छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग में हड़कंप: सचिव के खिलाफ लोकायुक्त ने जारी किया जमानती वारंट

छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग में हड़कंप: सचिव के खिलाफ लोकायुक्त ने जारी किया जमानती वारंट
छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग में हड़कंप, छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक गलियारों में उस वक्त हलचल तेज हो गई, जब लोकायुक्त ने जल संसाधन विभाग के सचिव के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिया। यह अभूतपूर्व कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि सचिव बार-बार समन जारी होने के बावजूद लोकायुक्त के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने में विफल रहे। यह मामला अब विभागीय अनियमितताओं से बढ़कर लोकायुक्त के निर्देशों की अवमानना का बन गया है, जिसने नौकरशाही में जवाबदेही को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
क्यों पड़ी जमानती वारंट की ज़रूरत?
यह मामला कई गंभीर सवाल खड़े करता है, जिसमें सबसे प्रमुख यह है कि विभाग के सर्वोच्च अधिकारी लोकायुक्त जैसे महत्वपूर्ण संस्थान के निर्देशों की अनदेखी क्यों कर रहे हैं? लोकायुक्त ने पहले सचिव को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कई अवसर दिए। समन जारी किए गए और शपथपूर्वक कथन के लिए भी बुलाया गया, लेकिन जब सचिव उपस्थित नहीं हुए, तो लोकायुक्त ने कड़ा रुख अपनाते हुए जमानती वारंट जारी करने का यह कदम उठाया। अब सचिव को अगली पेशी पर अपनी अनुपस्थिति का ठोस कारण भी बताना होगा।छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग में हड़कंप
भ्रष्टाचार के आरोप और प्रमुख अभियंता कार्यालय की चुप्पी
इस पूरे मामले की जड़ें जल संसाधन विभाग में गहरे तक फैली कथित अनियमितताओं से जुड़ी हैं। विगत कुछ महीनों में सामाजिक कार्यकर्ताओं और व्हिसल-ब्लोअर्स ने विभाग के कई संदिग्ध कार्यों को सबूतों के साथ उजागर किया था। आरोप है कि प्रमुख अभियंता कार्यालय ने दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें संरक्षण दिया। शिकायतों और नोटिसों को ठंडे बस्ते में डालकर साक्ष्यों को दबाने का भी प्रयास किया गया, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई।छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग में हड़कंप
कैसे सामने आया पूरा मामला? सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका
जब विभागीय स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो सामाजिक कार्यकर्ता अमोल मालुसरे और उनके साथियों ने इस मामले को लोकायुक्त के समक्ष चुनौती दी। उन्होंने उन सभी तथ्यों को प्रस्तुत किया, जिसमें यह भी शामिल था कि कैसे विभागीय जांच में दोषी पाए गए ठेकेदारों को बचाया गया। विधानसभा में उठे एक प्रश्न के जवाब में भी इन अनियमितताओं की पुष्टि हुई थी। लोकायुक्त ने शिकायत की गंभीरता को समझते हुए स्वतः संज्ञान लिया और सचिव को तलब किया, जो इस मामले में एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ।छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग में हड़कंप
लोकायुक्त की कार्रवाई का महत्व: प्रशासनिक जवाबदेही की ओर एक बड़ा कदम
लोकायुक्त द्वारा की गई यह सख्त कार्रवाई विभागीय गड़बड़ियों को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम दर्शाता है कि कोई भी अधिकारी, चाहे वह कितने भी ऊंचे पद पर क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है। लोकायुक्त के पास सचिव स्तर तक के अधिकारियों को तलब करने का अधिकार है और इसका प्रभावी उपयोग शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस कार्रवाई ने शीर्ष अधिकारियों को यह संदेश दिया है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में उनकी जवाबदेही तय करने वाली संस्थाएं सक्रिय हैं।छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग में हड़कंप
यह प्रकरण विभागीय कदाचार पर अंकुश लगाने और शासन के हितों की रक्षा करने का एक सशक्त आधार बन गया है। अब सभी की निगाहें लोकायुक्त की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं, जिससे यह तय होगा कि छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक सुधार की दिशा में यह मामला कितना प्रभावशाली साबित होता है।छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग में हड़कंप









