रायपुर

रेलवे की नई कमाई: ट्रेन लेट, जेब खाली! AC वेटिंग हॉल में बैठने का भी लग रहा है घंटा-घंटा चार्ज

रेलवे की नई कमाई: ट्रेन लेट, जेब खाली! AC वेटिंग हॉल में बैठने का भी लग रहा है घंटा-घंटा चार्ज

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बिलासपुर: रेलवे की नई कमाई: ट्रेन लेट, जेब खाली! भारतीय रेलवे ‘अमृत भारत योजना’ के तहत स्टेशनों को एयरपोर्ट जैसा चमका तो रहा है, लेकिन इस चमक की कीमत यात्रियों को चुकानी पड़ रही है, खासकर तब जब ट्रेनें लेट हों। रेलवे अब अपने नए-नवेले AC वेटिंग हॉल में बैठने के लिए यात्रियों से घंटे के हिसाब से पैसे वसूल रहा है। ट्रेन लेट होने की स्थिति में यह सुविधा यात्रियों के लिए सजा बन गई है, जिससे उनकी जेब पर दोहरी मार पड़ रही है।

एयरपोर्ट जैसी सुविधा, पर ट्रेनें बैलगाड़ी जैसी लेट

रेलवे के अधिकारी इन AC लाउंज की तुलना एयरपोर्ट से कर रहे हैं, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि एयरपोर्ट पर उड़ानें आमतौर पर समय पर होती हैं, जबकि रेलवे में ट्रेनों का लेट होना एक आम बात है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले 5 महीनों में लगभग 1800 ट्रेनें एक घंटे से ज्यादा लेट हुईं, यानी हर महीने औसतन 350 से ज्यादा ट्रेनें अपने समय पर नहीं चल रहीं। ऐसे में घंटों इंतजार करने वाले यात्रियों को AC में बैठने के लिए अतिरिक्त पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं, जो उन्हें ठगा हुआ महसूस कराता है।रेलवे की नई कमाई: ट्रेन लेट, जेब खाली! 

कैसे काम करती है यह ‘वसूली’?

मध्य-पूर्व रेलवे (ईसीआर) जोन के गोंदिया और उसलापुर स्टेशनों पर यह नई व्यवस्था शुरू हो चुकी है। यहां AC वेटिंग हॉल चलाने के लिए पांच-पांच साल का टेंडर दिया गया है। ठेकेदार हर यात्री से 20 रुपये प्रति घंटा और बच्चों से 12 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से चार्ज ले रहे हैं। यह व्यवस्था सिर्फ इन दो स्टेशनों तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के कई बड़े स्टेशनों जैसे मुंबई, हावड़ा, कटनी, और मैंगलोर में भी पहले से लागू है, जहां 10 से 50 रुपये प्रति घंटे तक वसूले जा रहे हैं।रेलवे की नई कमाई: ट्रेन लेट, जेब खाली! 

रेलवे का तर्क: ‘यह तो ऑप्शनल है’

जब इस बारे में सवाल किया जाता है, तो रेलवे अधिकारी इसे एक अतिरिक्त और वैकल्पिक सुविधा बताते हैं। बिलासपुर के सीपीआरओ विपुल विलास राव का कहना है कि फर्स्ट क्लास और सेकंड क्लास के यात्रियों के लिए सामान्य (फ्री) वेटिंग हॉल पहले की तरह ही उपलब्ध हैं। यात्री अपनी जरूरत के हिसाब से इस पेड लाउंज का इस्तेमाल कर सकते हैं।रेलवे की नई कमाई: ट्रेन लेट, जेब खाली! 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट? ‘ट्रेनें समय पर चलाओ, छूट मत दो’

वंदे भारत प्रोजेक्ट के लीडर और रेलवे के रिटायर्ड जीएम सुधांशु मणि का मानना है कि रेलवे के लिए यह आय का एक अतिरिक्त स्रोत है। उनका कहना है कि लेट ट्रेनों के लिए छूट देने की व्यवस्था बनाना एक जटिल काम होगा, क्योंकि ट्रेनों के आने का समय लगातार बदलता रहता है। इससे बेहतर उपाय यह है कि रेलवे ट्रेनों को समय पर चलाने पर जोर दे, ताकि यात्रियों को इस तरह की अतिरिक्त मार न झेलनी पड़े।रेलवे की नई कमाई: ट्रेन लेट, जेब खाली! 

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