होमवर्क और प्रोजेक्ट में AI का बढ़ता चलन, छात्रों की सोचने-समझने की शक्ति हो रही खत्म

होमवर्क और प्रोजेक्ट में AI का बढ़ता चलन, छात्रों की सोचने-समझने की शक्ति हो रही खत्म
WhatsApp Group Join NowFacebook Page Follow NowYouTube Channel Subscribe NowTelegram Group Follow NowInstagram Follow NowDailyhunt Join NowGoogle News Follow Us!
भीलवाड़ा: होमवर्क और प्रोजेक्ट में AI का बढ़ता चलन, छात्रों की सोचने-समझने की शक्ति हो रही खत्म, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आज हर सवाल का जवाब उंगलियों पर दे रहा है। होमवर्क से लेकर ऑफिस के प्रेजेंटेशन तक, बस एक कमांड और काम पूरा। लेकिन यह सुविधा अब एक खतरनाक लत का रूप ले रही है, जिसका सबसे गहरा असर बच्चों और युवाओं की मानसिक क्षमताओं पर पड़ रहा है। AI पर बढ़ती निर्भरता उनकी रचनात्मकता, सोचने की शक्ति और सीखने की प्राकृतिक इच्छा को खत्म कर रही है।
सुविधा से लत तक का सफर
पहले छात्र किसी सवाल का हल ढूंढने या विज्ञान का मॉडल बनाने के लिए घंटों सोचते थे, किताबों और बड़ों की मदद लेते थे। इस प्रक्रिया में वे बहुत कुछ सीखते थे। लेकिन अब AI-आधारित टूल्स ने यह सब बदल दिया है। एक गृहिणी ने बताया कि उनका बेटा अपने होमवर्क के लिए AI का इस्तेमाल करने लगा और धीरे-धीरे उसे इसकी लत लग गई। परिणाम यह हुआ कि परीक्षा में जब उसे खुद सवालों के जवाब लिखने पड़े, तो वह बुरी तरह असफल रहा। इसी तरह, एक छात्र ने AI की मदद से शानदार स्कूल प्रोजेक्ट तो बना लिया, लेकिन जब उसे वही मॉडल बिना AI के बनाने को कहा गया, तो वह नहीं बना सका। होमवर्क और प्रोजेक्ट में AI का बढ़ता चलन, छात्रों की सोचने-समझने की शक्ति हो रही खत्म
क्यों खतरनाक है AI पर अत्यधिक निर्भरता?
विशेषज्ञों का मानना है कि AI का अंधाधुंध इस्तेमाल एक ऐसी ‘डिजिटल शॉर्टकट पीढ़ी’ को जन्म दे रहा है जो सोचने और मेहनत करने से कतराती है। इसके कई गंभीर नुकसान हैं:
-
रचनात्मकता का अंत: जब हर समस्या का समाधान तुरंत मिल जाता है, तो दिमाग नई और रचनात्मक चीजें सोचना बंद कर देता है।
-
समस्या-समाधान कौशल में गिरावट: मुश्किलों से जूझकर ही समस्या को सुलझाने का कौशल विकसित होता है। AI इस प्रक्रिया को ही खत्म कर देता है।
-
मानसिक सुस्ती: AI पर निर्भरता दिमाग को सुस्त बना देती है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता भी कमजोर होती है।
AI की भी हैं अपनी सीमाएं
यह समझना जरूरी है कि AI खुद कुछ नहीं सोचता। वह केवल उसे दिए गए डेटा और एल्गोरिथम के आधार पर परिणाम देता है। अगर उसे दिया गया डेटा ही गलत या अधूरा है, तो उसके परिणाम भी भ्रामक हो सकते हैं। इस पर आंख मूंदकर भरोसा करना खतरनाक साबित हो सकता है। होमवर्क और प्रोजेक्ट में AI का बढ़ता चलन, छात्रों की सोचने-समझने की शक्ति हो रही खत्म
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
एमएलवीटी इंजीनियरिंग कॉलेज, भीलवाड़ा में सहायक प्रोफेसर अनुराग जागेटिया के अनुसार, “AI ने बेशक काम की रफ्तार बढ़ाई है, लेकिन इसने रचनात्मकता को घटा दिया है। लोग अब खुद सोचने के बजाय AI पर निर्भर हो रहे हैं। इसका असर टीमवर्क और आपसी संवाद जैसे जरूरी कौशलों पर भी पड़ रहा है।” होमवर्क और प्रोजेक्ट में AI का बढ़ता चलन, छात्रों की सोचने-समझने की शक्ति हो रही खत्म
यह साफ है कि AI एक शक्तिशाली उपकरण है, लेकिन इसका उपयोग सहायक के रूप में होना चाहिए, न कि दिमाग के विकल्प के रूप में। होमवर्क और प्रोजेक्ट में AI का बढ़ता चलन, छात्रों की सोचने-समझने की शक्ति हो रही खत्म









