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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 3200 करोड़ के महाघोटाले की परतें उधड़ीं, कई दिग्गज सलाखों के पीछे

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 3200 करोड़ के महाघोटाले की परतें उधड़ीं, कई दिग्गज सलाखों के पीछे

रायपुर: छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 3200 करोड़ के महाघोटाले की परतें उधड़ीं, छत्तीसगढ़ में हुए लगभग 3200 करोड़ रुपये के सनसनीखेज शराब घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) मिलकर कर रही हैं। इस मामले ने प्रदेश की राजनीति और नौकरशाही में भूचाल ला दिया है, जिसमें एक पूर्व मंत्री से लेकर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और बड़े कारोबारी तक शामिल हैं।

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घोटाले का सिंडिकेट: कैसे बनी पूरी योजना?

जांच एजेंसियों के अनुसार, इस घोटाले को एक संगठित सिंडिकेट बनाकर अंजाम दिया गया। इस सिंडिकेट में 50 से अधिक लोग शामिल थे, जिनमें तत्कालीन आबकारी मंत्री, पूर्व आईएएस अधिकारी, आबकारी विभाग के विशेष सचिव, होटल कारोबारी और शराब निर्माता कंपनियां शामिल थीं। इस पूरे खेल को 2019 से 2022 के बीच अंजाम दिया गया। साजिश के तहत वसूली के लिए ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ ग्रेड के तीन सिंडिकेट बनाए गए थे।छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 3200 करोड़ के महाघोटाले की परतें उधड़ीं

कमीशनखोरी और अवैध कमाई का खेल

यह सिंडिकेट डिस्टलरी संचालकों से प्रति पेटी 75 रुपये से लेकर 100 रुपये तक का कमीशन वसूलता था। डिस्टलरी संचालकों को इस कमीशन से नुकसान न हो, इसके लिए एक अनोखा तरीका निकाला गया। सरकार ने नए टेंडर में शराब की कीमतें बढ़ा दीं, ताकि कमीशन की भरपाई हो सके। इसके अलावा, फर्मों को सामान खरीदी में ओवर बिलिंग यानी बिल को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने की भी छूट दी गई।छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 3200 करोड़ के महाघोटाले की परतें उधड़ीं

नकली होलोग्राम से सरकारी खजाने को चूना

घोटाले का सबसे बड़ा पहलू नकली शराब की बिक्री थी। सिंडिकेट डिस्टलरी मालिकों से तय कोटे से ज्यादा शराब बनवाता था। इस अवैध शराब को असली दिखाने के लिए नकली होलोग्राम का इस्तेमाल किया गया और फिर इसे सरकारी दुकानों के माध्यम से ही बेचा गया। होलोग्राम की सप्लाई के लिए नोएडा की एक कंपनी से संपर्क किया गया था। खाली बोतलें जुटाने से लेकर नकली शराब के परिवहन तक की जिम्मेदारी सिंडिकेट के सदस्यों को सौंपी गई थी।छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 3200 करोड़ के महाघोटाले की परतें उधड़ीं

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घोटाले का नेटवर्क: परिवहन से लेकर बिक्री तक

इस गोरखधंधे को चलाने के लिए प्रदेश के 15 जिलों में एक समानांतर नेटवर्क खड़ा किया गया। दुकान संचालकों को सख्त हिदायत दी गई थी कि वे इस अवैध शराब की बिक्री का कोई भी रिकॉर्ड सरकारी दस्तावेजों में दर्ज न करें। इस डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब की बिक्री से मिली पूरी रकम सीधे सिंडिकेट की जेब में जाती थी, जिससे सरकारी खजाने को हजारों करोड़ का चूना लगा।छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 3200 करोड़ के महाघोटाले की परतें उधड़ीं

जांच का शिकंजा: ईडी और ईओडब्ल्यू की ताबड़तोड़ कार्रवाई

ईडी ने अपनी शुरुआती जांच में इस घोटाले को 2160 करोड़ का बताया था, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, यह आंकड़ा 3200 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। दोनों जांच एजेंसियां अब तक इस मामले में 29 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी हैं। मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विशेष न्यायालय में 30,000 से अधिक पन्नों के कई चालान पेश किए जा चुके हैं।छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 3200 करोड़ के महाघोटाले की परतें उधड़ीं

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