सावन में अमरकंटक का रास्ता बंद: भारी बारिश और भूस्खलन ने काटा संपर्क, श्रद्धालु फंसे

सावन में अमरकंटक का रास्ता बंद: भारी बारिश और भूस्खलन ने काटा संपर्क, श्रद्धालु फंसे
पेंड्रा-गौरेला-मरवाही, सावन में अमरकंटक का रास्ता बंद: भारी बारिश और भूस्खलन ने काटा संपर्क, छत्तीसगढ़ में पिछले पांच दिनों से जारी मूसलाधार बारिश अब कहर बरपाने लगी है। पेंड्रा-गौरेला-मरवाही (GPM) जिले में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन ने मध्य प्रदेश स्थित पवित्र तीर्थ नगरी अमरकंटक को जोड़ने वाले मुख्य मार्गों को पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया है। सड़कों पर पहाड़ का मलबा और उफनते झरनों का पानी आ जाने से यातायात ठप हो गया है, जिससे सावन के महीने में दर्शन के लिए जा रहे सैकड़ों श्रद्धालु और यात्री रास्ते में ही फंस गए हैं।
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दो प्रमुख मार्ग बंद, यातायात पूरी तरह ठप
अमरकंटक को जोड़ने वाले दो महत्वपूर्ण रास्ते बारिश की भेंट चढ़ गए हैं:
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ज्वालेश्वर-अमरकंटक मार्ग: गौरेला से ज्वालेश्वर धाम होकर अमरकंटक जाने वाले रास्ते पर पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा टूटकर सड़क पर आ गया है, जिससे यह मार्ग पूरी तरह से बंद हो गया है।
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दुर्गा धारा-अमरकंटक मार्ग: वहीं, गौरेला से पकरिया होकर अमरकंटक जाने वाले दूसरे रास्ते पर प्रसिद्ध दुर्गा धारा जलप्रपात का पानी उफान पर है और तेज बहाव के साथ सड़क के ऊपर से बह रहा है, जिससे इस मार्ग पर भी आवागमन असंभव हो गया है।
सावन में फंसे श्रद्धालु, ज्वालेश्वर धाम जाना हुआ मुश्किल
वर्तमान में पवित्र सावन का महीना चल रहा है, जिस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए अमरकंटक और ज्वालेश्वर धाम पहुंचते हैं। दोनों प्रमुख मार्गों के बंद हो जाने से सड़कों पर वाहनों की लंबी कतारें लग गई हैं। दर्शन के लिए निकले यात्री और श्रद्धालु बीच रास्ते में ही फंसकर रह गए हैं। कुछ लोग अब मजबूरन कई किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाकर अन्य वैकल्पिक, लंबे और जोखिम भरे रास्तों से अपनी मंजिल तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।सावन में अमरकंटक का रास्ता बंद: भारी बारिश और भूस्खलन ने काटा संपर्क
प्रशासन पर फूटा लोगों का गुस्सा, अनदेखी का लगाया आरोप
इस आपदा की स्थिति में प्रशासन की कथित सुस्ती और लापरवाही को लेकर लोगों में भारी आक्रोश है। फंसे हुए यात्रियों और स्थानीय निवासियों का आरोप है कि घटना के कई घंटे बीत जाने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई भी अधिकारी या कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा है, और न ही मलबा हटाने का कोई काम शुरू किया गया है। लोगों का कहना है कि प्रशासन को बारिश के मौसम में इस तरह की घटनाओं का अंदेशा पहले से था, लेकिन कोई भी पूर्व तैयारी नहीं की गई, जिसका खामियाजा अब आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।सावन में अमरकंटक का रास्ता बंद: भारी बारिश और भूस्खलन ने काटा संपर्क



![शिक्षा सत्र का डेढ़ माह बीता, अब तक स्कूलों में नहीं पहुंचीं किताबें, पुरानी पुस्तकों के सहारे भविष्य की पढ़ाई गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: छत्तीसगढ़ में नया शैक्षणिक सत्र 2025-26 शुरू हुए डेढ़ महीने से अधिक का समय हो गया है, लेकिन गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले के सरकारी स्कूलों में छात्रों के बस्ते अब भी खाली हैं।[1] पाठ्य पुस्तक निगम की लापरवाही के चलते अधिकांश कक्षाओं की किताबें अब तक स्कूलों तक नहीं पहुंच पाई हैं।[1][2] इस स्थिति के कारण छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है और वे पुरानी किताबों से काम चलाने को मजबूर हैं।[1] त्रैमासिक परीक्षा सिर पर, कैसे पूरा होगा कोर्स? स्कूलों में किताबों की यह कमी शिक्षकों और अभिभावकों दोनों के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गई है। लगभग डेढ़ महीने बाद त्रैमासिक परीक्षाएं होनी हैं, ऐसे में बिना नई किताबों के पाठ्यक्रम को समय पर पूरा करना एक बड़ी चुनौती है।[1] जिले के प्राइमरी से लेकर मिडिल स्कूलों तक में यही स्थिति है। उदाहरण के लिए, कक्षा 6वीं के छात्रों को सिर्फ गणित की किताब मिली है, जबकि 8वीं के छात्रों को भी कुछ ही विषयों की पुस्तकें प्राप्त हुई हैं।[1] नए पाठ्यक्रम के कारण पुरानी किताबों से पढ़ाई करना भी पूरी तरह संभव नहीं हो पा रहा है।[1] क्यों हुई किताबों के वितरण में देरी? इस साल किताबों के वितरण में देरी के कई कारण सामने आ रहे हैं: तकनीकी खामियां: इस वर्ष भ्रष्टाचार रोकने के लिए किताबों पर बारकोड लगाए गए हैं।[3][4] लेकिन पाठ्य पुस्तक निगम के पोर्टल का सर्वर बार-बार डाउन होने से स्कूलों में किताबों की स्कैनिंग और डेटा अपलोडिंग का काम अटक गया है, जिससे वितरण रुका हुआ है।[5][6] पुराने डेटा पर छपाई: किताबों की छपाई पुराने यू-डायस (UDISE) डेटा और पिछले साल के स्टॉक के आधार पर की गई। इसमें नए दाखिलों और छात्रों की बढ़ी हुई संख्या का अनुमान नहीं लगाया गया, जिससे कई स्कूलों में मांग के अनुरूप किताबें नहीं पहुंचीं।[1][2] वितरण में अव्यवस्था: पाठ्य पुस्तक निगम से स्कूलों तक किताबें पहुंचाने की प्रक्रिया में भी अव्यवस्था देखने को मिली है।[2][5] प्रशासन के दावों के बावजूद स्थिति जस की तस हालांकि, पाठ्य पुस्तक निगम और शिक्षा विभाग के अधिकारी जल्द ही किताबें पहुंचाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।[2][5] स्कूल प्रबंधन द्वारा जिला कार्यालय को किताबों की मांग के लिए पत्र लिखे जाने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।[1] इस लापरवाही का खामियाजा सीधे तौर पर प्राइमरी और मिडिल स्कूल के मासूम बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। अभिभावकों और शिक्षकों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द किताबों की व्यवस्था की जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई और भविष्य अधर में न लटके।[1]](https://nidarchhattisgarh.com/wp-content/uploads/2025/08/16a.jpg)





