यहां बिना पैसे कोई काम नहीं होता, पटवारी बोले रुपये तो देने पड़ेंगे : वीडियो वायरल

यहां बिना पैसे कोई काम नहीं होता, पटवारी बोले रुपये तो देने पड़ेंगे : वीडियो वायरल
NCG News desk Gaurela-Pendra-Marwahi:-
निडर छत्तीसगढ़। गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के राजस्व विभाग में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारी ने लोगों को इस कदर परेशान कर रखा है कि लोग यह कहने लगे हैं कि नए सरकार में कौन राजस्व मंत्री आयेंगे जो राजस्व के मामले में लोगों की परेशानी खत्म करेंगे।यहां बिना पैसे कोई काम नहीं होता

राजस्व मामले में बिना रिश्वत के कोई काम नहीं होता यह कोई आम बात नहीं है और कई बार रिश्वत के साथ कई पटवारी, राजस्व निरीक्षक एवं तहसीलदार पकड़े भी गए हैं और उनके ऊपर कार्यवाही भी हुई है। लेकिन इसके बावजूद यह रिश्वत वाला चलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा ऐसा लग रहा है कि इन्हें तनख्वाह ही रिश्वत लेने की दी जा रही है बिना रिश्वत के एक कागज पर साइन नहीं होता। कई ऐसे मामले देखे जा चुके हैं इसके बावजूद इस पर नियंत्रण लगा पाने में जिला प्रशासन भी नाकाम होती दिख रही है।यहां बिना पैसे कोई काम नहीं होता

पटवारियों का तो हाल और भी बुरा है पटवारी हर काम के लिए बिना पैसे के कागज पर हस्ताक्षर ही नहीं करते सील लगाकर रखेंगे पर हस्ताक्षर तो पैसा मिलने के बाद ही करेंगे। यहां बिना पैसे कोई काम नहीं होता
ऐसा ही एक मामला फिर से सामने आया है। गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के पेंड्रा तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बंधी, अड़भार पटवारी विजय सिंग खुलेआम ग्रामीणों से पैसों की मांग करता है और पैसे न देने पर लोगो के काम को रोक कर रखता है जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया में लगातार वायरल हुआ था। अब एक और वीडियो सामने आया है जिसमे पटवारी बोल रहा है कि बिना पैसा यहां काम नहीं होता है, इतनी महंगी जमीन है, कार्य कराने के लिए रुपय तो देने पड़ेंगे। और राजस्व निरीक्षक को पैसा दे दिया हो तो उसी से काम करवा लो मेरे से काम करवाना है तो 4000 दे देना। यहां बिना पैसे कोई काम नहीं होता
इस वीडियो में साफ देखा और सुना जा सकता है की किस तरह पटवारी जमीन का कार्य करने के बदले पहले बोलता है जो देना होगा दे देना फिर बोलता है 4000 दे देना। यहां बिना पैसे कोई काम नहीं होता
बता दे की पटवारी विजय प्रताप द्वारा समस्त कार्यो के लिए ग्रामीणो को अपने कार्यालय के बाहर बुलाया जाता है। ग्रामीणो का कार्य तभी होता है जब पटवारी के द्वारा तय की गई रकम जब तक ग्रामीण पहुंचा ना दे तब तक उसे खूब घुमाया जाता है। यहां तक कि पटवारी सभी कार्यो के लिए रेट निर्धारित करके रखे हुए है।यहां बिना पैसे कोई काम नहीं होता
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![शिक्षा सत्र का डेढ़ माह बीता, अब तक स्कूलों में नहीं पहुंचीं किताबें, पुरानी पुस्तकों के सहारे भविष्य की पढ़ाई गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: छत्तीसगढ़ में नया शैक्षणिक सत्र 2025-26 शुरू हुए डेढ़ महीने से अधिक का समय हो गया है, लेकिन गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले के सरकारी स्कूलों में छात्रों के बस्ते अब भी खाली हैं।[1] पाठ्य पुस्तक निगम की लापरवाही के चलते अधिकांश कक्षाओं की किताबें अब तक स्कूलों तक नहीं पहुंच पाई हैं।[1][2] इस स्थिति के कारण छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है और वे पुरानी किताबों से काम चलाने को मजबूर हैं।[1] त्रैमासिक परीक्षा सिर पर, कैसे पूरा होगा कोर्स? स्कूलों में किताबों की यह कमी शिक्षकों और अभिभावकों दोनों के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गई है। लगभग डेढ़ महीने बाद त्रैमासिक परीक्षाएं होनी हैं, ऐसे में बिना नई किताबों के पाठ्यक्रम को समय पर पूरा करना एक बड़ी चुनौती है।[1] जिले के प्राइमरी से लेकर मिडिल स्कूलों तक में यही स्थिति है। उदाहरण के लिए, कक्षा 6वीं के छात्रों को सिर्फ गणित की किताब मिली है, जबकि 8वीं के छात्रों को भी कुछ ही विषयों की पुस्तकें प्राप्त हुई हैं।[1] नए पाठ्यक्रम के कारण पुरानी किताबों से पढ़ाई करना भी पूरी तरह संभव नहीं हो पा रहा है।[1] क्यों हुई किताबों के वितरण में देरी? इस साल किताबों के वितरण में देरी के कई कारण सामने आ रहे हैं: तकनीकी खामियां: इस वर्ष भ्रष्टाचार रोकने के लिए किताबों पर बारकोड लगाए गए हैं।[3][4] लेकिन पाठ्य पुस्तक निगम के पोर्टल का सर्वर बार-बार डाउन होने से स्कूलों में किताबों की स्कैनिंग और डेटा अपलोडिंग का काम अटक गया है, जिससे वितरण रुका हुआ है।[5][6] पुराने डेटा पर छपाई: किताबों की छपाई पुराने यू-डायस (UDISE) डेटा और पिछले साल के स्टॉक के आधार पर की गई। इसमें नए दाखिलों और छात्रों की बढ़ी हुई संख्या का अनुमान नहीं लगाया गया, जिससे कई स्कूलों में मांग के अनुरूप किताबें नहीं पहुंचीं।[1][2] वितरण में अव्यवस्था: पाठ्य पुस्तक निगम से स्कूलों तक किताबें पहुंचाने की प्रक्रिया में भी अव्यवस्था देखने को मिली है।[2][5] प्रशासन के दावों के बावजूद स्थिति जस की तस हालांकि, पाठ्य पुस्तक निगम और शिक्षा विभाग के अधिकारी जल्द ही किताबें पहुंचाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।[2][5] स्कूल प्रबंधन द्वारा जिला कार्यालय को किताबों की मांग के लिए पत्र लिखे जाने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।[1] इस लापरवाही का खामियाजा सीधे तौर पर प्राइमरी और मिडिल स्कूल के मासूम बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। अभिभावकों और शिक्षकों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द किताबों की व्यवस्था की जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई और भविष्य अधर में न लटके।[1]](https://nidarchhattisgarh.com/wp-content/uploads/2025/08/16a.jpg)





