आंगनबाड़ी महिला कार्यकर्ता का सम्मान: संघर्ष का दूसरा नाम ही नारी शक्ति है – दीपिका शोरी

आंगनबाड़ी महिला कार्यकर्ता का सम्मान: संघर्ष का दूसरा नाम ही नारी शक्ति है – दीपिका शोरी
संघर्षों से भरा जीवन
जगदलपुर के पोटानार की रहने वाली महादेवी कश्यप का जीवन अनेक कठिनाइयों से भरा रहा है। उनका विवाह बहुत कम उम्र में हो गया था और बेटे के जन्म के बाद उनके पति ने उन्हें घर से निकाल दिया।[1] इस मुश्किल घड़ी में उन्होंने नारीनिकेतन में शरण ली।इसके बाद, 1999 में एक अधिकारी की मदद से उन्हें तत्कालीन दंतेवाड़ा (अब सुकमा जिला) के बोड़को पंचायत के पलिया गांव में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी मिली।तब से लेकर आज तक, महादेवी उसी गांव में पूरी लगन और निष्ठा से अपनी सेवाएं दे रही हैं।आंगनबाड़ी महिला कार्यकर्ता का सम्मान
बेटे को शिक्षित कर बनाया शिक्षक
महादेवी ने अपने जीवन में शिक्षा के महत्व को गहराई से समझा। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनके बेटे शिवचरण कश्यप को अच्छी शिक्षा मिले, ताकि उसे उन कठिनाइयों का सामना न करना पड़े, जिनसे वे स्वयं गुज़री थीं। उनकी मेहनत रंग लाई और आज उनका बेटा, शिवचरण, बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा विकासखंड के उसरिबेडा में एक शिक्षक और समन्वयक के पद पर कार्यरत है।आंगनबाड़ी महिला कार्यकर्ता का सम्मान
काम के प्रति अटूट समर्पण
महादेवी के लिए उनका काम किसी पूजा से कम नहीं है। उनके आंगनवाड़ी केंद्र और पंचायत मुख्यालय के बीच एक नदी पड़ती है, जिसे मानसून के दौरान पार करना किसी चुनौती से कम नहीं होता। वे बताती हैं कि कई बार उन्हें सीने तक गहरे पानी से होकर गुज़रना पड़ता है ताकि बच्चों के लिए राशन और अन्य ज़रूरी सामान लाया जा सके।उनका आंगनवाड़ी केंद्र भी काफी जर्जर हालत में है, और बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है, जिसे वे खुद बाल्टी में भरकर बाहर फेंकती हैं।आंगनबाड़ी महिला कार्यकर्ता का सम्मान
“संघर्ष का दूसरा नाम ही नारी शक्ति है” – अधिवक्ता दीपिका शोरी
अधिवक्ता दीपिका शोरी ने महादेवी कश्यप के कार्यों की सराहना करते हुए कहा, “संघर्ष का दूसरा नाम ही नारी शक्ति है।” उन्होंने कहा कि वे लंबे समय से महादेवी के कार्यों को देख रही थीं और इस बात से बेहद प्रभावित थीं कि कैसे उन्होंने इतने संघर्षों के बावजूद अपने कर्तव्यों का पालन किया है। दीपिका शोरी का मानना है कि महादेवी जैसी महिलाएं समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं, जो यह सिखाती हैं कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।आंगनबाड़ी महिला कार्यकर्ता का सम्मान
महादेवी कश्यप की कहानी उन अनगिनत महिलाओं की कहानी है जो चुपचाप, बिना किसी शिकायत के, समाज की नींव को मजबूत करने का काम कर रही हैं। उनका जीवन यह साबित करता है कि सच्ची शक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी हार न मानने में है।आंगनबाड़ी महिला कार्यकर्ता का सम्मान









