बिलासपुर

उद्यानिकी यूनिवर्सिटी कुलपति नियुक्ति पर बवाल, हाईकोर्ट ने शासन से मांगा जवाब, योग्यता की अनदेखी का आरोप

उद्यानिकी यूनिवर्सिटी कुलपति नियुक्ति पर बवाल, हाईकोर्ट ने शासन से मांगा जवाब, योग्यता की अनदेखी का आरोप

मुख्य बातें:

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  • छत्तीसगढ़ उद्यानिकी एवं वानिकी यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. आरआर सक्सेना की नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती।

  • याचिका में आरोप लगाया गया कि चयन प्रक्रिया में योग्यता और अनुभव को नजरअंदाज किया गया।

  • हाईकोर्ट ने राज्य शासन और यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा है।

बिलासपुर: उद्यानिकी यूनिवर्सिटी कुलपति नियुक्ति पर बवाल,  छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (पाटन, दुर्ग) में कुलपति (VC) की नियुक्ति का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। डॉ. आरआर सक्सेना की नियुक्ति को लेकर दायर एक याचिका के बाद यह विवाद बिलासपुर हाईकोर्ट पहुंच गया है। याचिका में नियुक्ति प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए योग्यता की अनदेखी का आरोप लगाया गया है।

इस मामले पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य शासन और विश्वविद्यालय प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।उद्यानिकी यूनिवर्सिटी कुलपति नियुक्ति पर बवाल

क्या हैं नियुक्ति पर लगे गंभीर आरोप?

याचिकाकर्ता डॉ. अवनिंद्र कुमार सिंह ने अपनी याचिका में दावा किया है कि कुलपति पद के लिए अपनाई गई चयन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी। प्रमुख आरोप इस प्रकार हैं:

  • योग्यता की अनदेखी: आरोप है कि चयन समिति ने आवेदकों की शैक्षणिक योग्यता और अनुभव का कोई तुलनात्मक विश्लेषण नहीं किया।

  • मेरिट लिस्ट का अभाव: चयन प्रक्रिया के दौरान आवेदकों को मेरिट के आधार पर कोई अंक नहीं दिए गए और न ही कोई मेरिट सूची जारी की गई।

  • अनुभव को दरकिनार करना: याचिकाकर्ता का दावा है कि यदि योग्यता और अनुभव के सभी मापदंडों का सही से विश्लेषण किया जाता, तो वे नियुक्ति के लिए अधिक योग्य उम्मीदवार होते।

कैसे हुई थी कुलपति की चयन प्रक्रिया?

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पाटन (दुर्ग) में स्थापित इस विश्वविद्यालय के पहले कार्यकारी कुलपति के रूप में IAS अधिकारी महादेव कावरे को नियुक्त किया गया था। इसके बाद, नियमित कुलपति की नियुक्ति के लिए एक प्रक्रिया शुरू की गई।

  1. योग्य उम्मीदवारों से आवेदन मंगाए गए।

  2. एक तीन-सदस्यीय चयन समिति का गठन किया गया।

  3. समिति ने कुल 38 आवेदनों की जांच के बाद 8 नामों का एक पैनल तैयार किया।

  4. यह पैनल राज्यपाल सचिवालय को भेजा गया, जिसके बाद डॉ. आरआर सक्सेना की नियुक्ति को अंतिम रूप दिया गया।

याचिका में इसी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं।

हाईकोर्ट का एक्शन और आगे क्या?

मामले की गंभीरता को देखते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने इसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने प्रतिवादी बनाए गए राज्य शासन और महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न इस नियुक्ति को लेकर आगे की कार्रवाई की जाए। अब सभी की निगाहें शासन और यूनिवर्सिटी के जवाब पर टिकी हैं, जिसके बाद ही यह तय होगा कि इस मामले का भविष्य क्या होगा।उद्यानिकी यूनिवर्सिटी कुलपति नियुक्ति पर बवाल

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