: 41 साल बाद अंतरिक्ष में गूंजा ‘नमस्कार’, ISS पर पहले भारतीय!

शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास: 41 साल बाद अंतरिक्ष में गूंजा ‘नमस्कार’, ISS पर पहले भारतीय!
भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक ऐतिहासिक दिन! 41 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद, एक बार फिर अंतरिक्ष की गहराइयों से भारत के लिए एक गौरवशाली संदेश आया है। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की अपनी यात्रा के दौरान ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से एक वीडियो संदेश भेजकर पूरे देश को गौरवान्वित किया है। उनका “अंतरिक्ष से नमस्कार!” सिर्फ एक अभिवादन नहीं, बल्कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक नए युग का शंखनाद है।शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास
क्या है Axiom-4 मिशन और कौन हैं शुभांशु शुक्ला?
शुभांशु शुक्ला, नासा और इसरो के संयुक्त प्रयास से साकार हुए Axiom-4 (Ax-4) मिशन के पायलट हैं। यह मिशन भारत के लिए कई मायनों में खास है:
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ऐतिहासिक उड़ान: शुभांशु राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं।
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लॉन्च: इस मिशन को 25 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के शक्तिशाली फाल्कन-9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया।
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अंतर्राष्ट्रीय टीम: इस मिशन में शुभांशु के साथ अमेरिका की कमांडर पैगी व्हिटसन, हंगरी के टिबोर कापु और पोलैंड के स्लावोश उजनांस्की-विस्निएव्स्की भी शामिल हैं।
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मिशन का लक्ष्य: यह टीम 14 दिनों तक ISS पर रहेगी और 60 से अधिक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगी।
अंतरिक्ष में भारत की शान: 7 भारतीय प्रयोग और खास संदेश
यह मिशन सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक महायज्ञ भी है। इन 14 दिनों में होने वाले प्रयोगों में से 7 प्रयोग पूरी तरह से भारतीय हैं, जो अंतरिक्ष विज्ञान में भारत के बढ़ते कद को दर्शाते हैं।शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास
अपने वीडियो संदेश में शुभांशु ने न केवल देशवासियों को नमस्कार कहा, बल्कि हाथ में एक खिलौना हंस भी दिखाया, जिसे ज्ञान और शांति का प्रतीक माना जाता है। यह भारत की सांस्कृतिक विरासत को अंतरिक्ष तक ले जाने का एक अनूठा तरीका था। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने साथ भारतीय स्वाद को भी अंतरिक्ष में पहुँचाया है। वे अपने साथ गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम का रस ले गए हैं। साथ ही, उन्होंने भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के लिए एक विशेष स्मृति चिन्ह भी ले जाकर इतिहास को सम्मान दिया है।शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास
भावुक हुआ देश: परिवार ने जताई खुशी
जैसे ही शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी, लखनऊ में बैठे उनके माता-पिता, शंभु दयाल शुक्ला और आशा शुक्ला, इस पल में भावुक हो गए। उन्होंने इसे न केवल अपने परिवार के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक गौरव का क्षण बताया। शुभांशु की पत्नी कामना शुक्ला ने भी अपने पति की इस असाधारण उपलब्धि पर गर्व व्यक्त किया।शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास
कैसे देखें शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा?
अगर आप भी इस ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा बनना चाहते हैं और शुभांशु शुक्ला की टीम को लाइव देखना चाहते हैं, तो स्पेसएक्स ने इसके लिए एक विशेष सुविधा दी है। स्पेसएक्स ने एक लाइव ट्रैकिंग लिंक जारी किया है, जिसके माध्यम से कोई भी ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट की यात्रा को ट्रैक कर सकता है। यह स्पेसक्राफ्ट 26 जून को भारतीय समयानुसार शाम 4:30 बजे ISS से सफलतापूर्वक डॉक करेगा।शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास
यह मिशन भारत के युवाओं के लिए एक नई प्रेरणा है और यह साबित करता है कि भारतीय प्रतिभा किसी भी ऊँचाई को छूने में सक्षम है।शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास









