बस्तर में ‘नीली क्रांति’ की दस्तक: 51 तालाबों में मछली पालन से संवरेगी ग्रामीणों की तकदीर, मंत्री केदार कश्यप की बड़ी पहल

बस्तर में ‘नीली क्रांति’ की दस्तक: 51 तालाबों में मछली पालन से संवरेगी ग्रामीणों की तकदीर, मंत्री केदार कश्यप की बड़ी पहल
बस्तर: 51 तालाबों में मछली पालन से संवरेगी ग्रामीणों की तकदीर, नक्सलवाद के लिए जाने जाने वाले बस्तर की तस्वीर अब बदल रही है। यहां के तालाब अब सिर्फ पानी का स्रोत नहीं, बल्कि ग्रामीणों की आय और आत्मनिर्भरता का केंद्र बनेंगे। वन मंत्री केदार कश्यप के मार्गदर्शन में, वन विभाग ने एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत बस्तर के 51 तालाबों में मछली पालन की नई शुरुआत की है, जिसका दोहरा मकसद है – ग्रामीणों की आय बढ़ाना और कुपोषण को जड़ से खत्म करना।
क्या है यह महत्वाकांक्षी योजना?
वन विभाग ने वन प्रबंधन समितियों (Forest Management Committees) के साथ मिलकर इस योजना को धरातल पर उतारा है।
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51 तालाबों का चयन: जिले के अलग-अलग गांवों में 51 तालाबों को मछली पालन के लिए चुना गया है।
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मुफ्त मछली बीज वितरण: इन सभी तालाबों में राहू, कतला और कॉमन कार्प जैसी तेजी से बढ़ने वाली मछलियों के 25-25 किलो बीज मुफ्त में वितरित किए गए हैं।
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उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को आय का एक स्थायी स्रोत देना और स्थानीय स्तर पर प्रोटीन युक्त भोजन (मछली) की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
सिर्फ मछली नहीं, आत्मनिर्भरता और पोषण का जाल
यह योजना सिर्फ मछली पालन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके दूरगामी प्रभाव हैं।
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आर्थिक मजबूती: वन प्रबंधन समितियां इन तालाबों में मछली का पालन करेंगी। जब मछलियां बड़ी हो जाएंगी, তো उन्हें बेचकर होने वाली आमदनी सीधे समिति के सदस्यों को मिलेगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
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कुपोषण पर वार: बस्तर जैसे क्षेत्र में, जहां कुपोषण एक बड़ी चुनौती है, स्थानीय स्तर पर ताज़ी मछली की उपलब्धता खाद्य सुरक्षा और पोषण स्तर को बेहतर बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
कैसे काम करेगा यह मॉडल?
यह पूरी योजना एक सहभागिता मॉडल पर आधारित है, जहां सरकार और ग्रामीण मिलकर काम कर रहे हैं।
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समितियों की भूमिका: वन प्रबंधन समितियां इस योजना की संचालक हैं। वे मछली पालन से लेकर उसकी बिक्री तक का पूरा काम देखेंगी।
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वन विभाग का सहयोग: वन विभाग एक मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहा है। CCF आर.सी. दुग्गा और DFO उत्तम कुमार गुप्ता जैसे वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में विभाग की टीम तकनीकी सहायता और निगरानी प्रदान कर रही है।
इन गांवों तक पहुंची योजना की लहर
यह योजना जिले के दूर-दराज के गांवों तक पहुंच रही है, जिनमें प्रमुख रूप से कोलावाड़ा, पोटियापाल, चेरबहार, बीरनपाल, पुलचा, धनपूंजी, पुसपाल, तिरिया, चोकावाड़ा, बोरपदर, उलनार, राजनगर, कुम्हरावंड, सोनपुर, भालुगुड़ा, और बागमोहलई जैसे कई गांव शामिल हैं।51 तालाबों में मछली पालन से संवरेगी ग्रामीणों की तकदीर
यह पहल बस्तर के विकास की एक नई इबारत लिखने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो साबित करती है कि सही दिशा और प्रयासों से क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक तस्वीर को बदला जा सकता है।51 तालाबों में मछली पालन से संवरेगी ग्रामीणों की तकदीर









