फर्जी नियुक्ति पत्र और सूदखोरी के गंभीर आरोप, पुलिस के शिकंजे से फिर बच निकला
बिलासपुर। सिविल लाइन पुलिस ने हाल ही में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस कार्रवाई के बाद शहर में चर्चा जोरों पर है कि इस फर्जीवाड़े के मुख्य आरोपी, जो एक भाजपा नेता हैं, को फिर से पुलिस ने अभयदान दे दिया। यह नेता न केवल सूदखोरी के लिए कुख्यात है, बल्कि सरकारी विभागों के फर्जी नियुक्ति पत्र बनवाने और ठगी करने में भी संलिप्त है। कौन है यह विवादित भाजपा नेता?
भाजपा नेता का नाम क्यों आ रहा है विवादों में?
पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि गिरफ्तार आरोपियों में से एक, पुरूषोत्तम तिवारी, मंगला चौक स्थित एक फोटोस्टेट दुकान से गिरफ्तार हुआ। यह दुकान कथित भाजपा नेता की है। यहां से फर्जी दस्तावेज और नियुक्ति पत्र बनवाने का काम होता था। फर्जी नियुक्ति पत्रों के जरिए लाखों रुपये वसूले जाते थे। कौन है यह विवादित भाजपा नेता?
6 साल पहले भी लग चुका है सूदखोरी का आरोप
सूत्रों के अनुसार, इस भाजपा नेता का आपराधिक रिकॉर्ड पहले से ही बड़ा है। 6 साल पहले सूदखोरी के गंभीर आरोपों में पुलिस ने इसे गिरफ्तार किया था। लेकिन आईजी कार्यालय तक पहुंचने से पहले ही इसे छोड़ दिया गया। इसके बाद लंबे समय तक इस नेता ने राजनीति और सार्वजनिक गतिविधियों से दूरी बनाए रखी। कौन है यह विवादित भाजपा नेता?
फर्जी नियुक्ति पत्र के खेल का खुलासा
- पुलिस ने चार लोगों को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने के जुर्म में गिरफ्तार किया।
- हर पीड़ित से 22-22 लाख रुपये लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र थमाए गए।
- जांच में पता चला कि आरोपी फर्जी दस्तावेज भाजपा नेता के फोटोस्टेट दुकान से बनवाते थे। कौन है यह विवादित भाजपा नेता?
विवादों का सिलसिला और बढ़ा
भाजपा नेता पर सरकारी जमीन बेचने, अवैध प्लाटिंग करने और एक स्कूल से लंबे समय से विवाद होने के भी आरोप हैं। वर्तमान में यह नेता करीब 10 करोड़ रुपये की संपत्ति का मालिक है। इसके बावजूद, यह अपने रसूख का इस्तेमाल कर पुलिस और प्रशासन की पकड़ से बार-बार बच निकलता है। कौन है यह विवादित भाजपा नेता?
शहर में बढ़ती नाराजगी
शहर में इस मामले को लेकर चर्चाएं तेज हैं। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर कब इस नेता पर कार्रवाई होगी? क्या भाजपा नेता को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है? कौन है यह विवादित भाजपा नेता?