एमपी कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की सूची पर घमासान, कई नेताओं ने खोला मोर्चा, इस्तीफों का दौर शुरू

भोपाल: एमपी कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की सूची पर घमासान, कई नेताओं ने खोला मोर्चा, इस्तीफों का दौर शुरू, मध्य प्रदेश कांग्रेस में हाल ही में जारी हुई जिला अध्यक्षों की सूची ने पार्टी के भीतर एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। संगठन को मजबूत करने के उद्देश्य से जारी की गई यह सूची अब आंतरिक कलह और बगावत का कारण बनती दिख रही है। सूची जारी होते ही राजधानी भोपाल से लेकर उज्जैन, बुरहानपुर और सतना जैसे कई जिलों में विरोध के स्वर मुखर हो गए हैं और इस्तीफों का दौर भी शुरू हो गया है। नाराज नेता और कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं।
भोपाल में ‘संगठन सृजन’ बना ‘विसर्जन’
विवाद का सबसे बड़ा केंद्र राजधानी भोपाल बना हुआ है, जहां प्रवीण सक्सेना को एक बार फिर जिला अध्यक्ष बना दिया गया है। उनकी नियुक्ति का विरोध करते हुए अध्यक्ष पद के दावेदार रहे पूर्व अध्यक्ष मोनू सक्सेना ने पार्टी नेतृत्व पर सीधा निशाना साधा है। उन्होंने अपनी नाराजगी सोशल मीडिया पर एक तंज भरी पोस्ट के जरिए व्यक्त की, जिसमें लिखा, “राहुल गांधी ने मांगा था संगठन सृजन, भोपाल में हुआ विसर्जन…।” एमपी कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की सूची पर घमासान
इस्तीफे से बढ़ी पार्टी की मुश्किलें
नाराजगी सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसने इस्तीफों का रूप भी ले लिया है। बुरहानपुर में जिला प्रवक्ता और राजीव गांधी पंचायत प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष हेमंत पाटिल ने सूची जारी होने के तुरंत बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे पार्टी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। एमपी कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की सूची पर घमासान
कई जिलों में फैला असंतोष
असंतोष की यह आग प्रदेश के कई जिलों में फैल चुकी है:
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उज्जैन: ग्रामीण जिला अध्यक्ष के पद पर विधायक महेश परमार की नियुक्ति का विरोध हो रहा है।
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सतना: यहां विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को जिला अध्यक्ष बनाए जाने पर भी कार्यकर्ता नाराज हैं।
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बुरहानपुर: जिला अध्यक्ष की घोषणा के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव के समर्थकों द्वारा एक गुप्त बैठक किए जाने की खबरें सामने आई हैं, जो एक नए गुटीय संघर्ष का संकेत है।
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अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व पर सवाल: कई अल्पसंख्यक बाहुल्य जिलों में मुस्लिम समुदाय से किसी को शहर अध्यक्ष न बनाए जाने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
विधायकों को जिम्मेदारी देने पर सबसे ज्यादा नाराजगी
इस पूरे विवाद की एक बड़ी वजह विधायकों और पूर्व विधायकों को दोबारा महत्वपूर्ण पद दिया जाना माना जा रहा है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि इससे नए और जमीनी कार्यकर्ताओं को मौका नहीं मिल पाता। नई सूची में 6 मौजूदा विधायकों, 8 पूर्व विधायकों और 21 पुराने चेहरों को फिर से मौका दिया गया है। जयवर्धन सिंह, ओंकार सिंह मरकाम और निलय डागा जैसे बड़े नामों को जिम्मेदारी सौंपने के फैसले पर भी पार्टी के भीतर ही सवाल उठ रहे हैं। एमपी कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की सूची पर घमासान
कुल मिलाकर, संगठन को मजबूत करने के इरादे से जारी की गई यह सूची फिलहाल कांग्रेस के लिए आंतरिक कलह का कारण बन गई है, जिससे पार पाना प्रदेश नेतृत्व के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। एमपी कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की सूची पर घमासान









