
IIT और AIIMS जोधपुर का कमाल: अब तस्वीर से होगा बच्चों में कुपोषण का सटीक पता! भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) जोधपुर के शोधकर्ताओं ने बच्चों में कुपोषण की पहचान के लिए एक क्रांतिकारी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल विकसित किया है। यह नई और प्रभावी विधि, जिसकी जानकारी ओपन-एक्सेस जर्नल एमआईसीसीएआई में प्रकाशित की गई है, वैश्विक स्तर पर कुपोषण की गंभीर चुनौती से निपटने में मददगार साबित होगी।
समय और संसाधनों की बचत: AI तकनीक का नया आयाम
कुपोषण का सटीक आकलन करने वाली यह नई प्रणाली ‘डोमेनएडेप्ट’ नामक एक अभिनव बहु-कार्य शिक्षण ढांचे पर आधारित है। यह डोमेन ज्ञान और पारस्परिक सूचना का उपयोग करके कार्यभार को गतिशील रूप से समायोजित करती है। इसके परिणामस्वरूप, यह प्रणाली बच्चे की ऊंचाई, वजन और मध्य-ऊपरी भुजा परिधि (MUAC) जैसे प्रमुख मानवमितीय (एंथ्रोपोमेट्री) मापों का अधिक सटीकता से अनुमान लगा सकती है। साथ ही, यह बौनेपन, दुर्बलता और कम वजन जैसी कुपोषण संबंधी स्थितियों का भी वर्गीकरण करने में सक्षम है। IIT और AIIMS जोधपुर का कमाल: अब तस्वीर से होगा बच्चों में कुपोषण का सटीक पता!
पारंपरिक जांच विधियों में इन मापों का मूल्यांकन करने में समय लगता है और ये उपयोगकर्ता के सामने कई चुनौतियां पेश करती हैं। आईआईटी-एम्स में चिकित्सा प्रौद्योगिकी से डॉक्टरेट कर रहे मिसाल खान, जिन्होंने इस अध्ययन का नेतृत्व किया, ने बताया, “केवल एक बच्चे की तस्वीरें लेकर, हम इस विधि से जटिल और समय लेने वाले मानवमितीय मापों की आवश्यकता के बिना पोषण संबंधी स्थिति का अनुमान लगा सकते हैं।” IIT और AIIMS जोधपुर का कमाल: अब तस्वीर से होगा बच्चों में कुपोषण का सटीक पता!
सीमित संसाधनों वाले क्षेत्रों के लिए गेम चेंजर
मिसाल खान ने आगे कहा, “इससे खासकर सीमित संसाधनों वाले क्षेत्रों में कुपोषण की जांच तेज, अधिक सुलभ और अत्यधिक मापी जाने वाली होगी।” यह शोध ‘एंथ्रोविजन’ नामक एक अद्वितीय डेटासेट पर आधारित है, जिसमें 2,141 बच्चों की 16,938 मल्टी-पोज तस्वीरें शामिल हैं। इन तस्वीरों को क्लिनिकल (एम्स जोधपुर) और सामुदायिक (राजस्थान के सरकारी स्कूल) दोनों जगहों से एकत्र किया गया है। IIT और AIIMS जोधपुर का कमाल: अब तस्वीर से होगा बच्चों में कुपोषण का सटीक पता!
विश्वसनीय AI-संचालित समाधान
कठोर प्रयोगों के माध्यम से, ‘डोमेनएडेप्ट’ ने मौजूदा मल्टीटास्क लर्निंग विधियों की तुलना में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है। यह दुनिया भर में कुपोषण का पता लगाने में तेजी लाने के लिए एक विश्वसनीय AI-संचालित समाधान प्रदान करता है। खान ने जोर देते हुए कहा, “यह शोध समान हेल्थकेयर पहुंच की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।” उन्होंने निष्कर्ष निकाला, “AI और डोमेन विशेषज्ञता को मिलाकर, हम स्वास्थ्य सेवा कर्मियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को ऐसे उपकरणों से सशक्त बना सकते हैं जो किफायती, सटीक और मापनीय हों।” यह नवाचार स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक नई सुबह का संकेत देता है, जहां तकनीक मानव कल्याण के लिए एक शक्तिशाली साधन बन रही है। IIT और AIIMS जोधपुर का कमाल: अब तस्वीर से होगा बच्चों में कुपोषण का सटीक पता!









