अंतरिक्ष में भारतीय ‘किसान’ शुभांशु शुक्ला: ISS पर उगाई मेथी-मूंग, भविष्य की स्पेस फार्मिंग की रखी नींव

अंतरिक्ष में भारतीय ‘किसान’ शुभांशु शुक्ला: ISS पर उगाई मेथी-मूंग, भविष्य की स्पेस फार्मिंग की रखी नींव
मुख्य बिंदु:
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भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने ISS पर ‘स्प्राउट्स प्रोजेक्ट’ के तहत मेथी और मूंग के बीज अंकुरित किए।
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यह प्रयोग भविष्य के चंद्र और मंगल मिशनों पर भोजन उगाने की दिशा में एक मील का पत्थर है।
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शुक्ला स्टेम सेल और ब्रेन रिसर्च सहित कई अन्य महत्वपूर्ण प्रयोग भी कर रहे हैं।
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10 जुलाई के बाद होगी पृथ्वी पर वापसी, लाए गए सैंपल से भारतीय वैज्ञानिक करेंगे गहन अध्ययन।
अंतरिक्ष से बड़ी खबर: अंतरिक्ष में भारतीय ‘किसान’ शुभांशु शुक्ला: ISS पर उगाई मेथी-मूंग, भारत के गौरव, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री की भूमिका ही नहीं निभाई, बल्कि वे अंतरिक्ष में भारत के पहले ‘किसान’ भी बन गए हैं। अपने 14-दिवसीय मिशन के दौरान, उन्होंने माइक्रोग्रैविटी (शून्य गुरुत्वाकर्षण) में मेथी और मूंग के बीज उगाकर एक ऐतिहासिक प्रयोग को अंजाम दिया है, जो भविष्य में अंतरिक्ष में खेती (Space Farming) के दरवाजे खोल सकता है।
क्या है ‘स्प्राउट्स प्रोजेक्ट’? अंतरिक्ष में खेती का पहला कदम
शुभांशु शुक्ला के इस मिशन का एक प्रमुख हिस्सा ‘स्प्राउट्स प्रोजेक्ट’ है। इस प्रोजेक्ट के तहत, वे यह अध्ययन कर रहे हैं कि माइक्रोग्रैविटी में पौधों के बीज कैसे अंकुरित होते हैं और उनका शुरुआती विकास कैसा होता है।अंतरिक्ष में भारतीय ‘किसान’ शुभांशु शुक्ला: ISS पर उगाई मेथी-मूंग
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कैसे किया प्रयोग: शुक्ला ने ISS पर नियंत्रित वातावरण में मेथी और मूंग के बीजों को नमी दी और उनके अंकुरण की हर प्रक्रिया को बारीकी से कैमरे में कैद किया।
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कौन कर रहा नेतृत्व: भारत में इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का नेतृत्व कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़ के डॉ. रविकुमार होसामणि और IIT धारवाड़ के डॉ. सुधीर सिद्धपुरेड्डी कर रहे हैं।
पृथ्वी पर लौटने के बाद क्या होगा?
जब शुभांशु शुक्ला इन अंकुरित बीजों के सैंपल लेकर पृथ्वी पर लौटेंगे, तो भारतीय वैज्ञानिक इन पर गहन अध्ययन करेंगे। Axiom Space के अनुसार, इस रिसर्च से पता लगाया जाएगा:
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आनुवंशिक बदलाव (Genetic Changes): क्या अंतरिक्ष के वातावरण से बीजों के DNA में कोई बदलाव आया?
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पोषक तत्व (Nutritional Profile): क्या अंतरिक्ष में उगे स्प्राउट्स के पोषक तत्व पृथ्वी पर उगे स्प्राउट्स जैसे ही हैं?
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सूक्ष्मजीवी पर्यावरण (Microbial Ecosystem): बीजों के साथ कौन से सूक्ष्मजीव विकसित हुए।
यह रिसर्च भविष्य के लंबे अंतरिक्ष मिशनों (जैसे मंगल या चंद्रमा पर) के लिए अंतरिक्ष यात्रियों का भोजन उगाने की तकनीक विकसित करने में मदद करेगी।अंतरिक्ष में भारतीय ‘किसान’ शुभांशु शुक्ला: ISS पर उगाई मेथी-मूंग
सिर्फ खेती ही नहीं, ब्रेन और स्टेम सेल पर भी रिसर्च
शुभांशु शुक्ला ISS पर कई अन्य महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग भी कर रहे हैं:
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ब्रेन पर असर: माइक्रोग्रैविटी मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को कैसे प्रभावित करती है।
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स्टेम सेल रिसर्च: क्या अंतरिक्ष में चोटों की रिकवरी तेज हो सकती है।
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योग और ध्यान: शून्य गुरुत्वाकर्षण में योग का शरीर और मन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
शुक्ला ने कहा, “मुझे गर्व है कि मैं भारतीय वैज्ञानिकों और ISS के बीच एक पुल की तरह काम कर रहा हूँ।”
मिशन का अगला पड़ाव: पृथ्वी पर वापसी
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, एक्सिओम-4 (Axiom-4) मिशन के तहत 25 जून को NASA के कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना हुए थे। अब उनके मिशन का अंतिम चरण आ गया है। 10 जुलाई 2025 के बाद मौसम की स्थिति के आधार पर वे पृथ्वी पर वापस लौटेंगे। उनकी लैंडिंग फ्लोरिडा के तट के पास होगी।अंतरिक्ष में भारतीय ‘किसान’ शुभांशु शुक्ला: ISS पर उगाई मेथी-मूंग
शुभांशु शुक्ला का यह मिशन सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं है, बल्कि यह भारत की बढ़ती वैज्ञानिक शक्ति, वैश्विक सहयोग और एक ऐसे भविष्य का प्रतीक है, जहां इंसान शायद अंतरिक्ष में भी अपनी फसलें उगा सकेगा।अंतरिक्ष में भारतीय ‘किसान’ शुभांशु शुक्ला: ISS पर उगाई मेथी-मूंग









