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CJI बी.आर. गवई महाराष्ट्र दौरे पर: प्रोटोकॉल की अनदेखी पर जताई नाराजगी, संवैधानिक सम्मान को बताया अहम

मुख्य न्यायाधीश का महाराष्ट्र में भव्य स्वागत, प्रोटोकॉल पर उठाए सवाल
महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय वकील सम्मेलन में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस अवसर पर CJI गवई ने मिले स्नेह और सम्मान के प्रति आभार व्यक्त करते हुए इसे अविस्मरणीय क्षण बताया। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालने के बाद अपनी पहली महाराष्ट्र यात्रा के दौरान, उन्होंने राज्य के शीर्ष अधिकारियों की अनुपस्थिति पर निराशा व्यक्त करते हुए इसे प्रोटोकॉल और संवैधानिक संस्थाओं के आपसी सम्मान से जुड़ा मुद्दा बताया।CJI बी.आर. गवई महाराष्ट्र दौरे पर

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संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान सर्वोपरि: CJI गवई
न्यायमूर्ति गवई ने स्पष्ट किया कि जब भारत के मुख्य न्यायाधीश पहली बार राज्य का दौरा करते हैं और राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक व मुंबई पुलिस आयुक्त जैसे शीर्ष अधिकारी उपस्थित नहीं होते, तो यह केवल एक प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं के प्रति सम्मान में कमी को दर्शाता है। उन्होंने महाराष्ट्र की लोकतांत्रिक, प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था की सराहना करते हुए इसे समावेशी बताया।CJI बी.आर. गवई महाराष्ट्र दौरे पर

संघर्षों से सर्वोच्च शिखर तक: CJI ने साझा किए जीवन के अनुभव
अपने संबोधन में CJI गवई ने अपने जीवन के संघर्षों को याद किया। उन्होंने बताया कि कैसे अमरावती की साधारण बस्तियों में रहकर नगर निगम के स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। वकील बनना उनका प्रारंभिक सपना नहीं था, उनकी रुचि वास्तुकला में थी। परन्तु, उनके पिता, जो अंबेडकर आंदोलन से गहराई से जुड़े थे, चाहते थे कि वे कानून की पढ़ाई करें। अपने पिता के इस सपने को उन्होंने साकार किया।CJI बी.आर. गवई महाराष्ट्र दौरे पर

संविधान के प्रति अटूट निष्ठा
CJI गवई ने बताया कि संविधान के प्रति उनका लगाव बचपन से ही विकसित हुआ, क्योंकि उनके पिता संविधान को सर्वोच्च मानते थे। उन्होंने अपने करियर के हर कदम पर संविधान और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दी। कानून की पढ़ाई के दौरान पिता की अनुपस्थिति को महसूस करते हुए भी, उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलों से सीखकर अपना मार्ग प्रशस्त किया।CJI बी.आर. गवई महाराष्ट्र दौरे पर

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नागपुर पीठ और बाबासाहेब अम्बेडकर की प्रतिमा
मुख्य न्यायाधीश ने गर्व के साथ उल्लेख किया कि सुप्रीम कोर्ट की भवन समिति में रहते हुए उन्होंने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने का सुझाव दिया था, जो आज साकार हो चुका है। नागपुर पीठ में पदभार संभालने के अपने निर्णय पर उन्होंने कहा कि उस समय सरकारी वकीलों का वेतन कम होने के कारण वे झिझक रहे थे, लेकिन आज उन्हें उस अवसर को स्वीकार करने पर खुशी है।CJI बी.आर. गवई महाराष्ट्र दौरे पर

सामाजिक बाधाओं को पार कर सर्वोच्च पद तक
न्यायमूर्ति गवई ने उस दौर को भी याद किया जब यह चर्चा आम थी कि अनुसूचित जाति-जनजाति समुदाय का कोई व्यक्ति भारत का मुख्य न्यायाधीश नहीं बन सकता। लेकिन, अपने सहयोगियों और वरिष्ठों के प्रोत्साहन और समर्थन से वे इस मुकाम तक पहुंचे। उन्होंने नागपुर में अवैध निर्माण हटाने के आदेश के समय गरीबों के आशियाने बचाने के अपने प्रयासों का भी जिक्र किया।CJI बी.आर. गवई महाराष्ट्र दौरे पर

संविधान के 75 वर्ष और CJI का दायित्व
संविधान की 75 वर्षों की यात्रा का उल्लेख करते हुए, CJI गवई ने कहा कि इस ऐतिहासिक वर्ष में उन्हें देश के मुख्य न्यायाधीश बनने का अवसर मिलना उनके लिए अत्यंत सौभाग्य की बात है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभ – न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका – ने देश को सामाजिक और राजनीतिक न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।CJI बी.आर. गवई महाराष्ट्र दौरे पर

संविधान ही सर्वोच्च, मूल ढांचे में बदलाव नहीं
न्यायमूर्ति गवई ने जोर देकर कहा कि संसद संविधान में संशोधन कर सकती है, लेकिन उसके मूल ढांचे को परिवर्तित नहीं कर सकती। उन्होंने स्पष्ट किया कि न तो संसद, न कार्यपालिका और न ही न्यायपालिका, कोई भी संविधान से ऊपर नहीं है; संविधान ही सर्वोच्च है।CJI बी.आर. गवई महाराष्ट्र दौरे पर

अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने का संकल्प
CJI ने बताया कि उन्हें देश के हर कोने तक पहुंचने का अवसर मिला है और उन्होंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि न्याय देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश जैसे दूरदराज के क्षेत्रों का दौरा कर उन्होंने वहां के लोगों को विश्वास दिलाया कि देश उनके साथ है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी अन्य संवैधानिक संस्था के प्रमुख के साथ प्रोटोकॉल की ऐसी अनदेखी होती, तो शायद अनुच्छेद 142 जैसे प्रावधानों पर गंभीर चर्चा छिड़ जाती।CJI बी.आर. गवई महाराष्ट्र दौरे पर

सेवानिवृत्ति के बाद जनसेवा को समर्पित
समारोह के अंत में, न्यायमूर्ति गवई ने यह स्पष्ट किया कि वे सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद स्वीकार नहीं करेंगे और आम नागरिकों की सेवा के लिए सदैव उपलब्ध रहेंगे। उनका यह कथन न्याय और सेवा के प्रति उनके गहरे समर्पण को दर्शाता है।CJI बी.आर. गवई महाराष्ट्र दौरे पर

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