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यौन उत्पीड़न का आरोपी बना हरियाणा में बड़ा कानून अधिकारी, BJP सांसद के बेटे की नियुक्ति पर मचा बवाल

यौन उत्पीड़न का आरोपी बना हरियाणा में बड़ा कानून अधिकारी, BJP सांसद के बेटे की नियुक्ति पर मचा बवाल

यौन उत्पीड़न का आरोपी बना हरियाणा में बड़ा कानून अधिकारी, हरियाणा सरकार का एक फैसला बड़े विवादों में घिर गया है। यौन उत्पीड़न और अपहरण की कोशिश जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे विकास बराला को राज्य का असिस्टेंट एडवोकेट जनरल (AAG) नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति इसलिए सवालों के घेरे में है क्योंकि विकास बराला पर साल 2017 में एक IAS अधिकारी की बेटी का पीछा करने का आरोप लगा था, जिसका केस अभी भी कोर्ट में चल रहा है। इस फैसले ने राज्य की सियासत में भूचाल ला दिया है और विपक्ष ने सरकार की नीयत पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

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कौन हैं विकास बराला और क्यों है विवाद?

विकास बराला, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राज्यसभा सांसद सुभाष बराला के बेटे हैं। उन्हें हरियाणा सरकार में असिस्टेंट एडवोकेट जनरल जैसे महत्वपूर्ण कानूनी पद पर नियुक्त किया गया है। विवाद की जड़ यह है कि एक व्यक्ति जो खुद एक गंभीर आपराधिक मामले में आरोपी है और जमानत पर बाहर है, उसे सरकार का पक्ष रखने वाले कानून अधिकारी के रूप में कैसे नियुक्त किया जा सकता है?यौन उत्पीड़न का आरोपी बना हरियाणा में बड़ा कानून अधिकारी

क्या था 2017 का चर्चित ‘चंडीगढ़ स्टॉकिंग केस’?

यह मामला 5 अगस्त, 2017 का है, जब चंडीगढ़ में देर रात एक IAS अधिकारी की बेटी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि दो युवकों ने अपनी कार से उसका पीछा किया। आरोप था कि विकास बराला और उसके दोस्त आशीष कुमार ने न केवल उसकी गाड़ी का पीछा किया, बल्कि कई बार उसकी कार को रोकने और जबरन दरवाजा खोलने की भी कोशिश की।यौन उत्पीड़न का आरोपी बना हरियाणा में बड़ा कानून अधिकारी

पीड़िता की शिकायत के बाद चंडीगढ़ पुलिस ने विकास और उसके दोस्त पर आईपीसी की धारा 354-डी (पीछा करना), 341 (गलत तरीके से रोकना) और अपहरण के प्रयास (365/511) के तहत मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इस घटना के समय विकास के पिता सुभाष बराला हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष थे, जिसके चलते यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा था।यौन उत्पीड़न का आरोपी बना हरियाणा में बड़ा कानून अधिकारी

जमानत पर बाहर, कोर्ट में अब भी चल रहा है केस

इस मामले में गिरफ्तारी के बाद विकास बराला को जनवरी 2018 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी। हालांकि, केस अभी खत्म नहीं हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त, 2025 को होनी है। ऐसे में एक लंबित मामले के आरोपी को सरकारी वकील बनाए जाने से विवाद और गहरा गया है।यौन उत्पीड़न का आरोपी बना हरियाणा में बड़ा कानून अधिकारी

पिता का राजनीतिक रसूख और विपक्ष के सवाल

सुभाष बराला हरियाणा भाजपा के एक कद्दावर नेता रहे हैं। वह 2014 से 2020 तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे और इसी साल फरवरी 2024 में राज्यसभा सांसद बने। विपक्ष का आरोप है कि विकास बराला को यह नियुक्ति उनके पिता के राजनीतिक रसूख की वजह से मिली है। विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए सवाल उठाया है कि क्या “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का नारा देने वाली पार्टी का महिलाओं के प्रति यही सम्मान है कि वह यौन उत्पीड़न के आरोपियों को इतने बड़े पद से नवाज रही है? इस नियुक्ति ने एक बार फिर सियासत में परिवारवाद और राजनीतिक संरक्षण के मुद्दे को हवा दे दी है।यौन उत्पीड़न का आरोपी बना हरियाणा में बड़ा कानून अधिकारी

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