रायपुर। एशिया का फेफड़ा माने जाने वाले हसदेव अरण्य के जंगलों में कोयला खनन के लिए लाखों पेड़ काटे जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण उन सरकारी अफसरों द्वारा दी गई अनुमति है, जिन्होंने नियमों की अनदेखी कर जंगल को काटने का रास्ता साफ किया। अनुसूचित जनजाति आयोग की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि इन अफसरों ने दबाव डालकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए और आदिवासियों को प्रताड़ित किया। हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई का असली गुनहगार कौन? सरकारी अफसरों की भूमिका का खुलासा
प्रमुख आरोपी अफसर:
- किरण कौशल: तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल ने कोल माइनिंग के लिए वन भूमि डायवर्सन का सर्टिफिकेट दिया, जिसमें ग्रामसभा की अनुमति की फर्जी रिपोर्ट शामिल की गई।
- निर्मल तिग्गा: तत्कालीन अपर कलेक्टर ने इस प्रक्रिया में सहायक भूमिका निभाई।
- नानसाय मिंज: तत्कालीन कार्यपालन अधिकारी, जिन्होंने दबाव डालकर ग्रामसभा के फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए।
- अजय त्रिपाठी: तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर, जिन्होंने इस दस्तावेज़ी गड़बड़ी में भूमिका निभाई।
- नितिन गोंड: अनुविभागीय अधिकारी, जिन्होंने ग्रामसभा की फर्जी अनुमति को मंजूरी दी।
- बालेश्वर राम: तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर, जिन्होंने कूट रचित दस्तावेजों की जांच को नजरअंदाज किया।
- सुधीर खलखो: तत्कालीन तहसीलदार, जिन्होंने ग्राम सभा के सचिव को जबरन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए बंधक बनाकर रखा। हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई का असली गुनहगार कौन? सरकारी अफसरों की भूमिका का खुलासा
कैसे हुई हेरफेर:
ग्राम पंचायत साल्ही के तत्कालीन सचिव, छत्रपाल सिंह टेकाम ने अनुसूचित जनजाति आयोग को बताया कि अफसरों ने दबाव डालकर ग्रामसभा की बैठक के बाद प्रस्ताव में हेरफेर की। अधिकारीयों ने तहसीलदार के घर बंधक बनाकर फर्जी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करवाए और नई उपस्थिति पंजी तैयार करवाई। इन दस्तावेजों को फर्जी तरीके से अनुमोदन प्राप्त करने के लिए उपयोग किया गया, जिससे आदिवासी समुदाय को मानसिक और कानूनी तौर पर प्रताड़ित किया गया। हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई का असली गुनहगार कौन? सरकारी अफसरों की भूमिका का खुलासा
अनुसूचित जनजाति आयोग की सख्त टिप्पणी:
आयोग ने इन अफसरों के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की और कहा कि उनका कृत्य पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों के ग्राम सभा के अधिकारों पर हमला है। सरकारी अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए ये फर्जी प्रस्ताव अनुसूचित जनजाति प्रताड़ना में आते हैं, और उनपर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई का असली गुनहगार कौन? सरकारी अफसरों की भूमिका का खुलासा