भांठापारा-बलौदाबाजार

सड़क पर उतरे नौनिहाल: ‘कीचड़ में चलकर स्कूल नहीं जाएंगे’, बलौदा बाजार में छात्रों का हल्ला-बोल!

सड़क पर उतरे नौनिहाल: ‘कीचड़ में चलकर स्कूल नहीं जाएंगे’, बलौदा बाजार में छात्रों का हल्ला-बोल!

कीचड़ में चलकर स्कूल नहीं जाएंगे’, छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले से शिक्षा के प्रति छात्रों के जुनून और प्रशासन की अनदेखी की एक हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है। यहाँ सहाड़ा गांव के छात्र-छात्राएं स्कूल की कक्षाओं में नहीं, बल्कि पंचायत भवन के सामने सड़क पर बैठकर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। उनकी बस एक ही मांग है – स्कूल तक जाने के लिए एक पक्की सड़क।

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क्यों सड़क पर बैठने को मजबूर हुए छात्र?

पलारी तहसील के सहाड़ा गांव के इन बच्चों का गुस्सा बेवजह नहीं है। शासकीय हाई स्कूल तक पहुंचने के लिए उन्हें रोजाना लगभग 1 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है, जो सड़क कम और कीचड़ का दलदल ज्यादा है।कीचड़ में चलकर स्कूल नहीं जाएंगे’

  • खतरनाक रास्ता: यह पूरा रास्ता जर्जर और कीचड़ से भरा है, जिससे छात्रों का पैदल चलना भी मुश्किल है।

  • बारिश में बदतर हालात: मानसून के दौरान स्थिति और भी भयावह हो जाती है, जब घुटनों तक कीचड़ और पानी भर जाता है।

  • रोजाना की जंग: बच्चों के लिए हर दिन स्कूल पहुंचना एक जंग लड़ने जैसा हो गया है।

सड़क के साथ शिक्षकों की भी है मांग

छात्रों का आक्रोश सिर्फ खस्ताहाल सड़क को लेकर नहीं है। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने स्कूल में शिक्षकों की कमी का मुद्दा भी उठाया। उनका कहना है कि अच्छी सड़क और पर्याप्त शिक्षक, दोनों ही उनकी बेहतर शिक्षा के लिए जरूरी हैं, लेकिन प्रशासन दोनों ही मोर्चों पर उदासीन है।

दो साल से अनसुनी गुहार, अब बहिष्कार ही रास्ता

प्रदर्शन कर रहे कक्षा 9वीं और 10वीं के छात्रों ने बताया कि वे पिछले दो सालों से लगातार ग्राम पंचायत से लेकर प्रशासन के अधिकारियों तक पक्की सड़क बनाने की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला। जब उनकी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं हुई, तो तंग आकर उन्होंने स्कूल का बहिष्कार करने का फैसला किया।कीचड़ में चलकर स्कूल नहीं जाएंगे’

प्रशासन को सीधी चेतावनी: ‘सड़क नहीं तो स्कूल नहीं’

छात्रों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि जब तक उनके स्कूल तक जाने वाली सड़क का निर्माण कार्य शुरू नहीं होता, तब तक वे कक्षाओं में वापस नहीं लौटेंगे। उनका यह प्रदर्शन उस व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल है, जो भविष्य के कर्णधारों को शिक्षा के अधिकार के लिए सड़क पर बैठने को मजबूर कर देती है। अब देखना यह है कि प्रशासन इन नौनिहालों की मांग पर कब तक ध्यान देता है।कीचड़ में चलकर स्कूल नहीं जाएंगे’

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