साधुराम हॉस्पिटल के डॉक्टरों का कमाल: महिला को मिला नया जीवन, सालों के दर्द से मिली मुक्ति!
सूरजपुर जिले में गठिया से पीड़ित महिला के घुटने का सफल प्रत्यर्पण, अब चल फिर सकती है खुशी-खुशी

सूरजपुर: साधुराम हॉस्पिटल के डॉक्टरों का कमाल: महिला को मिला नया जीवन, सालों के दर्द से मिली मुक्ति!, सूरजपुर जिले के साधुराम हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने एक बार फिर चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है। उन्होंने गठिया से गंभीर रूप से पीड़ित एक महिला के घुटने का सफल प्रत्यर्पण कर उसे दस साल के असहनीय दर्द और बिस्तर पर सिमट चुके जीवन से मुक्ति दिलाई है। यह ऑपरेशन सिर्फ एक चिकित्सा प्रक्रिया नहीं, बल्कि उस महिला के लिए एक नया जीवनदान साबित हुआ है।
दस साल का दर्दनाक सफर:
पीड़ित महिला पिछले दस सालों से गठिया की बीमारी से जूझ रही थी। इस बीमारी ने उसके घुटनों को इस कदर खराब कर दिया था कि वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गई थी और उसका पूरा जीवन एक ही बिस्तर तक सीमित होकर रह गया था। उसका दर्द इतना गहरा था कि जिसने भी उसे देखा, उसका दिल पसीज गया। महिला ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह अपने पैरों पर फिर से चल पाएगी। उसने कई जगहों पर इलाज कराया, लेकिन कहीं से भी उसे राहत नहीं मिली, जिससे उसकी उम्मीदें लगभग खत्म हो चुकी थीं।महिला को मिला नया जीवन, सालों के दर्द से मिली मुक्ति!
साधुराम हॉस्पिटल बना उम्मीद की किरण:
जब महिला हर तरफ से निराश हो चुकी थी, तब साधुराम हॉस्पिटल उसके जीवन में रोशनी बनकर आया। यहां के डॉक्टरों ने उसके दर्द को अपना दर्द समझा और पूरी संवेदनशीलता के साथ उसकी जांच की। जांच में पता चला कि महिला गठिया बाध से गंभीर रूप से पीड़ित है और उसके घुटने पूरी तरह से खराब हो चुके हैं।महिला को मिला नया जीवन, सालों के दर्द से मिली मुक्ति!
डॉ. राकेश बिक्कासैनी और उनकी टीम का सफल ऑपरेशन:
साधुराम हॉस्पिटल के डायरेक्टर राहुल अग्रवाल ने महिला की गंभीर स्थिति को देखते हुए तुरंत डॉ. राकेश बिक्कासैनी से संपर्क किया। डॉ. बिक्कासैनी ने अपनी टीम के साथ मिलकर महिला के इलाज का जिम्मा उठाया। कई घंटों की कड़ी मेहनत और गहन चिकित्सा प्रक्रिया के बाद, डॉ. राकेश बिक्कासैनी और उनकी टीम ने महिला के घुटनों का सफल प्रत्यर्पण (नी रिप्लेसमेंट) किया।महिला को मिला नया जीवन, सालों के दर्द से मिली मुक्ति!
अब खुशी-खुशी चल पा रही है महिला:
इस सफल ऑपरेशन के बाद, महिला अब अपने पैरों पर खुशी-खुशी चल पा रही है। उसके चेहरे पर जो मुस्कान है, वह दस साल के दर्द और निराशा के बाद मिली आजादी की प्रतीक है। यह उपलब्धि न केवल साधुराम हॉस्पिटल के डॉक्टरों की विशेषज्ञता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि सही समय पर सही चिकित्सा मिलने पर किसी भी व्यक्ति का जीवन कैसे बदल सकता है।महिला को मिला नया जीवन, सालों के दर्द से मिली मुक्ति!
यह घटना सूरजपुर जिले में चिकित्सा सुविधाओं की बढ़ती गुणवत्ता और डॉक्टरों के समर्पण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो मरीजों को उम्मीद और नया जीवन प्रदान कर रहे हैं।महिला को मिला नया जीवन, सालों के दर्द से मिली मुक्ति!








