बिलासपुर

छत्तीसगढ़ राज्योत्सव: पद्मश्री कला साधक का दर्द – क्या अपने कलाकारों का सम्मान भूल गया उत्सव?

राज्योत्सव में स्थानीय कलाकारों की उपेक्षा पर सवाल

बिलासपुर के पुलिस ग्राउंड में चल रहे छत्तीसगढ़ राज्योत्सव में स्थानीय कलाकारों को सम्मान न मिलना चर्चा का विषय बन गया है। पद्मश्री प्राप्त कथक गुरु रामलाल बरेठ ने इस पर खुलकर अपनी नाराज़गी जाहिर की है। उनका कहना है कि जिस राज्योत्सव में हमारे स्थानीय कलाकारों की उपेक्षा हो, वह उत्सव कैसा? कला प्रेमियों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या ऐसे आयोजनों में हमारे प्रदेश के कलाकारों को प्रदर्शन का अवसर और मान-सम्मान नहीं मिलना चाहिए? छत्तीसगढ़ राज्योत्सव: पद्मश्री कला साधक का दर्द – क्या अपने कलाकारों का सम्मान भूल गया उत्सव?

WhatsApp Group Join Now
Facebook Page Follow Now
YouTube Channel Subscribe Now
Telegram Group Follow Now
Instagram Follow Now
Dailyhunt Join Now
Google News Follow Us!

रायगढ़ कथक घराने के योगदान को नजरअंदाज करने का दर्द

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ घराने का कथक नृत्य में विशेष स्थान है, और रामलाल बरेठ इस परंपरा के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। उन्हें पद्मश्री के साथ कई राष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि रायगढ़ कथक घराने से जुड़े कलाकारों को राज्योत्सव में न बुलाना दुखद है। वे स्थानीय मंच पर प्रदर्शन करने के हकदार हैं, ताकि नई पीढ़ी को भी प्रोत्साहन मिले और कला का प्रसार हो। छत्तीसगढ़ राज्योत्सव: पद्मश्री कला साधक का दर्द – क्या अपने कलाकारों का सम्मान भूल गया उत्सव?

राज्योत्सव की तैयारी और अनदेखी का विरोध

सरकार द्वारा राज्योत्सव के आयोजन पर विशेष ध्यान दिया गया, लेकिन स्थानीय कला साधकों को मौका न देने से स्थानीय जनता में निराशा है। आयोजन में बड़ी संख्या में बाहर के कलाकारों को बुलाकर उनका भव्य स्वागत किया गया, लेकिन स्थानीय कलाकारों को मौका नहीं मिला। इस उपेक्षा ने सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राज्योत्सव का असली उद्देश्य हमारे अपने कलाकारों का सम्मान करना नहीं है? छत्तीसगढ़ राज्योत्सव: पद्मश्री कला साधक का दर्द – क्या अपने कलाकारों का सम्मान भूल गया उत्सव?

2 जुलाई की महारैली में "आप" दिखाएगी बीजेपी-कांग्रेस को अपना दम, प्रदेशभर से आएंगे 1 लाख से अधिक लोग : निरंजन भाई बसावा

कला साधकों के हौसले को चोट

रामलाल बरेठ जैसे वरिष्ठ कलाकारों ने वर्षों तक अपने कला को समर्पित किया है। उनका मानना है कि स्थानीय मंच पर प्रदर्शन न मिलने से नए कलाकारों का हौसला टूटता है। कला साधक अपने ही राज्य में सम्मान न मिलने से आहत होते हैं और इस तरह की अनदेखी स्थानीय कला प्रेमियों के लिए भी दुखद है। छत्तीसगढ़ राज्योत्सव: पद्मश्री कला साधक का दर्द – क्या अपने कलाकारों का सम्मान भूल गया उत्सव?

संस्कृति विभाग से अपेक्षाएँ और सुधार की मांग

छत्तीसगढ़ के कला प्रेमियों और स्थानीय कलाकारों का यह मानना है कि संस्कृति विभाग को इस मामले पर ध्यान देना चाहिए। राज्योत्सव में स्थानीय कलाकारों को शामिल कर उनका उत्साहवर्धन करना चाहिए। छत्तीसगढ़ राज्योत्सव: पद्मश्री कला साधक का दर्द – क्या अपने कलाकारों का सम्मान भूल गया उत्सव?

Related Articles

WP Radio
WP Radio
OFFLINE LIVE
सैकड़ो वर्षो से पहाड़ की चोटी पर दिका मंदिर,51 शक्ति पीठो में है एक,जानिए डिटेल्स शार्ट सर्किट की वजह से फर्नीचर कंपनी के गोदाम में लगी आग महेश नवमी का माहेश्वरी समाज से क्या है संबंध? भारत ऑस्ट्रेलिया को हराकर टी20 वर्ल्ड कप से कर सकता है बाहर बिना कुछ पहने सड़को पर निकल गई उर्फी जावेद , देखकर बोले फैंस ये क्या छत्तीसगढ़ पुलिस कांस्टेबल शारीरिक दक्षता परीक्षा की तारीख घोषित, जानें पूरी डिटेल एक जुलाई से बदलने वाला है IPC, जाने क्या होने जा रहे है बदलाव WhatsApp या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नहीं दिया जा सकता धारा 41ए CrPC/धारा 35 BNSS नोटिस The 12 Best Superfoods for Older Adults Mother died with newborn case : महिला डॉक्टर समेत 2 नर्सों पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज