छत्तीसगढ़ बनेगा ‘हर्बल स्टेट’, औषधीय खेती से मजबूत होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था
📌 मुख्य बिंदु :
- औषधीय पौधों से एक एकड़ में धान से कई गुना आमदनी।
- पारंपरिक वैद्यों का ज्ञान होगा डिजिटली संरक्षित।
- ‘मोर मेड़ मोर पेड़’ से बड़े पैमाने पर पौधारोपण।
- तेंदूपत्ता संग्राहकों को ₹5500 प्रति बोरा भुगतान।
- छत्तीसगढ़ बनेगा हर्बल मेडिसिन का हब।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का बड़ा ऐलान: औषधीय पौधों से किसानों की आमदनी होगी कई गुना
रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि अब समय आ गया है कि किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ औषधीय पौधों की खेती को भी अपनाएं। इससे उनकी आय में कई गुना वृद्धि हो सकती है। उन्होंने यह बातें छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के नव नियुक्त अध्यक्ष विकास मरकाम के पदभार ग्रहण समारोह में कहीं।औषधीय खेती से मजबूत होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था
औषधीय खेती बनेगी आत्मनिर्भरता का आधार
मुख्यमंत्री ने कहा कि धान की एक एकड़ फसल से जितनी आय होती है, उससे कहीं अधिक मुनाफा औषधीय पौधों की खेती से प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य में बस्तर और सरगुजा जैसे वन क्षेत्रों में ऐसी खेती के लिए अपार संभावनाएं हैं।औषधीय खेती से मजबूत होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था
परंपरागत वैद्यों के ज्ञान को मिलेगा वैज्ञानिक आधार
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमारी परंपरा में बैगा, गुनिया और वैद्यराजों का अमूल्य ज्ञान रहा है। अब समय है इस ज्ञान को डिजिटल डाटाबेस के रूप में संग्रहीत कर आधुनिक चिकित्सा के साथ जोड़ा जाए
‘मोर मेड़ मोर पेड़’ से औषधीय पौधों का होगा विस्तार
नवनियुक्त बोर्ड अध्यक्ष विकास मरकाम ने कहा कि “मोर मेड़ मोर पेड़” अभियान के माध्यम से खेतों की मेड़ों पर औषधीय और उपयोगी वृक्षों का रोपण किया जाएगा। इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा और किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।औषधीय खेती से मजबूत होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था
एलोपैथी की सीमाओं का समाधान है आयुर्वेद
विकास मरकाम ने कहा कि दुनिया आज लाइलाज बीमारियों से जूझ रही है। ऐसे में पारंपरिक औषधियों और आयुर्वेद की उपयोगिता बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की जड़ी-बूटियां विश्व स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान दे सकती हैं।
छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता और वनोपज से ग्रामीणों को लाभ
वन मंत्री केदार कश्यप ने बताया कि छत्तीसगढ़ देश का सबसे बड़ा तेंदूपत्ता संग्रहण राज्य है। यहां तेंदूपत्ता संग्राहकों को 5500 रुपये प्रति मानक बोरा की दर से भुगतान किया जा रहा है। राज्य में 67 प्रकार की लघु वनोपजों की भी खरीदी की जा रही हैऔषधीय खेती से मजबूत होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था
पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित कर बनाएं स्वास्थ्य संपन्न भारत
रामविचार नेताम ने कहा कि आदिवासी समाज के वैद्य व गुनिया जड़ी-बूटियों से वर्षों से इलाज करते आ रहे हैं। अब उनकी जानकारी को संरक्षित कर आधुनिक उपचार पद्धतियों से जोड़ा जाएगा। इससे समाज को एक सशक्त और स्वस्थ भविष्य मिलेगा।औषधीय खेती से मजबूत होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था
स्थानीय वैद्य बनेंगे देश के हेल्थ वॉरियर्स
समीर उरांव ने कहा कि जो ज्ञान स्थानीय गुनिया और बैगा के पास है, वह कई बार आधुनिक चिकित्सा से भी प्रभावी होता है। अब इन परंपराओं को संरक्षित कर वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई जाएगी।औषधीय खेती से मजबूत होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था