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भारतीय रेलवे का विरोधाभास: कमाई में देश का दूसरा सबसे बड़ा जोन, पर रफ्तार में फिसड्डी

भारतीय रेलवे का विरोधाभास: कमाई में देश का दूसरा सबसे बड़ा जोन, पर रफ्तार में फिसड्डी

मुख्य बिंदु:-

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  • दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) जोन कमाई के मामले में देश में दूसरे स्थान पर है।

  • ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने में यह जोन अन्य जोनों से काफी पीछे है।

  • वर्तमान में 130 किमी/घंटा की रफ्तार हासिल करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम जारी।

  • फिलहाल 160 किमी/घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने की कोई योजना नहीं।

बिलासपुर: भारतीय रेलवे का दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) जोन, जिसे बिलासपुर जोन के नाम से भी जाना जाता है, एक अनोखे विरोधाभास का सामना कर रहा है। यह जोन माल ढुलाई और राजस्व अर्जित करने में देश भर में दूसरे स्थान पर काबिज है, लेकिन जब यात्री ट्रेनों की रफ्तार की बात आती है, तो यह देश के सबसे धीमे जोनों में से एक है। एक ओर जहां देश के कई प्रमुख रूटों पर ट्रेनें 160 किमी/घंटा की गति से दौड़ रही हैं, वहीं बिलासपुर जोन अभी भी 130 किमी/घंटा की रफ्तार पाने के लिए संघर्ष कर रहा है।भारतीय रेलवे का विरोधाभास

कमाई का पावरहाउस, पर रफ्तार की धीमी चाल

एसईसीआर जोन भारतीय रेलवे के लिए एक आर्थिक पावरहाउस है, जो मुख्य रूप से कोयला और अन्य खनिजों की ढुलाई से भारी राजस्व उत्पन्न करता है। लेकिन इस शानदार कमाई के बावजूद, इस जोन के यात्री तेज गति की यात्रा के अनुभव से वंचित हैं। वर्तमान में, नागपुर-दुर्ग सेक्शन जैसे कुछ हिस्सों में अधिकतम गति 130 किमी/घंटा है, लेकिन कई अन्य सेक्शनों में यह और भी कम है, जिससे यात्रा में अधिक समय लगता है।भारतीय रेलवे का विरोधाभास

रफ्तार बढ़ाने में क्या हैं चुनौतियां?

ट्रेनों की गति बढ़ाने में कई ढांचागत बाधाएं सामने आ रही हैं। एसईसीआर इन चुनौतियों से निपटने के लिए कई मोर्चों पर काम कर रहा है:

  • घुमावदार ट्रैक: कई जगहों पर पटरियां सीधी न होकर घुमावदार हैं, जो तेज गति के लिए असुरक्षित हैं। इन ट्रैकों को सीधा करने का काम किया जा रहा है।

  • रेलवे फाटक: ट्रैक पर मौजूद रेलवे फाटक भी तेज रफ्तार में एक बड़ी बाधा हैं। इन्हें बंद करके उनकी जगह पर ओवरब्रिज या अंडरब्रिज बनाने की योजना पर काम चल रहा है।

  • आबादी वाले क्षेत्र: झारसुगड़ा-नागपुर जैसे घनी आबादी वाले रूटों पर पटरियों के किनारे बैरिकेडिंग की जा रही है ताकि सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

इन सभी कार्यों के पूरा होने के बाद ही जोन में ट्रेनों की गति को स्थायी रूप से 130 किमी/घंटा तक बढ़ाया जा सकेगा, जिसके लिए रेल संरक्षा आयुक्त (Commissioner of Railway Safety) से मंजूरी लेनी होगी।भारतीय रेलवे का विरोधाभास

देश के अन्य हिस्सों में हाई-स्पीड का जलवा

तुलनात्मक रूप से देखें तो देश के कई अन्य रूटों पर यात्री तेज गति का आनंद ले रहे हैं। नई दिल्ली-वाराणसी, मुंबई-गांधीनगर, चेन्नई-मैसूर, और दिल्ली-चंडीगढ़ जैसे मार्गों पर ट्रेनें 160 किमी/घंटा की रफ्तार से चलती हैं, जो यात्रा के समय को काफी कम कर देती हैं।भारतीय रेलवे का विरोधाभास

अधिकारिक दृष्टिकोण: अभी 160 का कोई प्लान नहीं

एसईसीआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (CPRO), श्री पुष्कर विपुल विलास राव ने स्पष्ट किया कि फिलहाल जोन का पूरा ध्यान सभी सेक्शनों में ट्रेनों को 110 से 130 किमी/घंटा की एक समान गति से चलाने पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, “फिलहाल 160 किमी/घंटा की रफ्तार से ट्रेनें चलाने की कोई योजना नहीं है।”भारतीय रेलवे का विरोधाभास

यह स्पष्ट है कि बिलासपुर जोन के यात्रियों को हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए अभी और इंतजार करना होगा, जबकि जोन अपनी आधारभूत संरचना को मजबूत करने पर काम कर रहा है।भारतीय रेलवे का विरोधाभास

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