रायपुर

रायपुर सड़क हादसा: तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने ली मासूम बच्ची की जान, माता-पिता गंभीर घायल

रायपुर सड़क हादसा: तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने ली मासूम बच्ची की जान, माता-पिता गंभीर घायल

तीन साल में 283 लोगों ने गंवाई जान, 2024 में अब तक हालात और भी भयावह

राजधानी रायपुर में थम नहीं रही सड़क दुर्घटनाएं

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सड़क हादसों का सिलसिला लगातार जारी है। हर दिन सड़क पर लापरवाही और तेज रफ्तार का नतीजा जानलेवा बनता जा रहा है। ऐसा ही एक दर्दनाक हादसा विधानसभा थाना क्षेत्र में सामने आया, जहां एक तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने बाइक सवार परिवार को रौंद दिया। हादसे में 8 साल की मासूम बच्ची की मौत हो गई, जबकि उसके माता-पिता गंभीर रूप से घायल हो गए।रायपुर सड़क हादसा

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ट्रैक्टर ने मारी जोरदार टक्कर, मासूम की मौके पर मौत

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, ग्राम अकोली निवासी चोवाराम वर्मा अपनी पत्नी और बेटी के साथ बाइक से विधानसभा की ओर जा रहे थे। रास्ते में बरौदा के पास तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी।
इस हादसे में 8 वर्षीय बालिका दीपांशिका की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसके माता-पिता गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया है। फिलहाल पुलिस ने अज्ञात ट्रैक्टर चालक के खिलाफ मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू कर दी है।रायपुर सड़क हादसा

सड़क सुरक्षा पर बड़ा सवाल: बढ़ते हादसे, बेबस प्रशासन

रायपुर जिले में सड़क हादसों का आंकड़ा हर साल तेजी से बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय है। यातायात विभाग से प्राप्त आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं:

पिछले तीन साल का सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा:

वर्ष कुल दुर्घटनाएं मौतें घायल
2021 1911 283 1322
2022 1961 507 1440
2023 2079 594 1495

इन आंकड़ों से साफ है कि न सिर्फ सड़क हादसों की संख्या बढ़ी है, बल्कि जान गंवाने वालों की संख्या में भी खतरनाक इजाफा हुआ है।

क्या प्रशासन की कोशिशें नाकाफी हैं?

राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने सड़क सुरक्षा के लिए कई कदम उठाने का दावा जरूर किया है, जैसे कि स्पीड कंट्रोल, हेलमेट जांच, रोड सेफ्टी अवेयरनेस अभियान, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहती है। आंकड़े इस बात का सबूत हैं कि अब तक की कोशिशें अपर्याप्त और असरहीन साबित हो रही हैं।रायपुर सड़क हादसा

हादसों को रोकने के लिए क्या है जरूरत?

  • सख्त ट्रैफिक निगरानी और स्पीड कंट्रोल सिस्टम

  • सड़क इंजीनियरिंग में सुधार और ब्लाइंड स्पॉट्स की पहचान

  • लोगों में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता

  • लाइसेंसिंग और ट्रांसपोर्ट नियमों का कड़ाई से पालन

सड़क पर सुरक्षा नहीं तो जीवन अधूरा

हर सड़क हादसा सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, किसी का उजड़ता परिवार, छिनता बचपन और टूटता सपना है। मासूम दीपांशिका की मौत हमें याद दिलाती है कि सुरक्षा व्यवस्था को अब और टालना नहीं चाहिए। अब वक्त है कि प्रशासन, पुलिस और आम नागरिक, सभी मिलकर सड़क हादसों के खिलाफ सख्त कदम उठाएं।रायपुर सड़क हादसा

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