सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी: सहमति से बना संबंध, यह रेप नहीं

शादी का वादा टूटना बलात्कार नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि शादी का वादा टूटने से बलात्कार का आरोप नहीं लगाया जा सकता। शीर्ष अदालत ने इस आधार पर दर्ज किए गए एक रेप केस को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी: सहमति से बना संबंध, यह रेप नहीं
क्या है पूरा मामला?
✔️ एक व्यक्ति पर शादी का झांसा देकर महिला से जबरन शारीरिक संबंध बनाने का आरोप था।
✔️ मद्रास हाईकोर्ट ने IPC की धारा 376 और 420 के तहत FIR रद्द करने से इनकार कर दिया था।
✔️ इसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने याचिका स्वीकार की।
✔️ कोर्ट ने कहा कि महिला तीन बार आरोपी के साथ होटल गई थी और हर बार उसने अपनी मर्जी से संबंध बनाए। सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी: सहमति से बना संबंध, यह रेप नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
? “कोई भी ठोस सबूत नहीं कि सहमति धोखाधड़ी से ली गई थी।”
? महिला ने अपने बयानों में खुद स्वीकार किया कि वह आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी।
? पहली घटना के बाद मानसिक तनाव का दावा करने के बावजूद, वह दोबारा आरोपी के साथ होटल गई।
? “अगर किसी को जबरन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया हो, तो वह बार-बार उसी परिस्थिति में नहीं जाती।” सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी: सहमति से बना संबंध, यह रेप नहीं
महत्वपूर्ण कानूनी पहलू
✅ कोर्ट ने पृथ्वीराज बनाम राज्य केस का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि –
1️⃣ यदि आरोपी ने सिर्फ यौन संबंध बनाने के इरादे से शादी का झूठा वादा किया हो, तो यह रेप हो सकता है।
2️⃣ लेकिन यदि संबंध आपसी सहमति से बने हैं और शादी नहीं हो पाती, तो इसे रेप नहीं कहा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी: सहमति से बना संबंध, यह रेप नहीं









