बेमेतरा

बेमेतरा की बेटियों का दिल्ली तक डंका: गोल्ड मेडल जीता तो खेल मंत्रालय बना रहा फिल्म, जानें चांद और जागेश्वरी की प्रेरक कहानी

बेमेतरा की बेटियों का दिल्ली तक डंका: गोल्ड मेडल जीता तो खेल मंत्रालय बना रहा फिल्म, जानें चांद और जागेश्वरी की प्रेरक कहानी

मुख्य बिंदु:

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  • छत्तीसगढ़ की दो बेटियों, चांद चतुर्वेदी और जागेश्वरी ठाकुर, की सफलता पर बन रही है राष्ट्रीय डॉक्यूमेंट्री।

  • बेमेतरा के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राओं ने आत्मरक्षा (गतका) में जीता है गोल्ड मेडल।

  • भारत सरकार का खेल मंत्रालय इनकी संघर्ष और सफलता की कहानी को पूरे देश तक पहुंचाएगा।

  • स्कूल में मिलने वाली आत्मरक्षा की ट्रेनिंग ने जगाया आत्मविश्वास, बदली जिंदगी।

बेमेतरा: बेमेतरा की बेटियों का दिल्ली तक डंका, छत्तीसगढ़ के छोटे से जिले बेमेतरा की दो बेटियों की सफलता की गूंज अब दिल्ली तक पहुंच गई है। यहां के कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की दो होनहार छात्राओं, चांद चतुर्वेदी और जागेश्वरी ठाकुर, की प्रेरक कहानी अब सिर्फ प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगी। उनकी मेहनत और लगन से इतनी प्रभावित होकर भारत सरकार का खेल मंत्रालय खुद उनकी सफलता पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रहा है, ताकि देश की हर बेटी उनसे प्रेरणा ले सके।

कौन हैं ये ‘गोल्डन गर्ल्स’?

चांद चतुर्वेदी और जागेश्वरी ठाकुर, ये वो दो नाम हैं जिन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से साबित कर दिया कि अवसर और सही मार्गदर्शन मिले तो प्रतिभा किसी भी परिस्थिति में निखर सकती है। इन दोनों छात्राओं ने आत्मरक्षा के सिख मार्शल आर्ट ‘गतका’ में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर पूरे छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है।बेमेतरा की बेटियों का दिल्ली तक डंका

दिल्ली से पहुंची टीम, तीन दिनों तक कैमरे में कैद हुई कहानी

इन बेटियों की उपलब्धि इतनी खास है कि खेल मंत्रालय, दिल्ली की एक विशेष टीम तीन दिनों तक बेमेतरा में रही। इस टीम ने न केवल चांद और जागेश्वरी की कहानी, बल्कि उनके पूरे सफर को कैमरे में कैद किया। टीम ने रिकॉर्ड किया:

  • स्कूल का माहौल: विद्यालय की सजावट, कक्षा में पढ़ाई का तरीका और आत्मरक्षा की ट्रेनिंग।

  • शिक्षकों का योगदान: उनकी शिक्षिकाओं ममता गुरुपंच, राज किरण मिश्रा और अधीक्षिका भारती धृतलहरे का साक्षात्कार लिया गया, जिन्होंने इन बच्चों को तराशा।

  • गांव और परिवार: टीम दोनों बालिकाओं के गांव सूरजपुर और बीरमपुर भी गई, जहां उनके परिवार, उनके रहन-सहन और उनके संघर्ष को फिल्माया गया।

आत्मरक्षा के हुनर ने दिया आत्मविश्वास

यह सफलता उस सोच का परिणाम है, जो मानती है कि आज के समय में हर बेटी को आत्मरक्षा का हुनर आना चाहिए। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में कई वर्षों से छात्राओं को निशुल्क आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसी ट्रेनिंग ने इन बेटियों में वो आत्मविश्वास जगाया, जिससे वे आज किसी भी विपरीत परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी हैं।बेमेतरा की बेटियों का दिल्ली तक डंका

पूरे स्कूल और प्रदेश को गर्व

इन दोनों बालिकाओं की सफलता पर उनकी अधीक्षिका भारती धृतलहरे और विद्यालय की सभी शिक्षिकाओं ने उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। यह डॉक्यूमेंट्री न केवल इन दो बेटियों की कहानी है, बल्कि यह उस हर शिक्षक और उस हर प्रयास को सलाम है, जो बेटियों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए चुपचाप काम कर रहा है।बेमेतरा की बेटियों का दिल्ली तक डंका

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