छ.ग.राज्य सुचना आयोग का कड़ा एक्शन : छ.ग.राज्य सुचना आयोग ने ग्राम पंचायत बुन्देली महासमुंद के सचिव पर लगाया 25000/- का जुर्माना..30 दिन के भीतर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने दिए आदेश

- छ.ग.राज्य सुचना आयोग का कड़ा एक्शन : छ.ग.राज्य सुचना आयोग ने ग्राम पंचायत बुन्देली महासमुंद के सचिव पर लगाया 25000/- का जुर्माना..30 दिन के भीतर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने दिए आदेश
- सुचना का अधिकार अधिनियम जो कि संसद द्वारा लोकसेवको के कार्य की निगरानी एवं उनके द्वारा किये गए कृत्यों को जनता तक आसानी से पहुच के लिए बनाया गया कानून है
सुचना का अधिकार अधिनियम की खुलेआम अवमानना करने एवं छ.ग.राज्य सुचना आयोग के आदेश नोटिस का कोई जवाब नहीं देने वाले लोकसूचना अधिकारी एवं ग्राम पंचायत बुन्देली जनपद पिथौरा जिला महासमुंद के सचिव डोमन टांडेय पर लगाया 25000/- का जुर्माना..30 दिन के भीतर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने दिए आदेश दिया गया है l छ.ग.राज्य सुचना आयोग का कड़ा एक्शन

बात दरअसल ये है कि आवेदक डॉ ताराचंद चंद्राकर द्वारा राज्य लोकसूचना अधिकारी एवं सचिव ग्राम पंचायत बुंदेली जनपद पंचायत पिथौरा, जिला महासमुंद छत्तीसगढ़ के कार्यालय में दिनांक 20/10/2021 को सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आवेदन कर कुछ जानकारी चाहिए गई थी जिसको उक्त अधिनियम के अंतर्गत नियमानुसार 30 दिन की अवधि में प्रदान करना था लेकिन लोक सूचना अधिकारी एवं सचिव ग्राम पंचायत बुंदेली के द्वारा आवेदक को जानबूझकर जानकारी प्रदान नहीं किया गया।छ.ग.राज्य सुचना आयोग का कड़ा एक्शन
आवेदक ताराचंद चंद्राकर को जानकारी नहीं मिलने पर उनके द्वारा प्रथम अपीललीय अधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत पिथौरा, जिला महासमुंद छत्तीसगढ़ को दिनांक 28/12/2021 के कार्यालय में प्रथम अपील प्रस्तुत किया गया। प्रथम अपीलीय अधिकारी ने अपील की सुनवाई हेतु दिनांक 28/01/2022 को 12:00 बजे निर्धारित किया गया जहां जहां राज्य लोग सूचना अधिकारी एवं सचिव ग्राम पंचायत बुंदेली जनपद पंचायत पिथौरा, जिला महासमुंद छत्तीसगढ़ को निर्धारित समय अवधि में उपस्थित होकर अपना जवाब प्रस्तुत करना था लेकिन वहां पर अपीलार्थी के प्रतिनिधि तो उपस्थित हुए लेकिन राज्य लोग सूचना अधिकारी जानबूझकर उपस्थित नहीं हुए।छ.ग.राज्य सुचना आयोग का कड़ा एक्शन
आवेदक ताराचंद चंद्राकर प्रथम अपील में भी कोई जानकारी नहीं मिलने पर आवेदक ने क्षुब्ध होकर छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के समक्ष दिनांक 07/06/2022 को द्वितीय अपील प्रस्तुत किया। द्वितीय अपील की सुनवाई दिनांक 10/04/2023 को 12:00 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हॉल NICजिला मुख्यालय में थी एवं राज्य लोक सूचना अधिकारी अधिकारी एवं सचिव ग्राम पंचायत बुंदेली को आदेशित किया गया कि वह सप्रमाण उपस्थित हो एवं अपना पक्ष रखें। राज्य लोक सूचना अधिकारी ग्राम पंचायत बुंदेली ने द्वितीय अपील में भी उपस्थित नहीं हुए एवं आयोग के समक्ष लिखित में भी कोई जवाब उपलब्ध नहीं कराया एवं आवेदक को भी कोई जवाब उपलब्ध नहीं कराया। राज्य लोक सूचना अधिकारी एवं सचिव ग्राम पंचायत बुंदेली जनपद पिथौरा जिला महासमुंद छत्तीसगढ़ ने राज्य सूचना आयोग के आदेश का भी पालन नहीं किया एवं प्रथम अपील अधिकारी ने भी स्पीकिंग ऑर्डर जारी नहीं किया। जो कि राज्य लोग सूचना अधिकारी एवं सचिव ग्राम पंचायत बुंदेली जनपद पंचायत पिथौरा, जिला महासमुंद छत्तीसगढ़ एवं गया। प्रथम अपीलीय अधिकारी ने अपील की सुनवाई हेतु दिनांक 28/01/2022 को 12:00 बजे निर्धारित किया गया जहां जहां राज्य लोग सूचना अधिकारी एवं सचिव ग्राम पंचायत बुंदेली जनपद पंचायत पिथौरा, जिला महासमुंद छत्तीसगढ़ की घोर लापरवाही एवं कदाचरण को दर्शाता है lछ.ग.राज्य सुचना आयोग का कड़ा एक्शन
छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की अवमानना करने, अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में घोर लापरवाही बरतने, राज्य सूचना आयोग के नोटिस का कोई जवाब नहीं देने एवं आवेदक को निर्धारित समय विधि में जानकारी उपलब्ध नहीं करने के कारण उक्त राज्य लोक सूचना अधिकारी एवं सचिव ग्राम पंचायत बुंदेली, जनपद पंचायत पिथौरा जिला महासमुंद छत्तीसगढ़ डोमन टांडेय के ऊपर सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 20 (1) के तहत ₹250 प्रतिदिन के हिसाब से 25000/- का अर्थदंड अधिरोपित किया गया है एवं साथ ही अधिनियम की धारा 20(2) के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत महासमुंद, छत्तीसगढ़ को अनुशंसा किया गया है।छ.ग.राज्य सुचना आयोग का कड़ा एक्शन
इससे तो साफ स्पष्ट हो रहा है की इस विभाग में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है।
इस बार भी आवेदक को मांगी गयी सुचना नहीं दी गयी…. क्योकि जब अधिकारी आवेदक को जानकारी नहीं देने का एक बार मन बना ले तब उनके लिए कोई नियम कानून मायने नहीं रखता है l क्योकि लोकसूचना अधिकारी को संसद द्वारा बनाये गए कानून एवं भारत के संविधान से कोई सरोकार नहीं है, कार्यालय में तो अधिकारी, कर्मचारी अपना राज चलते है जैसे वे लोकसेवक नहीं जनता के मालिक हो l क्या अधिकारी भूल गए है की वे लोकसेवक है या वे लोकसेवक की परिभाषा नहीं जानते है lछ.ग.राज्य सुचना आयोग का कड़ा एक्शन
उसका कौन क्या बिगड़ सकता है क्योकि अपील में जनसूचना अधिकारी को कुछ फर्क नहीं पड़ना है आयोग का फैसला आते आते तो वर्षो लग जाते है ऐसे में आवेदक करे तो क्या करे !!! और जब तक आयोग की सुनवाई होगी तब तक जनसूचना अधिकारी ही कहा पदस्थ रहेंगे इसका भी कोई अता पता नहीं रहता है इतने दिनों में तो कई आवेदक का मनोबल ही टूट जाया रहता है और आयोग की पेशी तो पूछो ही मत तारीख पे तारीख…?? आखिर कब जनता को उनके नैसर्गिक न्याय का अधिकार मिलेगा?आखिर सुचना का अधिकार कानून बनाने के पीछे का क्या उद्देश्य है क्या जनता को इन्हें समझाना पड़ेगा lछ.ग.राज्य सुचना आयोग का कड़ा एक्शन
क्या कहता है सूचना का अधिकार अधिनियम
यह अधिनियम 12 अक्टूबर सन 2005 से पूर्णतः लागू हुआ था । जिसका उद्देश्य नागरिक द्वारा सूचना का अधिकार के माध्यम से लोक प्राधिकारीयो के नियंत्रण में रखी सूचना पाना सुनिश्चित किया जा सके जिससे कि प्रत्येक लोक प्राधिकारी की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्व को बढ़ावा दिया जा सके।छ.ग.राज्य सुचना आयोग का कड़ा एक्शन
भारत के संविधान ने लोकतंत्र की स्थापना की है और लोकतंत्र सूचना प्राप्त नागरिक वर्ग तथा सूचना की पारदर्शिता की अपेक्षा करता है। नागरिक और सूचना सरकारों की उचित कार्य पद्धति कार्यक्रम तथा भ्रष्टाचार को रोकने के लिए अनिवार्य है शिक्षित नागरिक और सूचना यह दोनों सरकारों और उसके परिकरणो को हुकूमत अर्थात जनता के शासन के प्रति उत्तरदाई बनाने के लिए भी अनिवार्य है।छ.ग.राज्य सुचना आयोग का कड़ा एक्शन
अधिनियम के अनुसार प्रत्येक शासकीय अर्धशासकीय एवं शासन द्वारा वित्त पोषित संस्थान इत्यादि कार्यालय में जन सूचना अधिकारी रहेंगे। प्रत्येक जन सूचना अधिकारी को सूचना का आवेदन का जवाब देने के लिए विधि द्वारा 30 दिन की समय सीमा निर्धारित की गई है। एवम दिए गए जवाब में अपना नाम पदनाम एवं अपीलीय अधिकारी का नाम पदनाम एवं पूर्ण पता लिखना है। इसके लिए भी छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग ने अधिसूचना जारी कर कहा है कि, प्रत्येक जन सूचना अधिकारी को सूचना का अधिकार आवेदन के निराकरण में अपना नाम पदनाम कार्यालय का पूर्ण पता एवं अपीलीय अधिकारी का नाम पदनाम एवं उनके कार्यालय का पूर्ण पता देना है। लेकिन इसके बावजूद राज्य लोक सूचना अधिकारी नियमों को ताक में रखकर सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की खुलेआम अवमानना कर रहे हैं । जिसके लिए सामान्य प्रशासन को उनके ऊपर सख्त कदम उठाना चाहिए, अन्यथा नागरिकों का सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रति विश्वास खत्म हो जाएगा।छ.ग.राज्य सुचना आयोग का कड़ा एक्शन









