दिल्ली एयरपोर्ट बना कला और संस्कृति का संगम: अब यात्री भी ले सकेंगे कथक, भरतनाट्यम और संगीत की लाइव प्रस्तुतियों का आनंद

दिल्ली एयरपोर्ट बना कला और संस्कृति का संगम: अब यात्री भी ले सकेंगे कथक, भरतनाट्यम और संगीत की लाइव प्रस्तुतियों का आनंद
नई दिल्ली: दिल्ली एयरपोर्ट बना कला और संस्कृति का संगम, दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (IGI) हवाई अड्डा अब सिर्फ़ उड़ानों का केंद्र नहीं, बल्कि भारतीय कला और संस्कृति का एक जीवंत मंच भी बन गया है। दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) ने यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए ‘DEL वाइब्स’ नाम से एक अनूठी पहल शुरू की है, जिसके तहत यात्री अब एयरपोर्ट पर ही भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत का लाइव आनंद ले सकेंगे।
क्या है ‘DEL वाइब्स’ पहल?
इस पहल के तहत, यात्री अब हवाई अड्डे के सभी टर्मिनलों पर कथक और भरतनाट्यम जैसे शास्त्रीय नृत्यों की मनमोहक प्रस्तुतियों को लाइव देख सकेंगे। इसके साथ ही, शहनाई, संतूर, सितार और सारंगी जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की मधुर धुनें भी यात्रियों को एक सुखद अनुभव देंगी। यह कार्यक्रम घरेलू और अंतरराष्ट्रीय, दोनों तरह के यात्रियों के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि यात्रा के दौरान उन्हें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की एक झलक मिल सके। यात्री चाहें तो कलाकारों द्वारा संचालित हस्तशिल्प कार्यशालाओं में भी हिस्सा ले सकते हैं।दिल्ली एयरपोर्ट बना कला और संस्कृति का संगम
यात्रा के तनाव को कम करने की अनूठी कोशिश
अक्सर हवाई यात्रा, विशेष रूप से पहली बार यात्रा करने वालों के लिए, तनावपूर्ण हो सकती है। DIAL के अनुसार, इस पहल का एक बड़ा उद्देश्य यात्रा के दौरान होने वाले तनाव और घबराहट को कम करना है। एक शांत और आकर्षक सांस्कृतिक वातावरण प्रदान करके, हवाई अड्डा प्रशासन चाहता है कि यात्री अपने इंतजार के समय का सदुपयोग करें और इसे एक यादगार अनुभव में बदलें।दिल्ली एयरपोर्ट बना कला और संस्कृति का संगम
कार्यक्रम का समय और स्वरूप
ये सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक आयोजित किए जाएंगे। प्रत्येक सत्र को यात्रियों की सुविधा के अनुसार डिजाइन किया गया है:
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10-15 मिनट: शास्त्रीय नृत्य (कथक/भरतनाट्यम) की प्रस्तुति
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20-25 मिनट: लाइव शास्त्रीय संगीत का वादन
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15 मिनट: कलाकारों द्वारा संचालित हस्तशिल्प कार्यशाला
इन सत्रों के बीच, एक एम्सी (संचालक) यात्रियों के साथ संवाद स्थापित करेगा और उन्हें कार्यक्रम की जानकारी देगा, जिससे यह अनुभव और भी इंटरैक्टिव बन जाएगा।
भारतीय विरासत को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता
डायल के सीईओ, श्री विदेह कुमार जयपुरियार ने कहा, “यह हमारा तरीका है कि हम हर यात्री को हवाई अड्डे से निकलने से पहले भारत की सांस्कृतिक समृद्धि का एक हिस्सा दे सकें। यह पहल न केवल यात्रियों के लिए यादगार अनुभव बनाने, बल्कि भारत के सबसे व्यस्त हवाई अड्डे के प्रबंधन और संचालन के हमारे दृष्टिकोण को भी दर्शाती है।”दिल्ली एयरपोर्ट बना कला और संस्कृति का संगम
यह नई पहल एयरपोर्ट पर पहले से मौजूद कलाकृतियों की कड़ी को और मजबूत करती है, जिनमें टर्मिनल 3 पर स्थित ‘बारह मुद्रा’ की मूर्तियां, सूर्य नमस्कार को समर्पित 12 फुट ऊंची प्रतिमा और देश के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा बनाए गए भित्ति चित्र शामिल हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश में प्रवेश करने वाला हर अंतरराष्ट्रीय यात्री भारतीय संस्कृति की एक सुंदर यात्रा का अनुभव करे।दिल्ली एयरपोर्ट बना कला और संस्कृति का संगम









