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11 राज्यों में ठगी, करोड़ों का फ्रॉड: फरसगांव पुलिस ने अंतर्राज्यीय साइबर ठग गिरोह का किया पर्दाफाश, 5 गिरफ्तार

11 राज्यों में ठगी, करोड़ों का फ्रॉड: फरसगांव पुलिस ने अंतर्राज्यीय साइबर ठग गिरोह का किया पर्दाफाश, 5 गिरफ्तार

फरसगांव पुलिस ने अंतर्राज्यीय साइबर ठग गिरोह का किया पर्दाफाश, छत्तीसगढ़ की फरसगांव पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए अंतर्राज्यीय स्तर पर सक्रिय एक बड़े साइबर ठग गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जो देश के 11 राज्यों में ठगी की वारदातों को अंजाम दे चुके थे। इस गिरोह ने “म्यूल अकाउंट्स” का इस्तेमाल कर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम दिया था।

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कैसे हुआ इस बड़े गिरोह का भंडाफोड़?

पुलिस को मिली खुफिया जानकारी के आधार पर एक विशेष टीम का गठन किया गया। इस टीम ने जाल बिछाकर गिरोह के चार प्रमुख आरोपियों को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज एयरपोर्ट से धर दबोचा, जबकि एक अन्य आरोपी को बिलासपुर से गिरफ्तार किया गया। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि इस गिरोह ने ठगी के लगभग 1 करोड़ 70 लाख रुपये म्यूल अकाउंट्स में ट्रांसफर किए थे ताकि वे कानून की पकड़ से बच सकें।फरसगांव पुलिस ने अंतर्राज्यीय साइबर ठग गिरोह का किया पर्दाफाश

11 राज्यों में फैला था ठगी का जाल

यह गिरोह बेहद शातिर तरीके से काम कर रहा था और इनका नेटवर्क 11 राज्यों तक फैला हुआ था। पुलिस के अनुसार, इन आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग राज्यों में साइबर धोखाधड़ी के 17 से अधिक मामले दर्ज हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान इस प्रकार है:

  • जे सुधाकर पटनायक (निवासी: खुर्सीपार, भिलाई)

  • रवि साहू (निवासी: बैकुंठ नगर, भिलाई)

  • दुर्गेश कुमार सोनी (निवासी: भिलाई)

  • चंदन कुमार विश्वकर्मा (निवासी: भिलाई छावनी)

  • प्रभाकर राय (निवासी: कोंडागांव)

पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है और मामले की आगे की जांच जारी है।

क्या होता है म्यूल अकाउंट? जानिए ठगी का तरीका

साइबर अपराधी ठगी के पैसों का क्या करते हैं? वे इसे सीधे अपने खाते में नहीं डालते, क्योंकि इससे वे आसानी से पकड़े जा सकते हैं। यहीं पर “म्यूल अकाउंट” का इस्तेमाल होता है।फरसगांव पुलिस ने अंतर्राज्यीय साइबर ठग गिरोह का किया पर्दाफाश

म्यूल अकाउंट (Mule Account) एक ऐसा बैंक खाता होता है जो किसी तीसरे व्यक्ति के नाम पर होता है। साइबर ठग अक्सर कमीशन का लालच देकर या धोखे से आम लोगों के बैंक खातों का इस्तेमाल करते हैं। वे ठगी से मिले पैसों को इन खातों में ट्रांसफर करते हैं और फिर उसे अलग-अलग खातों में घुमाकर या कैश निकालकर गायब कर देते हैं। इससे पुलिस के लिए पैसे के असली स्रोत और अपराधी तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।फरसगांव पुलिस ने अंतर्राज्यीय साइबर ठग गिरोह का किया पर्दाफाश

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