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रायगढ़ के भूमि अधिग्रहण में 300 करोड़ के घोटाले का था आरोप।
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हाईकोर्ट ने CBI/ED जांच की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) को किया खारिज।
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कोर्ट की सख्त टिप्पणी: “जनहित याचिका निजी लाभ के लिए नहीं होती।”
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याचिकाकर्ता की सुरक्षा राशि भी जब्त करने का दिया आदेश।
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए रायगढ़ जिले में हुए कथित 300 करोड़ रुपये के भूमि अधिग्रहण मुआवजा घोटाले की जांच के लिए दायर जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने न केवल याचिका को खारिज किया, बल्कि यह भी कहा कि जनहित याचिकाओं का इस्तेमाल निजी हितों को साधने के लिए नहीं किया जा सकता।300 करोड़ के मुआवजा घोटाले की CBI जांच वाली जनहित याचिका खारिज,
क्या था पूरा मामला?
यह मामला रायगढ़ जिले के बजरमुड़ा गांव में हुए एक भूमि अधिग्रहण से जुड़ा है। अधिवक्ता दुर्गेश शर्मा ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि जमीन अधिग्रहण के मुआवजे में लगभग 300 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। याचिका में मांग की गई थी कि:
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मामले की स्वतंत्र जांच सीबीआई (CBI) या प्रवर्तन निदेशालय (ED) से कराई जाए।
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दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों और ग्रामीणों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत FIR दर्ज हो।
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घोटाले की 300 करोड़ रुपये की राशि की वसूली की जाए।
कोर्ट ने क्यों खारिज की याचिका? लगाई कड़ी फटकार
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की मंशा पर गंभीर सवाल उठाए। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा कि यह याचिका वास्तविक जनहित में दायर नहीं की गई है, बल्कि इसमें याचिकाकर्ता की “व्यक्तिगत रुचि” प्रतीत होती है। सुप्रीम कोर्ट के कई पुराने फैसलों का हवाला देते हुए बेंच ने दोहराया कि:
“जनहित याचिका का पवित्र मंच सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिए है, न कि निजी लाभ, प्रसिद्धि पाने या किसी पर दबाव बनाने के लिए।”300 करोड़ के मुआवजा घोटाले की CBI जांच वाली जनहित याचिका खारिज,
कोर्ट ने इस याचिका को जनहित याचिका के सिद्धांतों का दुरुपयोग मानते हुए याचिकाकर्ता द्वारा जमा की गई सुरक्षा राशि को भी जब्त करने का आदेश दिया।300 करोड़ के मुआवजा घोटाले की CBI जांच वाली जनहित याचिका खारिज,
वास्तविक पीड़ितों के लिए रास्ते खुले
हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस याचिका के खारिज होने का मतलब यह नहीं है कि मामले के वास्तविक पीड़ितों के लिए न्याय के रास्ते बंद हो गए हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर भूमि अधिग्रहण से प्रभावित कोई भी व्यक्ति इस मामले में धोखाधड़ी या भ्रष्टाचार का शिकार हुआ है, तो वह अपनी शिकायत लेकर उचित कानूनी मंच (Appropriate Forum) पर जा सकता है।300 करोड़ के मुआवजा घोटाले की CBI जांच वाली जनहित याचिका खारिज,









