रायपुर का हाल बेहाल: पैसा मिला फिर भी नहीं बंटे डस्टबिन, स्वच्छता रैंकिंग में क्यों पिछड़ रहा है शहर?

रायपुर का हाल बेहाल: पैसा मिला फिर भी नहीं बंटे डस्टबिन, स्वच्छता रैंकिंग में क्यों पिछड़ रहा है शहर?
मुख्य बिंदु:
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सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की मुहिम राजधानी में फेल, दावों की खुली पोल।
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डस्टबिन खरीदने के लिए मिली राशि, पर निगम ने नहीं की खरीदारी।
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गीला-सूखा कचरा अलग करने का प्लान ठप, सड़कों पर बिखर रहा कचरा।
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सफाई कर्मचारियों की कमी और लापरवाही से वार्डों में गंदगी का अंबार।
रायपुर का हाल बेहाल: पैसा मिला फिर भी नहीं बंटे डस्टबिन, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ‘जीरो सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट’ का सपना सिर्फ कागजों पर ही सिमटकर रह गया है। नगरीय प्रशासन विभाग के बार-बार निर्देश देने के बावजूद नगर निगम की कार्यप्रणाली सुस्त बनी हुई है। नतीजा यह है कि स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर की रैंकिंग लगातार गिर रही है और रायपुर देश के टॉप-10 स्वच्छ शहरों की सूची में जगह बनाने में नाकाम साबित हो रहा है।
राशि स्वीकृत, फिर भी घरों तक नहीं पहुंचे डस्टबिन
शहर को साफ-सुथरा रखने के लिए राज्य शहरी विकास अभिकरण (SUDA) द्वारा निगम को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत घर-घर डस्टबिन बांटने के लिए राशि स्वीकृत की गई थी। इस राशि से हर घर को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखने के लिए दो डस्टबिन दिए जाने थे। लेकिन हैरानी की बात यह है कि फंड मिलने के बावजूद यह योजना ठंडे बस्ते में पड़ी है और आज तक अधिकांश घरों में डस्टबिन नहीं बांटे गए हैं।रायपुर का हाल बेहाल: पैसा मिला फिर भी नहीं बंटे डस्टबिन
गीला-सूखा कचरा अलग करने की मुहिम पूरी तरह फेल
जब लोगों के पास अलग-अलग डस्टबिन ही नहीं हैं, तो वे कचरा अलग कैसे करेंगे? यही वजह है कि रायपुर जैसे सबसे बड़े नगर निगम में भी लोग कचरा लेने आने वाली गाड़ी को गीला और सूखा कचरा एक साथ मिलाकर दे रहे हैं। इससे कचरा सेग्रीगेशन का पूरा उद्देश्य ही विफल हो रहा है। इसके अलावा, कचरे से बिजली बनाने का ambitious प्लांट भी अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाया है।रायपुर का हाल बेहाल: पैसा मिला फिर भी नहीं बंटे डस्टबिन
सड़कों पर कचरा बिखेरती गाड़ियां
एक और बड़ी लापरवाही कचरे के ट्रांसपोर्टेशन में देखने को मिल रही है। नियमों के अनुसार, घरों से कचरा इकट्ठा करने के बाद उसे डंपिंग जोन तक तिरपाल या किसी अन्य चीज से ढंककर ले जाना अनिवार्य है। लेकिन कचरा गाड़ियां इसे खुलेआम लेकर जाती हैं, जिससे रास्ते भर कचरा उड़ता रहता है। खासकर स्पीड ब्रेकर या गड्ढों पर गाड़ी से कचरा गिरकर सड़क पर बिखर जाता है, जिसे उठाने की जहमत भी नहीं उठाई जाती।रायपुर का हाल बेहाल: पैसा मिला फिर भी नहीं बंटे डस्टबिन
कागजों पर तैनात, फील्ड से गायब सफाई कर्मचारी
वार्डों में सफाई व्यवस्था का एक बड़ा कारण कर्मचारियों की कमी भी है। नगर निगम द्वारा कागजों पर जितने सफाई कर्मचारियों की तैनाती दिखाई जाती है, उतने कभी भी फील्ड में नजर नहीं आते। जबकि निगम द्वारा इन कर्मचारियों को पूरा भुगतान किया जा रहा है। अधिकारियों के औचक निरीक्षण और सख्ती का भी कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है, जिससे वार्डों में गंदगी और अव्यवस्था का आलम है।रायपुर का हाल बेहाल: पैसा मिला फिर भी नहीं बंटे डस्टबिन









