BSP में आवास पर घमासान: बड़े बंगले खाली, फिर भी अधिकारी छोटे मकानों में रहने को मजबूर, किसके लिए हो रही कार्रवाई?

BSP में आवास पर घमासान: बड़े बंगले खाली, फिर भी अधिकारी छोटे मकानों में रहने को मजबूर, किसके लिए हो रही कार्रवाई?
भिलाई: BSP में आवास पर घमासान: बड़े बंगले खाली, फिर भी अधिकारी छोटे मकानों में रहने को मजबूर, भिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) का नगर सेवाएं विभाग भले ही अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई कर आवास खाली करा रहा हो, लेकिन इस अभियान ने एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया है। BSP की प्रमुख यूनियन सीटू (CITU) ने प्रबंधन की मंशा पर गंभीर सवाल उठाए हैं। सवाल यह है कि जब बड़े-बड़े आवास खाली कराए जा रहे हैं, तो BSP के ही मुख्य महाप्रबंधक (CGM) स्तर के वरिष्ठ अधिकारी छोटे मकानों या भिलाई निवास में रहने को क्यों मजबूर हैं? कर्मचारियों को उनका हक क्यों नहीं मिल रहा है?
अधिकारी छोटे मकानों में, तो आवास किसके लिए हो रहे खाली?
यूनियन का सबसे बड़ा आरोप यह है कि BSP प्रबंधन अपने ही अधिकारियों और कर्मचारियों की अनदेखी कर रहा है। आज भी BSP के कई सीजीएम स्तर के अधिकारी अपने ग्रेड के अनुरूप आवास के लिए तरस रहे हैं। तबादला होकर आने वाले वरिष्ठ अधिकारियों को समय पर आवास न मिलने के कारण गेस्ट हाउस (भिलाई निवास) में शरण लेनी पड़ती है, और बाद में उन्हें मजबूरी में छोटे मकानों में रहना पड़ता है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब अपने ही अधिकारी बेहतर आवास के लिए इंतजार कर रहे हैं, तो रिटेंशन स्कीम के तहत खाली कराए जा रहे बड़े आवास आखिर किसे सौंपे जाएंगे?BSP में आवास पर घमासान: बड़े बंगले खाली, फिर भी अधिकारी छोटे मकानों में रहने को मजबूर
प्रशासनिक कब्जे का डर, यूनियन ने मांगी पारदर्शिता
यूनियन ने आशंका जताई है कि खाली कराए गए आवासों को प्रशासनिक अधिकारियों (सरकारी अफसरों) को आवंटित किया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो इन आवासों को वापस पाना BSP प्रबंधन के लिए लगभग नामुमकिन हो जाएगा। यूनियन ने मांग की है कि प्रबंधन को उन बड़े आवासों की सूची सार्वजनिक करनी चाहिए जो पहले से ही प्रशासनिक या राजनीतिक कब्जे में हैं।BSP में आवास पर घमासान: बड़े बंगले खाली, फिर भी अधिकारी छोटे मकानों में रहने को मजबूर
इसका सबसे बड़ा उदाहरण “32 बंगला” क्षेत्र है, जो कभी पूरी तरह से BSP के स्वामित्व में था, लेकिन आज एक बंगले को छोड़कर बाकी सभी पर शासन-प्रशासन या नेताओं का कब्जा है। क्या नगर सेवाएं विभाग इन बंगलों को कभी खाली कराने की हिम्मत दिखा पाएगा?BSP में आवास पर घमासान: बड़े बंगले खाली, फिर भी अधिकारी छोटे मकानों में रहने को मजबूर
सेवा के बदले यह कैसा सलूक?
यूनियन ने प्रबंधन को याद दिलाया कि जब भी टाउनशिप में बाहरी तत्वों से टकराव की स्थिति बनी, तो यही प्रवर्तन विभाग के अधिकारी यूनियनों से मदद मांगते थे। यूनियनों ने हमेशा BSP का साथ दिया है। ऐसे में अपने 35-40 साल संयंत्र को देने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रति प्रबंधन का यह रवैया उनके समर्पण को ठेस पहुंचा रहा है।BSP में आवास पर घमासान: बड़े बंगले खाली, फिर भी अधिकारी छोटे मकानों में रहने को मजबूर
प्रधानमंत्री तक पहुंची गुहार
यह मामला सिर्फ भिलाई तक ही सीमित नहीं है। अधिकारियों के संगठन ‘सेफी’ (SEFI) ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर देश भर में BSP और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के आवासों को प्रशासनिक अधिकारियों के कब्जे से मुक्त कराने की मांग की है। एक तरफ राष्ट्रीय स्तर पर यह मांग उठ रही है, वहीं दूसरी तरफ भिलाई में फिर से बड़े मकानों को खाली कराने की कार्रवाई पर सवालिया निशान लग गया है।BSP में आवास पर घमासान: बड़े बंगले खाली, फिर भी अधिकारी छोटे मकानों में रहने को मजबूर
यह विरोधाभास BSP कर्मचारियों के मन में कई सवाल पैदा कर रहा है। क्या प्रबंधन अपने कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने में विफल हो रहा है या फिर यह किसी दबाव में की जा रही एकतरफा कार्रवाई है?BSP में आवास पर घमासान: बड़े बंगले खाली, फिर भी अधिकारी छोटे मकानों में रहने को मजबूर









