Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के केशलूर गांव में इन दिनों कीड़ों ने कहर बरपा रखा है। इस समस्या ने गांववासियों का जीना मुश्किल कर दिया है, क्योंकि कीड़े कभी खाने में गिर जाते हैं, तो कभी लोगों के आंखों और कानों में घुस जाते हैं। मानसून के दौरान सांप, डेंगू और मलेरिया जैसे खतरों के बीच अब ग्रामीणों को इन कीड़ों की नई परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।बस्तर के केशलूर गांव में कीड़ों का आतंक, ग्रामीणों का जीना हुआ दुश्वार
चावल के गोदाम से पैदा हो रहे कीड़े
केशलूर पंचायत के मुरुमगुड़ा पारा में बने वेयरहाउस से यह समस्या शुरू हुई है। इस गोदाम में हजारों क्विंटल चावल का भंडारण किया जाता है, जो तोकापाल, दरभा और बास्तानार के सरकारी उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचाया जाता है। लगातार चावल के भंडारण और प्रबंधकीय लापरवाही के कारण अब इन गोदामों में कीड़े पनपने लगे हैं। यह कीड़े हवा में उड़कर आसपास के घरों तक पहुंच गए हैं, जिससे गांववासी बेहद परेशान हैं।बस्तर के केशलूर गांव में कीड़ों का आतंक, ग्रामीणों का जीना हुआ दुश्वार
ग्रामीणों की नींद उड़ाई कीड़ों ने
गांववासी पिछले दो महीनों से इस समस्या से जूझ रहे हैं। कीड़े खाने में गिरने से लेकर छोटे बच्चों को काटने तक, हर तरह से लोगों को परेशान कर रहे हैं। ग्रामीणों ने कई बार वेयरहाउस प्रबंधक से शिकायत की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। दवा का छिड़काव ना होने के कारण कीड़ों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है।बस्तर के केशलूर गांव में कीड़ों का आतंक, ग्रामीणों का जीना हुआ दुश्वार
वेयरहाउस प्रबंधक की लापरवाही
वेयरहाउस के प्रबंधक राजेन्द्र कुमार चीरा का कहना है कि समय पर चावल की बोरियों को ढकने के लिए कवर नहीं मिल पाया और साधन भी उपलब्ध नहीं थे। इस कारण से दवाई का छिड़काव नहीं हो पाया और कीड़े पनपने लगे। अब स्थिति यह हो गई है कि वेयरहाउस में काम कर रहे कर्मचारी भी खुद को ढक कर काम कर रहे हैं। प्रबंधक ने अब चावल की कवरिंग और दवाई के छिड़काव का वादा किया है, लेकिन ग्रामीणों की परेशानी अभी तक खत्म नहीं हुई है।बस्तर के केशलूर गांव में कीड़ों का आतंक, ग्रामीणों का जीना हुआ दुश्वार