बिलासपुर में सरकारी शिक्षा व्यवस्था का हाल
बिलासपुर के विकास खंड शिक्षा कार्यालय (बिल्हा) में शिक्षा की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। प्रभारी बीईओ सुनीता ध्रुव के नेतृत्व में न तो संकुल समन्वयकों पर नियंत्रण है और न ही शिक्षकों पर। इसका खामियाजा सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। BEO के नियंत्रण से बाहर: संकुल समन्वयक और शिक्षकों की मनमानी से शिक्षा व्यवस्था चरमराई
संकुल समन्वयकों और शिक्षकों की अनियमितताएं
पौंसरा के संकुल समन्वयक साधे लाल पटेल, जो शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला जलसो के प्रभारी प्रधान पाठक भी हैं, अपने कार्यों को लेकर गंभीर नहीं हैं। BEO के नियंत्रण से बाहर: संकुल समन्वयक और शिक्षकों की मनमानी से शिक्षा व्यवस्था चरमराई
शासन के निर्देश:
- 10 स्कूलों का अवलोकन।
- स्कूलों से डाक एकत्र कर बिल्हा शिक्षा कार्यालय को सौंपना।
- प्रतिदिन 3 पीरियड पढ़ाना।
- डेली डायरी संधारित करना।
लेकिन, धरातल पर साधे लाल पटेल द्वारा इन कार्यों को अनदेखा किया जा रहा है। BEO के नियंत्रण से बाहर: संकुल समन्वयक और शिक्षकों की मनमानी से शिक्षा व्यवस्था चरमराई
स्कूल उपस्थिति में भारी अनियमितता
- डिसंबर 2024 की स्थिति:
- 7 और 9 दिसंबर को उपस्थिति रजिस्टर में साधे लाल के हस्ताक्षर नहीं हैं।
- स्कूल में मात्र 2 शिक्षक उपस्थित पाए गए।
- छात्रों की उपस्थिति 196 के मुकाबले मात्र 67 रही।
कम उपस्थिति के कारण
- अभिभावकों की जागरूकता की कमी।
- धान कटाई के समय बच्चों का खेतों में काम करना।
- स्कूल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव।
बुनियादी समस्याएं
- खेल मैदान का अभाव।
- मध्यान्ह भोजन के लिए किचन का जर्जर होना।
- पानी निकासी के लिए उचित नाली न होना।
- असामाजिक तत्वों का स्कूल में डेरा डालना।
प्रशासन और अधिकारियों पर सवाल
- संकुल समन्वयक और शिक्षक: अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करने में असफल।
- प्रभारी बीईओ: निरीक्षण के बावजूद किसी प्रकार की सख्त कार्रवाई नहीं।
- कलेक्टर बिलासपुर: स्कूलों की समस्या पर कोई ठोस कदम नहीं।
शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की जरूरत
शिक्षा विभाग को तत्काल स्कूलों की स्थिति पर ध्यान देने और संकुल समन्वयकों व शिक्षकों की जिम्मेदारी तय करने की आवश्यकता है। कलेक्टर को ऐसे स्कूलों का औचक निरीक्षण करना चाहिए और दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। BEO के नियंत्रण से बाहर: संकुल समन्वयक और शिक्षकों की मनमानी से शिक्षा व्यवस्था चरमराई