सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: CrPC धारा 311 के तहत किसी भी स्तर पर बुलाया जा सकता है अतिरिक्त गवाह

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: CrPC धारा 311 के तहत किसी भी स्तर पर बुलाया जा सकता है अतिरिक्त गवाह
WhatsApp Group Join NowFacebook Page Follow NowYouTube Channel Subscribe NowTelegram Group Follow NowInstagram Follow NowDailyhunt Join NowGoogle News Follow Us!
मुख्य बिंदु:-
-
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि CrPC की धारा 311 अदालतों को मुकदमे के किसी भी चरण में अतिरिक्त गवाह बुलाने की शक्ति देती है।
-
यदि कोई महत्वपूर्ण गवाह अभियोजन पक्ष द्वारा चूकवश पेश नहीं किया गया हो, तो उसे अभियोजन गवाह के रूप में बुलाया जा सकता है।
-
साक्ष्य अधिनियम की धारा 165 इस शक्ति की पूरक है।
-
यह टिप्पणी तमिलनाडु के चर्चित कन्नगी-मुरुगेसन ऑनर किलिंग मामले में की गई।
विस्तृत समाचार:
नई दिल्ली: न्याय की प्रक्रिया में साक्ष्यों के महत्व को रेखांकित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई महत्वपूर्ण गवाह अभियोजन पक्ष द्वारा किसी भी कारण से प्रस्तुत नहीं किया गया हो, तो दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 311 के तहत उसे मुकदमे के किसी भी चरण में अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में समन किया जा सकता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 165 इस प्रक्रिया का समर्थन करती है और इसे और सुदृढ़ बनाती है।CrPC धारा 311 के तहत किसी भी स्तर पर बुलाया जा सकता है अतिरिक्त गवाह
न्यायालय की महत्वपूर्ण टिप्पणी और शक्तियां
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस पी.बी. वराले (नोट: मूल लेख में पीके मिश्रा लिखा है, लेकिन यह संभवतः जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले या किसी अन्य न्यायाधीश का उल्लेख हो सकता है, कृपया पुष्टि करें) की खंडपीठ ने तमिलनाडु के कुख्यात कन्नगी-मुरुगेसन ‘ऑनर किलिंग’ मामले की सुनवाई के दौरान यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि CrPC की धारा 311 न्यायालय को यह व्यापक शक्ति प्रदान करती है कि वह किसी भी व्यक्ति को अतिरिक्त गवाह के रूप में बुला सकती है, भले ही साक्ष्य प्रस्तुत करने की प्रक्रिया समाप्त क्यों न हो गई हो। इस शक्ति का उपयोग न्यायालय स्वप्रेरणा से (suo motu) या मामले के किसी भी पक्ष द्वारा दिए गए आवेदन पर कर सकता है।CrPC धारा 311 के तहत किसी भी स्तर पर बुलाया जा सकता है अतिरिक्त गवाह
अदालत ने आगे कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी घटना का महत्वपूर्ण प्रत्यक्षदर्शी है और अभियोजन पक्ष द्वारा अनजाने में या किसी अन्य कारण से उसे गवाहों की सूची में शामिल नहीं किया गया हो, तो उसे अभियोजन गवाह के रूप में बुलाकर उसकी जांच की जा सकती है।CrPC धारा 311 के तहत किसी भी स्तर पर बुलाया जा सकता है अतिरिक्त गवाह
अदालती गवाह बनाम अभियोजन गवाह
न्यायालय ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यदि किसी गवाह को न्यायालय द्वारा ‘अदालती गवाह’ (Court Witness) के रूप में बुलाया जाता है, तो उसकी प्रति-परीक्षा (Cross-Examination) पर कुछ अंतर्निहित सीमाएं होती हैं। हालांकि, यदि उसी गवाह को अभियोजन पक्ष द्वारा बुलाया जाता है, तो मुख्य परीक्षा (Chief Examination), प्रति-परीक्षा (Cross-Examination), और पुनः-परीक्षा (Re-examination) की सामान्य प्रक्रिया का पालन किया जाता है, जिससे मामले के सभी पहलुओं पर विस्तृत जांच सुनिश्चित होती है।CrPC धारा 311 के तहत किसी भी स्तर पर बुलाया जा सकता है अतिरिक्त गवाह
क्या है कन्नगी-मुरुगेसन ऑनर किलिंग मामला?
यह मामला वर्ष 2003 का है, जब तमिलनाडु में एक दलित युवक मुरुगेसन और वन्नियार समुदाय की लड़की कन्नगी ने अंतरजातीय विवाह किया था। इस विवाह को लड़की के परिवार ने अपनी “पारिवारिक प्रतिष्ठा पर कलंक” माना। इसके परिणामस्वरूप, 7 जुलाई 2003 को दोनों को कथित तौर पर जहर देकर मार दिया गया और सबूत मिटाने के उद्देश्य से उनके शवों को जला दिया गयाl CrPC धारा 311 के तहत किसी भी स्तर पर बुलाया जा सकता है अतिरिक्त गवाह









