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सभी पात्र कर्मचारियों को समान रूप से नियमितीकरण नीति का लाभ मिलना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप: पिछले सप्ताह के प्रमुख फैसलों पर एक नजर

सुप्रीम कोर्ट में 22 जुलाई 2024 से 26 जुलाई 2024 तक के सप्ताह में कुछ महत्वपूर्ण आदेश और फैसले सुनाए गए। आइए, जानते हैं इन प्रमुख मामलों के बारे में:

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सभी पात्र कर्मचारियों को समान रूप से नियमितीकरण नीति का लाभ मिलना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

22 जुलाई, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए कहा कि दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमितीकरण की मांग करने का कानूनी अधिकार नहीं है। लेकिन, यदि सक्षम प्राधिकारी द्वारा किसी भी नीतिगत निर्णय के तहत नियमितीकरण का आदेश दिया जाता है, तो इसका लाभ सभी पात्र व्यक्तियों को समान रूप से मिलना चाहिए।

सभी पात्र कर्मचारियों को समान रूप से नियमितीकरण नीति का लाभ मिलना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने यह आदेश दिया। मामला जबलपुर के सरकारी कलानिकेतन पॉलिटेक्निक कॉलेज का था, जहां एक दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी की नियुक्ति को नियमित करने के निर्देश देने वाले एमपी हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हालांकि, दैनिक वेतन पर काम कर रहे कर्मचारी को नियमितीकरण का कानूनी अधिकार नहीं है, लेकिन यदि प्राधिकारी द्वारा नीतिगत निर्णय लिया जाता है, तो इसका लाभ उन सभी को समान रूप से मिलना चाहिए जो नीति के मापदंडों के अंतर्गत आते हैं।”

मामले की पृष्ठभूमि:

प्रतिवादी **श्याम कुमार यादव** को 26 नवंबर, 1993 को दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया था। बाद में, 12 मई, 1995 को उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं। हालांकि, स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश पर उन्हें फिर से बहाल किया गया। हाईकोर्ट ने पाया कि यादव के कनिष्ठों को नियमित किया गया था, लेकिन यादव को नियमित नहीं किया गया, जिससे यह मामला शत्रुतापूर्ण भेदभाव का बन गया।

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हाईकोर्ट का फैसला:

हाईकोर्ट ने यादव के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसे बाद में खंडपीठ ने 16 मार्च, 2018 को भी बरकरार रखा। इसके बाद राज्य सरकार ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को अस्पष्ट और भ्रामक पाया। न्यायालय ने पाया कि यादव ने 2005 से 2009 तक नियमित रूप से काम किया, जिससे उनकी नियमितीकरण के लिए पात्रता निर्विवाद थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं पाया और मध्य प्रदेश राज्य की विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी।

अंततः, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन महीने के भीतर यादव को वेतन और वरिष्ठता के बकाया सहित नियमित रोजगार के सभी लाभ प्रदान करने का निर्देश दिया।

केस टाइटल: मध्य प्रदेश राज्य और अन्य बनाम श्याम कुमार यादव और अन्य

 

 

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