रायपुर

आपातकाल के 50 साल: रायपुर में गूंजी लोकतंत्र की आवाज, BJYM की ‘युवा संसद’ में जुटे दिग्गज नेता

आपातकाल के 50 साल: रायपुर में गूंजी लोकतंत्र की आवाज, BJYM की ‘युवा संसद’ में जुटे दिग्गज नेता

मुख्य बिंदु:

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  • आपातकाल की 50वीं बरसी पर भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) का विशेष आयोजन।

  • विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने किया शुभारंभ, सीएम विष्णुदेव साय समापन समारोह में होंगे शामिल।

  • युवाओं को लोकतंत्र के काले अध्याय से परिचित कराना मुख्य उद्देश्य।

रायपुर:रायपुर में गूंजी लोकतंत्र की आवाज,  छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आज लोकतंत्र के इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय को याद किया गया। भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) ने देश में लगे आपातकाल की 50वीं बरसी के अवसर पर एक वृहद ‘युवा संसद’ का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आज की युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के उस काले दौर से परिचित कराना है, जब नागरिकों के अधिकारों को कुचल दिया गया था।

युवाओं को आपातकाल का सच बताने की पहल

इस ‘यूथ पार्लियामेंट’ का शुभारंभ छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि युवाओं को यह जानना आवश्यक है कि 1975 में देश पर आपातकाल क्यों और कैसे थोपा गया था। उन्होंने लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा करने का आह्वान करते हुए इस आयोजन को एक सार्थक पहल बताया। कार्यक्रम में प्रदेश भर से आए युवाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और आपातकाल के विषय पर अपने विचार रखे।

वरिष्ठ नेताओं का मार्गदर्शन, दिग्गजों का जमावड़ा

इस युवा संसद में प्रदेश के कई बड़े नेता शामिल हुए। उद्घाटन सत्र में डॉ. रमन सिंह के साथ उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव और मंत्री श्री टंक राम वर्मा भी मौजूद रहे। इन नेताओं ने युवाओं के साथ संवाद किया और उन्हें आपातकाल के दौरान हुए संघर्ष और लोकतंत्र की पुनर्स्थापना की कहानी बताई।रायपुर में गूंजी लोकतंत्र की आवाज

कार्यक्रम को दो सत्रों में बांटा गया है। शाम को होने वाले समापन समारोह में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय भी शामिल होंगे और युवाओं को संबोधित करेंगे। उनकी उपस्थिति इस कार्यक्रम के महत्व को और बढ़ा देती है।रायपुर में गूंजी लोकतंत्र की आवाज

क्यों महत्वपूर्ण है यह आयोजन?

आज से 50 साल पहले, 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाया गया था, जो 21 महीनों तक चला। इस दौरान प्रेस की आजादी छीन ली गई थी और विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। BJYM की यह युवा संसद न केवल उन लोकतंत्र सेनानियों को श्रद्धांजलि है जिन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई, बल्कि यह नई पीढ़ी के लिए एक शैक्षिक मंच भी है ताकि वे लोकतंत्र के महत्व को समझ सकें और इसकी रक्षा के लिए हमेशा सजग रहें।रायपुर में गूंजी लोकतंत्र की आवाज

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