
कागजों पर कार्रवाई, हकीकत में जाम! नेशनल हाईवे के ढाबों में फिर लौटा शराब का अवैध कारोबार
कागजों पर कार्रवाई, हकीकत में जाम! छत्तीसगढ़ में सरकारें बदलीं, शराब नीतियां बदलीं, लेकिन नेशनल हाईवे के किनारे बसे ढाबों की तस्वीर नहीं बदली। कुछ दिनों की सख्ती और अभियानों के बाद, एक बार फिर इन ढाबों में खुलेआम शराब परोसी जाने लगी है, जो प्रशासन के सुशासन के दावों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। हाल ही में हुई एक दर्दनाक घटना के बाद शुरू हुई कार्रवाई भी अब अस्थायी साबित होती दिख रही है।
जब चार जिंदगियां बनीं ‘ड्रिंक एंड ड्राइव’ का शिकार
इस पूरे मामले की गंभीरता का अंदाजा 19 जुलाई की रात हुई एक भयावह कार दुर्घटना से लगाया जा सकता है, जिसमें चार युवक जिंदा जल गए। हादसे में बचे युवकों ने खुद कबूल किया था कि उन्होंने कांकेर लौटते समय एक ढाबे से शराब खरीदी और वहीं पी थी। इस घटना के बाद पुलिस-प्रशासन हरकत में आया, “ड्रिंक एंड ड्राइव” अभियान चलाया गया, चेकिंग पॉइंट लगे और ब्रीथ एनालाइजर से जांच भी हुई। लेकिन यह सब कुछ हफ्तों में ही बेअसर हो गया।कागजों पर कार्रवाई, हकीकत में जाम!
दिखावे की कार्रवाई? पुलिस के अभियान और आबकारी के आंकड़े
हकीकत यह है कि केशकाल घाट के नीचे स्थित ढाबों समेत कई जगहों पर शराब की बिक्री और उसे परोसने का सिलसिला फिर से शुरू हो गया है। यह दर्शाता है कि प्रशासन की कार्रवाई महज एक प्रतिक्रिया थी, न कि समस्या का स्थायी समाधान।कागजों पर कार्रवाई, हकीकत में जाम!
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आबकारी विभाग: विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 15 जुलाई तक अवैध शराब के 49 मामले दर्ज किए गए, लेकिन बरामदगी मामूली रही (45 लीटर महुआ, 17 लीटर विदेशी और 4 लीटर देसी शराब)।
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ट्रैफिक पुलिस: ट्रैफिक पुलिस ने पिछले तीन महीनों में “ड्रिंक एंड ड्राइव” के 27 केस बनाकर 2.70 लाख रुपये का जुर्माना वसूला। अकेले जुलाई में यह आंकड़ा 1.50 लाख रुपये था।
ये आंकड़े दिखाते हैं कि कार्रवाई तो हो रही है, लेकिन वह अवैध कारोबार की जड़ों तक नहीं पहुंच पा रही है।
विपक्ष ने घेरा: ‘नशे के कारण बढ़ रहा अपराध, पुलिस की मिलीभगत’
इस मुद्दे पर अब सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस ने एसपी को एक ज्ञापन सौंपकर जिले में बढ़ते अपराध के लिए खुलेआम चल रहे नशे के अवैध कारोबार को जिम्मेदार ठहराया है।कागजों पर कार्रवाई, हकीकत में जाम!
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नशे की गिरफ्त में युवा: कांग्रेस का आरोप है कि गांजा, अफीम और नशीली दवाइयां युवाओं तक आसानी से पहुंच रही हैं, जिससे वे अपराध की दुनिया में धकेले जा रहे हैं। हाल ही में संजय नगर में हुआ खूनी संघर्ष और बरदेभाठा में हुई हत्या को इसी से जोड़ा जा रहा है।
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पुलिस पर मिलीभगत का आरोप: ज्ञापन में सट्टे के अवैध कारोबार और इसमें पुलिस की मिलीभगत का भी गंभीर आरोप लगाया गया है, जो प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाता है।
स्पष्ट है कि केवल जुर्माना वसूलने या कुछ दिनों का अभियान चलाने से यह समस्या खत्म नहीं होगी। जब तक इस अवैध कारोबार के नेटवर्क और इसे संरक्षण देने वालों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक नेशनल हाईवे पर शराब मौत परोसती रहेगी।कागजों पर कार्रवाई, हकीकत में जाम!









