सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: पहलगाम हमले के बाद डिपोर्ट किए जा रहे परिवार को राहत, पाकिस्तान भेजने पर रोक
अदालत ने दस्तावेज़ सत्यापन तक कार्रवाई पर लगाई रोक, मामला मानवीय दृष्टिकोण से देखा
नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में शुक्रवार (2 मई) को अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे एक कश्मीरी परिवार के खिलाफ किसी भी डिपोर्टेशन (Pakistan वापस भेजने) की कार्रवाई न करें, जब तक उनके पहचान दस्तावेजों की जांच पूरी नहीं हो जाती।पहलगाम हमले के बाद डिपोर्ट किए जा रहे परिवार को राहत
मामला क्या है?
यह परिवार कश्मीर का निवासी है और उनका बेटा बेंगलुरु में नौकरी करता है।
परिवार के सदस्यों का वीजा खत्म हो चुका था, जिसके चलते उन्हें वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी।पहलगाम हमले के बाद डिपोर्ट किए जा रहे परिवार को राहत
इस कार्रवाई को परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, और कहा कि उनके पास वैध भारतीय दस्तावेज हैं, इसके बावजूद उन्हें हिरासत में लेकर डिपोर्ट किया जा रहा है।पहलगाम हमले के बाद डिपोर्ट किए जा रहे परिवार को राहत
अदालत का रुख
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि:
- यह मामला मानवीय आधार पर बेहद संवेदनशील है।
- जब तक दस्तावेज सत्यापन पूरा नहीं हो जाता, तब तक कोई दंडात्मक कदम न उठाया जाए।
- यदि परिवार दस्तावेज़ों के सत्यापन से असंतुष्ट हो, तो जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं।
पृष्ठभूमि: क्यों बढ़ा डिपोर्टेशन का दबाव?
यह मामला 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सामने आया, जिसमें 26 लोगों की जान गई, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे।पहलगाम हमले के बाद डिपोर्ट किए जा रहे परिवार को राहत
इसके बाद सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर डिपोर्टेशन की प्रक्रिया तेज कर दी थी।पहलगाम हमले के बाद डिपोर्ट किए जा रहे परिवार को राहत
सरकार की कार्रवाई:
- पाकिस्तानी डिफेंस अताशे को निष्कासित किया गया।
- भारत ने इस्लामाबाद से अपना डिफेंस अताशे वापस बुलाया।
- सिंधु जल संधि में भागीदारी रोकी गई।
- अटारी बॉर्डर को तत्काल बंद करने की घोषणा हुई।
- SAARC वीजा छूट योजना को भी पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सस्पेंड किया गया।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि जो लोग पहले ही वैध अनुमति से भारत आए हैं, वे 1 मई 2025 से पहले वापस लौट सकते हैं, लेकिन अब किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।पहलगाम हमले के बाद डिपोर्ट किए जा रहे परिवार को राहत
यह मामला भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकार संतुलन का प्रतीक बन गया है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि कानूनी प्रक्रिया और मानवता दोनों को समान रूप से महत्व दिया जाना चाहिए।पहलगाम हमले के बाद डिपोर्ट किए जा रहे परिवार को राहत