संपादकीय
पंडित द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’ धमनी हाट के गीतकार अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य ल पोठ अउ समृद्ध करे बर हवय बड़ योगदान

पंडित द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’धमनी हाट के गीतकार अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य ल पोठ अउ समृद्ध करे बर हवय बड़ योगदान
छत्तीसगढ़ी साहित्य ल पोठ अउ समरीध करे म कवि गीतकार पंडित द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र के बड़का योगदान हे, छत्तीसगढ़ी पदय रचना के परवरतक के संग महान समाज सुधारक विप्र जी के जन्म 6 जुलाई 1908 बिलासपुर के जूना गांव म होय रहिस। बाबू नान्हू राम तिवारी दाई देवकी तिवारी के मंझला बेटा अउ दु भाई दु बहिनी म बीच वाला रहिस ते पाय के लोगन मन मंझला महराज काहय। पंडित सुंदरलाल शर्मा हा नाना ससुर लागय, हाईस्कूल तक पढ़ाई हा लाल बहादुर शास्त्री स्कूल नगर निगम बिलासपुर म होय हे, पढ़ाई के बाद रायपुर के इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया म नौकरी लगीस, इंहा के बाद बिलासपुर के जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक म काम करिस, इमानदारी लगन मेहनत ले शाखा प्रबंधक बन गिस। जिला सहकारी बैंक ले सेवानिवृत्त होय के बाद हाईकोर्ट तीर स्नातक महाविद्यालय म काम करत रहिन, बाद म इंहे प्रशासनिक समिति के अध्यक्ष बर चयन होगे। बनेच बेरा ले बिमार रहे के बाद विप्र जी 2 जनवरी 1982 के सरग सिधार लिन।पंडित द्वारिका प्रसाद तिवारी
धमनी हाट : तोला देखे रहेव रे तोला देखे रहेव गा धमनी के हाट म बोईर तरी रे’ ये अइसन लोकगीत हरे जेला कतनो घाव सुनबे तभो मन नही भरय, हरेक छत्तीसगढ़िया के जुबान म हवय ये गीत हा, करीब 4 मिनट के गीत हा आकाशवाणी रायपुर म सन 1975 ले 1980 तक रेडियो म परसारन होवय। ये गीत म छत्तीसगढ़ गांव के जन जीवन, मया, लोगन के भावना भासा के मिठास, सहज, सुग्घर चितरन करे हे, मया अउ सिंगार ले भरे गीत ल लोकगायिका कविता वासनिक अपन आवाज देहे। विप्र जी हा येला कविता के रूप म लिखे रहिस ओला संगीतमय लयबद्ध करके गीत के स्वरूप देहे, ‘धमनी हाट’ नाव ले गीत संग्रह के पुस्तक रहिस जेला लेखक नंदकिशोर तिवारी जी हा छपवाय रहिस। 2023 म छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल हा श्रम निरीक्षक परीक्षा के प्रश्न म इही गीत के रचनाकार ल पुछे रहिस जेमे विकल्प के रूप म लक्ष्मण मस्तुरिया रामेश्वर वैष्णव नंदकिशोर तिवारी अउ पंडित द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र के नाव रहिस, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के एम ए हिन्दी साहित्य के पाठ्यक्रम म घलो ये गीत हवय।पंडित द्वारिका प्रसाद तिवारी
साहित्य साधक : विप्र जी हा ननपन ले हि हमर अंचल के लोक परम्परा अउ लोकगीत मन ल बने भावय, सादा जीवन उच्च विचार सोच वाले विप्र जी बचपन ले हि कवि रहिस, बाते बात म कविता गीत बना लेवय। प्राथमिक स्कूल म सरयू प्रसाद त्रिपाठी नाव के गुरूजी रहिस, 1935 म गुरूजी त्रिपाठी संग मिलके बिलासपुर म भारतेन्दु साहित्य समिति के गठन करिन, एक समय भारतेन्दु साहित्य समिति के अधिवेशन होइस जेमे डॉ रामकुमार वर्मा, डॉ बलदेव प्रसाद मिश्र, डॉ हरिवंश राय बच्चन जैसे नामी साहित्यकार मन जुरियाय रहिन। बिलासपुर म साहित्य ले जुड़े लोगन मन बर मार्गदर्शक अउ प्रेरणा रहिस, स्व. लखनलाल गुप्त, स्व. बाबूलाल सीरिया, स्व. गेन्दराम सागर जैसे कवि लेखक मन बर विप्र जी साहित्य गुरु रहिन, रोज संझा ओहा घोंघा बाबा मंदिर के अंगना म बैठय जिहा कवि मन सकलाय अउ साहित्यिक चर्चा करय।पंडित द्वारिका प्रसाद तिवारी
