गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: कोटमी में भू-माफिया का आतंक, महिला को दी जान से मारने की धमकी!

महिला ने परिवार समेत दी जान का खतरा होने की शिकायत
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के कोटमी चौकी क्षेत्र में भू-माफियाओं के बढ़ते आतंक का मामला सामने आया है। सकोला निवासी माया तिवारी ने शिकायत दर्ज कराई है कि भू-माफिया राजू गुप्ता ने उनके परिवार को जान से मारने की धमकी दी और जबरन कब्जा हटाने से मना किया। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: कोटमी में भू-माफिया का आतंक, महिला को दी जान से मारने की धमकी!
पूरा मामला क्या है?
– घटना – 25 फरवरी 2025, सुबह 9:30 बजे
– आरोपी – राजू गुप्ता (पिता मोहनलाल गुप्ता)
✅ पीड़िता माया तिवारी का आरोप है कि राजू गुप्ता उनके घर आया और उनके पति व बेटे को धमकाने लगा।
✅ शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा हटाने से रोकने के लिए धमकी दी गई।
✅ आरोपी ने कहा – “तुम नहीं जानती मैं कितना पैसा वाला हूं, तुम्हारे पूरे परिवार को उठा लूंगा।”
✅ गाली-गलौज के साथ मुकदमा वापस लेने का दबाव भी बनाया।
? पीड़िता ने आरोपी पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: कोटमी में भू-माफिया का आतंक, महिला को दी जान से मारने की धमकी!
शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे का मामला
? स्थान – कोरबा-पेंड्रा स्टेट हाईवे, खसरा नंबर 74 (रकबा 0.1050)
? अतिक्रमण – 25 से 30 डिसमिल बेशकीमती भूमि पर अवैध निर्माण
? यह करोड़ों की सरकारी जमीन है, जिस पर राजू गुप्ता और राजकुमार गुप्ता ने मकान बना लिया है।
? 6 महीने पहले शिकायत दर्ज हुई थी, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
? राजस्व विभाग की लापरवाही के चलते कब्जा हटाने की कार्रवाई अब तक नहीं हुई।
? अब विवाद बढ़ता जा रहा है, जिससे किसी गंभीर घटना की आशंका जताई जा रही है।
क्या प्रशासन करेगा कार्रवाई?
पीड़िता का कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो कोई गंभीर घटना हो सकती है।
अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: कोटमी में भू-माफिया का आतंक, महिला को दी जान से मारने की धमकी!



![शिक्षा सत्र का डेढ़ माह बीता, अब तक स्कूलों में नहीं पहुंचीं किताबें, पुरानी पुस्तकों के सहारे भविष्य की पढ़ाई गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: छत्तीसगढ़ में नया शैक्षणिक सत्र 2025-26 शुरू हुए डेढ़ महीने से अधिक का समय हो गया है, लेकिन गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले के सरकारी स्कूलों में छात्रों के बस्ते अब भी खाली हैं।[1] पाठ्य पुस्तक निगम की लापरवाही के चलते अधिकांश कक्षाओं की किताबें अब तक स्कूलों तक नहीं पहुंच पाई हैं।[1][2] इस स्थिति के कारण छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है और वे पुरानी किताबों से काम चलाने को मजबूर हैं।[1] त्रैमासिक परीक्षा सिर पर, कैसे पूरा होगा कोर्स? स्कूलों में किताबों की यह कमी शिक्षकों और अभिभावकों दोनों के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गई है। लगभग डेढ़ महीने बाद त्रैमासिक परीक्षाएं होनी हैं, ऐसे में बिना नई किताबों के पाठ्यक्रम को समय पर पूरा करना एक बड़ी चुनौती है।[1] जिले के प्राइमरी से लेकर मिडिल स्कूलों तक में यही स्थिति है। उदाहरण के लिए, कक्षा 6वीं के छात्रों को सिर्फ गणित की किताब मिली है, जबकि 8वीं के छात्रों को भी कुछ ही विषयों की पुस्तकें प्राप्त हुई हैं।[1] नए पाठ्यक्रम के कारण पुरानी किताबों से पढ़ाई करना भी पूरी तरह संभव नहीं हो पा रहा है।[1] क्यों हुई किताबों के वितरण में देरी? इस साल किताबों के वितरण में देरी के कई कारण सामने आ रहे हैं: तकनीकी खामियां: इस वर्ष भ्रष्टाचार रोकने के लिए किताबों पर बारकोड लगाए गए हैं।[3][4] लेकिन पाठ्य पुस्तक निगम के पोर्टल का सर्वर बार-बार डाउन होने से स्कूलों में किताबों की स्कैनिंग और डेटा अपलोडिंग का काम अटक गया है, जिससे वितरण रुका हुआ है।[5][6] पुराने डेटा पर छपाई: किताबों की छपाई पुराने यू-डायस (UDISE) डेटा और पिछले साल के स्टॉक के आधार पर की गई। इसमें नए दाखिलों और छात्रों की बढ़ी हुई संख्या का अनुमान नहीं लगाया गया, जिससे कई स्कूलों में मांग के अनुरूप किताबें नहीं पहुंचीं।[1][2] वितरण में अव्यवस्था: पाठ्य पुस्तक निगम से स्कूलों तक किताबें पहुंचाने की प्रक्रिया में भी अव्यवस्था देखने को मिली है।[2][5] प्रशासन के दावों के बावजूद स्थिति जस की तस हालांकि, पाठ्य पुस्तक निगम और शिक्षा विभाग के अधिकारी जल्द ही किताबें पहुंचाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।[2][5] स्कूल प्रबंधन द्वारा जिला कार्यालय को किताबों की मांग के लिए पत्र लिखे जाने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।[1] इस लापरवाही का खामियाजा सीधे तौर पर प्राइमरी और मिडिल स्कूल के मासूम बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। अभिभावकों और शिक्षकों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द किताबों की व्यवस्था की जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई और भविष्य अधर में न लटके।[1]](https://nidarchhattisgarh.com/wp-content/uploads/2025/08/16a.jpg)





