
क्या 5 की जगह 4 दिन का हो जाएगा टेस्ट क्रिकेट? आकाश चोपड़ा ने फिर छेड़ी बहस, बोले- ‘ज्यादातर मैच जल्दी खत्म हो रहे’
मुख्य बिंदु:
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टेस्ट क्रिकेट के भविष्य को लेकर एक बार फिर बहस तेज, 4-दिवसीय प्रारूप पर चर्चा।
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पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर आकाश चोपड़ा ने 4-दिवसीय टेस्ट का किया पुरजोर समर्थन।
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चोपड़ा का तर्क: ज्यादातर टेस्ट मैच 5 दिन तक नहीं चलते, तो एक दिन क्यों बर्बाद करें?
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क्रिकेट जगत में इस मुद्दे पर राय बंटी हुई, ICC पहले भी कर चुका है विचार।
नई दिल्ली। टेस्ट क्रिकेट का रोमांच जब चरम पर होता है, तो पांचवें दिन का खेल अक्सर नतीजे तय करता है। लेकिन क्या हो अगर टेस्ट मैच सिर्फ 4 दिन का हो जाए? यह बहस कोई नई नहीं है, लेकिन पूर्व भारतीय क्रिकेटर और मशहूर कमेंटेटर आकाश चोपड़ा ने अपने तर्कों से इसे एक बार फिर हवा दे दी है। उनका मानना है कि जब ज्यादातर टेस्ट मैच 3 से 4 दिनों में ही खत्म हो रहे हैं, तो पांच दिन के प्रारूप का कोई मतलब नहीं रह जाता।क्या 5 की जगह 4 दिन का हो जाएगा टेस्ट क्रिकेट?
आकाश चोपड़ा ने क्यों उठाई 4-दिवसीय टेस्ट की मांग?
आकाश चोपड़ा ने अपने यूट्यूब चैनल पर अक्सर इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है। उनका तर्क बहुत सीधा और आंकड़ों पर आधारित है:
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जल्दी खत्म हो रहे मैच: चोपड़ा का कहना है, “आजकल अधिकतर टेस्ट मुकाबले तीन या साढ़े तीन दिन में ही खत्म हो जाते हैं। नतीजा जल्दी आ जाता है।”
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पांचवें दिन का रोमांच अपवाद है: उन्होंने कहा, “साल में बस दो-तीन ही ऐसे टेस्ट होते हैं जो पांचवें दिन तक जाते हैं और रोमांचक रहते हैं। तब सोशल मीडिया पर लोग कहते हैं कि देखो, यही वजह है कि टेस्ट पांच दिन का होना चाहिए। लेकिन ये सिर्फ अपवाद हैं, नियम नहीं।”
कब-कब छिड़ती है यह बहस?
यह चर्चा तब तेज हो जाती है जब कोई टेस्ट मैच बहुत जल्दी खत्म हो जाता है। खासकर जब पिच गेंदबाजों के लिए बहुत ज्यादा मददगार होती है और एक ही दिन में 10-15 विकेट गिर जाते हैं। ऐसे में क्रिकेट पंडित और फैंस यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या खेल को और अधिक आकर्षक और संक्षिप्त बनाने के लिए 4-दिवसीय प्रारूप बेहतर विकल्प है।क्या 5 की जगह 4 दिन का हो जाएगा टेस्ट क्रिकेट?
4-दिवसीय टेस्ट: पक्ष और विपक्ष में तर्क
पक्ष में तर्क:
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मैचों के नतीजे ज्यादा निकलेंगे।
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प्रसारकों (Broadcasters) के लिए अधिक फायदेमंद।
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खिलाड़ियों के व्यस्त कैलेंडर में थोड़ी राहत मिलेगी।
विपक्ष में तर्क:
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टेस्ट क्रिकेट का पारंपरिक रोमांच खत्म हो जाएगा।
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पांचवें दिन की पिच पर स्पिनरों की भूमिका कम हो जाएगी।
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खराब मौसम से प्रभावित मैचों में ड्रॉ की संभावना बढ़ जाएगी।
हालांकि, आईसीसी (ICC) पहले भी इस विचार पर चर्चा कर चुका है, लेकिन क्रिकेट के कई दिग्गज और पारंपरिक प्रशंसक 5-दिवसीय प्रारूप को ही टेस्ट क्रिकेट की असली आत्मा मानते हैं। फिलहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में क्रिकेट की सबसे लंबी जंग का प्रारूप बदलता है या नहीं।क्या 5 की जगह 4 दिन का हो जाएगा टेस्ट क्रिकेट?









