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भिलाई में गूंजे खुमान साव के अमर गीत: ‘चंदैनी गोंदा’ ने जयंती पर दी संगीतमय श्रद्धांजलि, यादें हुईं ताजा

भिलाई में गूंजे खुमान साव के अमर गीत: ‘चंदैनी गोंदा’ ने जयंती पर दी संगीतमय श्रद्धांजलि, यादें हुईं ताजा

मुख्य बिंदु:-

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  • छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के पुरोधा खुमान साव की जयंती पर भिलाई में विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन।

  • ‘चंदैनी गोंदा’ के कलाकारों ने दी खुमान साव के कालजयी गीतों की मनमोहक प्रस्तुति।

  • मुख्य अतिथि लोक गायक कुलेश्वर ताम्रकार और साहित्यकार जोगी राम वर्मा ने साझा कीं स्मृतियां।

  • छत्तीसगढ़ी लोक संगीत की गौरवशाली विरासत को सहेजने और आगे बढ़ाने का लिया संकल्प।

भिलाई: भिलाई के कुटेलाभांठा में छत्तीसगढ़ी लोक संगीत की वो धारा बह निकली, जिसने एक बार फिर महान संगीतकार खुमान साव की यादों को सजीव कर दिया। ‘चंदैनी गोंदा’ संस्था के कलाकारों ने अपने संस्थापक की जयंती के अवसर पर एक भव्य संगीतमय श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें कला और साहित्य जगत की कई जानी-मानी हस्तियों ने शिरकत की।भिलाई में गूंजे खुमान साव के अमर गीत

कला और साहित्य जगत ने किया नमन

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मंदराजी सम्मान से सम्मानित प्रसिद्ध लोक गायक कुलेश्वर ताम्रकार उपस्थित थे। उन्होंने ‘चंदैनी गोंदा’ के साथ अपने शुरुआती दिनों के अनुभवों को साझा करते हुए माहौल को भावुक कर दिया। उन्होंने खुमान साव के निर्देशन में बने अमर गीतों, जैसे- छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना और देवार गीत की प्रस्तुति देकर दिवंगत कलाकार को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।भिलाई में गूंजे खुमान साव के अमर गीत

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार जोगी राम वर्मा ने खुमान साव के साथ बिताए पलों को याद किया और संस्था के कार्यों पर एक खूबसूरत कविता प्रस्तुत कर सभी का दिल जीत लिया। वहीं, संस्था के संरक्षक डॉ. दीनदयाल साहू और भाजपा नेता सुंदरलाल साहू ने भी कलाकारों की मेहनत की सराहना की और भविष्य में और भी बड़े आयोजन करने के लिए प्रेरित किया।भिलाई में गूंजे खुमान साव के अमर गीत

जब मंच पर जीवंत हुए कालजयी गीत

भिलाई में गूंजे खुमान साव के अमर गीत: 'चंदैनी गोंदा' ने जयंती पर दी संगीतमय श्रद्धांजलि, यादें हुईं ताजा

इस कार्यक्रम का सबसे आकर्षक पहलू खुमान साव द्वारा संगीतबद्ध किए गए उन अमर गीतों की प्रस्तुति थी, जो आज भी छत्तीसगढ़ के जन-मन में बसे हुए हैं। कलाकारों ने जब मंच पर इन गीतों को छेड़ा, तो दर्शक भी झूम उठे। प्रस्तुत किए गए प्रमुख गीतों में शामिल थे:

  • “धरती के अंगना में चंदैनी फुलगे”

  • “तोला जाना परे ना काया ल छोड़के”

  • “नाच नचनी हो झूम-झूम के झमाझम”

  • “अहो-अहो मन भजो गणपति महाराज”

ओम प्रकाश साहू, अनुराग थावरे, हरीश कुमार, और गोपी पटेल समेत अन्य कई कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से समां बांध दिया।

एक संकल्प, एक विरासत

यह कार्यक्रम केवल एक श्रद्धांजलि सभा नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ी लोक संगीत की समृद्ध परंपरा को बनाए रखने का एक संकल्प भी था। उपस्थित सभी कलाकारों और कला प्रेमियों ने खुमान साव की विरासत को अक्षुण्ण रखने और ‘चंदैनी गोंदा’ की स्वच्छ और गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रण लिया।भिलाई में गूंजे खुमान साव के अमर गीत

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