हमर छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में सरकारी कामकाज ठप: 4 लाख कर्मचारियों की हड़ताल से जनता बेहाल, DA समेत इन मांगों पर अड़े कर्मचारी

मुख्य बिंदु:

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  • छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के बैनर तले प्रदेशव्यापी “काम बंद, कलम बंद” आंदोलन।

  • 4 लाख से ज्यादा कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर रहे, दफ्तरों में पसरा सन्नाटा।

  • महंगाई भत्ते (DA) और प्रमोशन समेत 11 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन।

  • मांगें पूरी न होने पर अक्टूबर में अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी।

रायपुर: छत्तीसगढ़ में शुक्रवार को सरकारी दफ्तरों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा, जिससे आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। प्रदेश के 4 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों ने अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर एक दिवसीय “काम बंद, कलम बंद” आंदोलन किया। छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के आह्वान पर हुए इस आंदोलन के कारण हजारों फाइलें जहां की तहां रुक गईं और सरकारी दफ्तरों में ताले लटके नजर आए।छत्तीसगढ़ में सरकारी कामकाज ठप: 4 लाख कर्मचारियों की हड़ताल से जनता बेहाल

क्यों सड़कों पर उतरे कर्मचारी? ये हैं प्रमुख मांगें

कर्मचारी लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई न होने पर उन्होंने हड़ताल का रास्ता अपनाया। उनकी प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:

  • केंद्र सरकार के कर्मचारियों के समान देय तिथि से महंगाई भत्ता (DA) और राहत।

  • सभी कर्मचारियों के लिए चार स्तरीय समयमान वेतनमान (Four-tier timescale pay) लागू करना।

  • महंगाई भत्ते की बकाया राशि (एरियर्स) को कर्मचारियों के GPF खाते में जमा करना।

  • सभी विभागों में एकरूपता लाते हुए सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष करना।

राजधानी से लेकर बस्तर तक, प्रदेशभर में दिखा हड़ताल का असर

इस हड़ताल का असर राजधानी रायपुर से लेकर बस्तर और दुर्ग संभाग तक व्यापक रूप से देखने को मिला।छत्तीसगढ़ में सरकारी कामकाज ठप: 4 लाख कर्मचारियों की हड़ताल से जनता बेहाल

  • दफ्तरों में तालाबंदी: कलेक्ट्रेट, तहसील कार्यालय, खाद्य विभाग, और महिला एवं बाल विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा। कई दफ्तरों में सन्नाटा पसरा था और कर्मचारी बाहर प्रदर्शन कर रहे थे।

  • जनता परेशान: राजस्व प्रमाण पत्र, और अन्य सरकारी कामों के लिए दूर-दराज से आए लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ा। कार्यालय बंद होने से उन्हें भारी निराशा हुई।

  • स्कूलों पर भी असर: कई स्कूलों में शिक्षक भी इस हड़ताल में शामिल हुए, जिससे पढ़ाई-लिखाई प्रभावित हुई और बच्चों को छुट्टी दे दी गई।

  • अफसरों की गाड़ियां रुकीं: सरकारी ड्राइवरों के भी हड़ताल में शामिल होने से कई बड़े अधिकारियों को अपने वाहनों के बिना ही काम चलाना पड़ा।

अक्टूबर में अनिश्चितकालीन आंदोलन की चेतावनी

कर्मचारी फेडरेशन ने सरकार को एक स्पष्ट चेतावनी दी है। फेडरेशन के पदाधिकारियों का कहना है कि यह केवल एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल थी। यदि सरकार जल्द ही उनकी 11 सूत्रीय मांगों पर कोई सकारात्मक पहल नहीं करती  तो अक्टूबर महीने में प्रदेशभर के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।छत्तीसगढ़ में सरकारी कामकाज ठप: 4 लाख कर्मचारियों की हड़ताल से जनता बेहाल

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