बालोद

पद्मिनी देवेंद्र साहू ने वृद्धाश्रम में मनाया जन्मदिन, नवचेतना ग्रुप की बहनों ने दिया साथ

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बालोद(छत्तीसगढ़):- समाज सेविका और नव चेतना समाजसेवी ग्रुप के अध्यक्ष पद्मिनी देवेंद्र साहू ने अपने जन्मदिन को एक अनूठे और प्रेरणादायक अंदाज में मनाया। उन्होंने इस विशेष दिन को बालोद स्थित सुख आश्रय वृद्धाश्रम में वहां रहने वाले बुजुर्गों के साथ बिताया। इस अवसर पर नवचेतना समाजसेवी ग्रुप की अन्य बहनें—भारती सहारे, आरती साहू, योशिका सहारे, रेणुका निषाद, वीणा बघेल, ट्विंकल सहारे और एंजल साहू भी उनके साथ मौजूद थीं। इस आयोजन ने न केवल सामाजिक सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाया, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणादायक संदेश भी दिया।पद्मिनी साहू ने बताया कि वृद्धाश्रम में बिताया गया समय उनके लिए बेहद सुखद और आत्मिक शांति प्रदान करने वाला अनुभव रहा। उन्होंने कहा, “वृद्धाश्रम में जाकर मुझे असीम शांति और बुजुर्गों का आत्मीय प्यार व आशीर्वाद प्राप्त हुआ। ये बुजुर्ग केवल प्यार और अपनत्व के भूखे हैं। जब कोई उनसे मिलने जाता है, तो उनकी खुशी देखते ही बनती है।” उन्होंने समाज के सभी लोगों से आह्वान किया कि वे अपने व्यस्त जीवन से समय निकालकर वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों से मिलने जाएं और उनके साथ कुछ पल बिताएं।आयोजन के दौरान पद्मिनी और उनकी सहयोगी बहनों ने वृद्धाश्रम के बुजुर्गों के साथ समय बिताया, उनकी बातें सुनीं और उनके अनुभवों को साझा किया। इस अवसर पर बुजुर्गों के लिए भोजन, फल और अन्य जरूरी सामग्री भी वितरित की गई। नवचेतना समाजसेवी ग्रुप की सदस्यों ने बुजुर्गों के साथ हंसी-मजाक और बातचीत के जरिए उनके चेहरों पर मुस्कान बिखेरी। इस आयोजन ने न केवल बुजुर्गों को खुशी प्रदान की, बल्कि समाज में वृद्धजनों के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान को बढ़ावा देने का भी कार्य किया।पद्मिनी साहू ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल जन्मदिन मनाना नहीं था, बल्कि उन लोगों के साथ समय बिताना था, जो अक्सर समाज की मुख्यधारा से कटे हुए महसूस करते हैं। हम सभी को समय-समय पर वृद्धाश्रम में जाकर इन बुजुर्गों से मिलना चाहिए और उनके अनुभवों से सीखना चाहिए।” नवचेतना समाजसेवी ग्रुप की अन्य सदस्यों ने भी इस पहल की सराहना करते हुए इसे एक सार्थक और हृदयस्पर्शी अनुभव बताया।यह आयोजन समाज के लिए एक प्रेरणा है कि छोटे-छोटे प्रयासों से भी हम अपने आसपास के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। पद्मिनी साहू और उनकी टीम का यह प्रयास निश्चित रूप से अन्य लोगों को भी वृद्धाश्रमों में रहने वाले बुजुर्गों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित करेगा।

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