झुंझुनूं में ‘उलटी उम्र’ का गजब खेल: पिता 40, बेटा 130! 90 परिवारों के राशन पर लटकी तलवार
रसद विभाग की तकनीकी गड़बड़ी और लापरवाही ने खड़ा किया संकट, भास्कर की पड़ताल में खुली पोल

झुंझुनूं, राजस्थान: झुंझुनूं में ‘उलटी उम्र’ का गजब खेल: पिता 40, बेटा 130! 90 परिवारों के राशन पर लटकी तलवार. राजस्थान के झुंझुनूं जिले से एक ऐसा हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां राशन कार्ड में सदस्यों की उम्र में भारी गड़बड़ी देखने को मिली है. रसद विभाग के डिजिटलाइजेशन के दौरान हुई तकनीकी खामी और फील्ड वेरिफिकेशन में लापरवाही के चलते ‘पिता 40 साल का और बेटा 130 साल का’ जैसे आंकड़े सामने आए हैं. इतना ही नहीं, पति की उम्र 45 तो पत्नी की 103 साल दर्ज हो गई है. ऐसे एक या दो नहीं, बल्कि करीब 90 परिवार हैं जो इस गड़बड़ी का खामियाजा भुगत रहे हैं और पिछले छह महीने से उनके राशन पर संकट मंडरा रहा है.
पड़ताल में सामने आई सच्चाई:

जब यह मामला सामने आया तो भास्कर टीम ने इसकी पड़ताल की. जांच में पता चला कि टमकोर, बाजला, कायमपुरा, बासड़ी, इंद्रपुरा, ककराना, मालसर और पातुसरी जैसे गांवों में सबसे ज्यादा केस मिले. इन परिवारों से बातचीत करने पर पता चला कि उनके बेटे-बेटी की वास्तविक उम्र 20 से 25 साल है, लेकिन राशन कार्ड में 100 साल से भी ज्यादा दर्ज कर दी गई है. परिवार लगातार विभाग और राशन डीलर के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. उन्हें डर है कि उनके राशन कार्ड कैंसिल हो जाएंगे.झुंझुनूं में ‘उलटी उम्र’ का गजब खेल: पिता 40, बेटा 130!
कैसे हुई यह बड़ी गड़बड़ी?
जिले के रसद विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, डिजिटलाइजेशन के दौरान आधार नंबर और पारिवारिक डिटेल का मिलान IM-PDS पोर्टल से किया गया. इसी प्रक्रिया में सॉफ्टवेयर की तकनीकी गड़बड़ी और फील्ड वेरिफिकेशन में हुई लापरवाही के कारण कई कार्डों में उम्र और पारिवारिक संबंध गलत दर्ज हो गए. जब ऐसे मामले सामने आए, तो 14,972 राशन कार्डों की जांच की गई, जिनमें से 90 परिवारों के सदस्यों की उम्र में यह बड़ी गड़बड़ी पाई गई.झुंझुनूं में ‘उलटी उम्र’ का गजब खेल: पिता 40, बेटा 130!
इस गड़बड़ी का सबसे ज्यादा असर गरीब और मजदूर परिवारों पर पड़ा है. IM-PDS पोर्टल पर गलत डेटा के आधार पर राज्य स्तर पर ‘अपात्रों’ की सूची तैयार की जा रही है, जिसके चलते गलत उम्र दर्ज होने वाले परिवार भी अपात्र घोषित कर दिए गए हैं और उन्हें कई महीनों से राशन नहीं मिल पा रहा है.झुंझुनूं में ‘उलटी उम्र’ का गजब खेल: पिता 40, बेटा 130!
कुछ चौंकाने वाले मामले:
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खेतड़ी के गोठड़ा गांव की रामप्यारी (65): उनका 25 साल का बेटा राशन कार्ड में 115 साल का हो गया है, जिससे उनका राशन बंद हो गया है.
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नवलगढ़ के लांबा गांव के सुबोध शर्मा (25): उनके पिता (40 साल) की उम्र 40 साल दर्ज है, लेकिन सुबोध की उम्र 98 साल हो गई है, जिससे उन्हें अपात्र घोषित कर दिया गया.
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पिपलोद कलां के रोहिताश का परिवार: पूरे परिवार की उम्र बदल गई. खुद 65 साल के रोहिताश 88 के, पत्नी 90 की, बेटी (22 साल) 111 की और बेटा (19 साल) 112 साल का हो गया.
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टमकोर गांव के सुरेश कुमार (45): उनकी पत्नी (40 साल) की उम्र राशन कार्ड में 103 साल दर्ज हो गई है.
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कासिमपुर के हजारीलाल का बेटा (20): उसकी उम्र 119 साल दर्ज हो गई है, जबकि पिता की उम्र 46 साल है.
ऐसे ही कई अन्य मामले भी सामने आए हैं, जहां छोटे बच्चों की उम्र भी 100 साल पार कर गई है, जिससे इन परिवारों को राशन से वंचित होना पड़ रहा है.झुंझुनूं में ‘उलटी उम्र’ का गजब खेल: पिता 40, बेटा 130!
डेटा में लापरवाही और अधूरा वेरिफिकेशन:
विभागीय सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों के निर्देश पर राशन कार्ड डेटा का आधार आधारित प्रमाणीकरण किया गया. इसके लिए ई-मित्र और डीलरों के माध्यम से फील्ड वेरिफिकेशन का काम शुरू हुआ, लेकिन झुंझुनूं जिले में यह प्रक्रिया आधी-अधूरी रह गई. कई जगह डीलरों ने बिना दस्तावेज देखे ही एंट्री कर दी, जिससे यह गड़बड़ी हुई. कई डीलरों ने स्वीकार किया कि आधार लिंकिंग के दौरान उनसे एंट्री गलत हो गई थी.झुंझुनूं में ‘उलटी उम्र’ का गजब खेल: पिता 40, बेटा 130!
रसद अधिकारी का आश्वासन:
जिला रसद अधिकारी डॉ. निकिता राठौड़ ने बताया कि सॉफ्टवेयर में नाम के साथ जुड़ा आधार नंबर मिलान के दौरान गलती से दूसरी एंट्री से लिंक हो गया, जिससे पूरी फैमिली की उम्र उलट गई. उन्होंने तकनीकी टीम को सुधार के निर्देश दिए हैं. वहीं, जिला रसद अधिकारी ओमप्रकाश शर्मा ने कहा कि कुछ मामलों में तकनीकी कारणों से उम्र और संबंध गलत दिख रहे हैं, लेकिन इसका असर पात्रता पर नहीं डाला जाएगा. उन्होंने आश्वासन दिया कि सभी अपात्र सूची वाले परिवारों का पुनः सत्यापन करवाया जा रहा है और किसी भी पात्र व्यक्ति को राशन से वंचित नहीं रखा जाएगा.झुंझुनूं में ‘उलटी उम्र’ का गजब खेल: पिता 40, बेटा 130!
यह मामला दिखाता है कि डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया में सावधानी और फील्ड वेरिफिकेशन की गंभीरता कितनी महत्वपूर्ण है, ताकि नागरिकों को ऐसी परेशानियों का सामना न करना पड़े. उम्मीद है कि प्रशासन जल्द से जल्द इन त्रुटियों को ठीक करेगा और प्रभावित परिवारों को उनका हक मिलेगा.झुंझुनूं में ‘उलटी उम्र’ का गजब खेल: पिता 40, बेटा 130!