विप्र जी पहली ब्रजभाषा खड़ी बोली म लिखय बाद म छत्तीसगढ़ी भासा म लिखे लागिस, प्रेम सिंगार देशभक्ति हंसी-मजाक व्यंग्य सबो विसय म कविता गीत लिखे हवय। सैली भारतेन्दु अउ द्विवेदी के संग कोनो भी घटना ल शुरू ले आखरी तक लिखे के गुण रहिस, विप्र जी ओ समय म भी छत्तीसगढ़ी भासा ल सबो वर्ग के लोगन के बोलचाल भासा के रूप म स्थापित करिस, ठेठ बिलासपुरी छत्तीसगढ़ी बोलय जेन भी सुनय सुनते रहि जाय। कविता लिखे के संग ओला संगीत म बड़ लगाव रहिस का जोरदार सितार बजावय, हाथरस ले संगीत के पत्रिका काव्य कलाधर छपय जेमे उंकर कवितामय नोटेशन छपय जेला खुदे तैयार करय। साहित्यकार नंदकिशोर तिवारी हा सन 2008 म छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर के 40 वां अंक म ‘विप्र रचनावली’ नाव के कालम म उंकर सबो रचना मन ल छापे रहिस। द्वारिका प्रसाद तिवारी के सुरता म 1982 म हाईकोर्ट तीर स्नातक महाविद्यालय के नाव डी पी विप्र महाविद्यालय करे गिस, विप्र जी के सम्मान अउ सुरता म आदिवासी लोककला अकादमी ‘संवाद’ नाम से उसलापुर बिलासपुर म हर साल कार्यक्रम के आयोजन करथे।पंडित द्वारिका प्रसाद तिवारी
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार मन विप्र जी के बारे म अपन विचार देहे, सत्यभामा आडिल बताथे ओकर म एक अल्हड़पन अवधूतपन के संग मार्गदर्शक अउ पर दुख ल समझे के भावना रहिस। नंदकिशोर तिवारी कहिथे विलक्षण प्रतिभा के धनी अउ अपन अथक मेहनत परिश्रम ले छत्तीसगढ़ी कविता ल इंहा पहचान दिलाइस। रामनारायण शुक्ल बताथे विप्र जी छत्तीसगढ़ी पदय रचना के परवरतक आय ओहा एक महान समाज सुधारक अउ देशभक्त कवि रहिन। बलदेव प्रसाद मिश्र हा विप्र जी ल बनेच उंचा दरजा देहे, अउ बताथे अनेक साहित्य साधक मन ल सम्मान प्रेरणा के संग प्रोत्साहन दिस जेकर ले छत्तीसगढ़ी रचना मन समृद्ध होइस। विप्र जी के छत्तीसगढ़ी रचना मन भासा के मानकीकरण बर प्रतिनिधित्व करथे, उंकर रचना मन म छत्तीसगढ़िया पन रचे बसे हवय। आज जरूरत हवय विप्र जी के रचना मन ल जादा ले जादा नवा पीढ़ी तक पहुंचाना जेकर ले आज के युवा मन अपन माटी महतारी ले जुड़े साहित्य ल जान सकय।पंडित द्वारिका प्रसाद तिवारी
विप्र जी के कविता गीत अउ किताब : हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी दूनो भासा म किताब लिखे हवय जेकर मुख्य विषय मया सिंगार के संग देशभक्ति आय, हिन्दी म 14 ठन अउ छत्तीसगढ़ी भासा म 5 ठन किताब छपे रहिस। 1934 म पुस्तक कुछु काही छपे रहिस जेमे कुल 10 गीत हवय सबो गीत हा छत्तीसगढ़ी लोकधुन म बने हे अउ बनेच लोकप्रिय हवय। धमनी हाट गीत संग्रह नाव ले एक पुस्तक छपे रहिस जेला लेखक नंदकिशोर तिवारी हा सम्पादन करे रहिस। पुस्तक मन में कुछु काही गीत संग्रह 1934, राम केवट प्रसंग, शिव स्तुति, गांधी गीत, सुराज गीत पहला संस्करण 1948, सुराज गीत दूसरा संस्करण 1958, योजना गीत (राष्ट्रीय आंदोलन), पंचवर्षीय योजना गीत 1960, कांग्रेस विजय आल्हा गीत, फागुन गीत 1968, क्रांति प्रवेश गीत, डबकत गीत 1968, गोस्वामी तुलसी दास जीवनी, महाकवि कालिदास क्रिती, छत्तीसगढ़ी साहित्य को डाॅ विनय पाठक येकर अलावा धमनी हाट, धन धन हे मोर किसान, दोहा चौपाई छंद म भी लिखे हवय।पंडित द्वारिका प्रसाद तिवारी
आलेख – देव हीरा लहरी
चंदखुरी फार्म रायपुर

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